आज छुट्टी के दिन पिछले कई दिनों से बाँची जा रही खुशवंत सिंह की किताब 'सच प्यार और थोड़ी सी शरारत' पूरी हुई। किताब में लेखन से जुड़ी बातें पढ़ते हुए लगा कि जीवन के हर क्षेत्र में यह बात लागू होती है। खुशवंत सिंह जी लिखते हैं:
लेखक बनने के लिए किस-किस चीज की जरूरत है? पहली बात , लेखक बनने की एक निर्बाध लगन, एक धुन होनी चाहिए। पैसा इसकी प्रेरक शक्ति नहीं है (खाने-पीने) की चीजों या पान का खोखा लगाने से, पेट्रोल पंप चलाने से या फिर फिर वकालत या डॉक्टरी में कहीं ज्यादा पैसा मिलता है) , पहचान या प्रसिद्धि की तलाश भी इसमें प्रेरक नहीं हो सकती (वह सब राजनीति या फ़िल्म में ज्यादा आसानी से मिल जाती है)।
दरअसल , ज्यादातर लेखकों के सामने यह कारण स्पष्ट नहीं होता कि उन्होंने लेखन क्यों अपनाया, सिवाय इसके कि भीतर से कोई चीज उन्हें धकेल रही थी, मजबूर कर रही थी लिखने के लिए। ज्यादातर मामलों में , जब वे देखते हैं कि लेखक बनने की इच्छा को असलियत का जामा पहनाने में कितना कुछ करना पड़ता है तो उसकी धुन अपने- आप ठंडी पड़ जाती है। यह ललक बार-बार सर उठाती है। कुछ लोग इसकी निकासी के लिए छोटे-छोटे लेख, अधूरी कहानियां या उपन्यास लिखते हैं पर जल्दी ही हार मानकर यह स्वीकार कर लेते हैं कि उनमें लेखक बनने का माद्दा ही नहीं है।
ज्यादा संवेदनशील लोगों के अंदर कविता भरी रहती है जो उनकी किशोरावस्था में फूट निकलती है। बाद के बरसों में यह चुपचाप धीरे-धीरे दब जाती है।
गद्य लिखना ज्यादा कठिन है। इसके लिए क्लासिकी और आधुनिक साहित्य का विस्तृत अध्ययन बड़ा शब्द भंडार और सबसे बढ़कर , काम पूरा होने तक जुटे रहने के दमखम की जरूरत होती है। संक्षेप में, इसमें घोर परिश्रम की क्षमता , जरूरत पड़े तो घण्टों तक कोरे कागज के आगे बैठे रहने की क्षमता और इस संकल्प की जरूरत है कि इस कागज़ को लिखकर पूरा भरे बगैर आप उठेंगे नहीं।
जो कुछ लिखकर आपने कागज भरा है, हो सकता है वह कोरी बकवास हो, पर यह अनुशासन आगे काम आएगा। जल्दी ही, आपका लेखन सुधरने लगेगा, जल्दी ही लेखक के अंदर जो कुछ बेहतर है, सबसे अच्छा है, वह प्रकट हो जाएगा।
मेरी समझ में , रोज डायरी लिखना उपयोगी होता है। दोस्तों को लंबे-लंबे पत्र लिखना भी अच्छा अभ्यास है। अखबारों के लिए नियमित कॉलम लिखना और तय किये समय में काम पूरा कर देना उपयुक्त अनुशासन है। कुछ थोड़े से दिन के लिए लिखना छोड़ दीजिए, और इसे फिर से शुरू करना पहाड़ हो जाएगा।
-खुशवंत सिंह
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