एक बहुत क्रांतिकारी टाइप का आइडिया हमारे दिमाग में घुसने की कोशिश कर रहा था। हमने घुसने नहीं दिया। साफ कह दिया -'कितने भी क्रांतिकारी हो, घुसने नहीं देंगे दिमाग में बिना मास्क लगाए। मास्क लगाओ, फिर आओ।घुसोगे भी तो पहले से मौजूद आइडियों से कम से कम दो फिट दूरी पर रहोगे। सोशल डिस्टैनसिंग का पालन करना पड़ेगा।'
आइडिया भन्ना के फूट लिया कहते हुए -'कुल जमा दो इंच मोटा भी दिमाग नहीं। बड़े आये दो फिट सामाजिक दूरी वाले। दुनिया में न जाने कित्ते और मोटे दिमाग वाले हैं। जा रहे हैं उनमें से किसी के पास। ऐश से रहेंगे। '
हम सुनकर खिसिया गए। कोरोना के चक्कर में क्रांतिकारी आइडिया को नाराज कर दिया। मन किया मना लें। लेकिन तब तक वह फूट लिया था। हमको भी गुस्सा आ गया -'बड़ा अकडू आइडिया है। एक बार जिद करता तो क्या घुसने नहीं देता उसको। घुसा के बन्द कर लेते दिमाग। ये सुसरे क्रांतिकारी आइडिये अकडू बहुत होते हैं।'
कहीं आपके पास तो नहीं आया कोई क्रांतिकारी आइडिया। सम्भलकर रहियेगा। फिर न कहिएगा बताया नहीं।
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10219972548277518
No comments:
Post a Comment