कल नगर की साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्था ‘विकासिका’ द्वारा ‘गुण गौरव’ सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान के साथ-साथ मेरे बारे में कई अच्छी-अच्छी बातें भी कहीं गयीं।
51 वर्ष पुरानी संस्था रजिस्टर्ड संस्था विकासिका साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़े कार्यक्रम करती है। बीते वर्ष कुल मिलाकर 55 आयोजन किए गए। उनमें काव्य पाठ, सम्मान समारोह, विभिन्न विभूतियों का जन्मदिन , बाल कवि सम्मेलन , ग़ज़ल के कार्यक्रम आदि हुए। एक अनूठा कार्यक्रम ‘इनसे ही मेरी आन बान शान’ बनी है हुआ। इसमें कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले कवियों/कवियत्रियों द्वारा अपने जीवन साथियों को सम्मान किया गया।
संस्था के संस्थापक/संयोजक डा विनोद त्रिपाठी जी पिछले 51 वर्षों से इस संस्था का संचालन को सुचारू रूप से चला रहे हैं। अभी तक विभिन्न कार्यक्रम और सैकड़ों लोगों का सम्मान कर चुके हैं। 75 वर्ष की उम्र होने के बावजूद जिस फुर्ती और तत्परता से कार्यक्रम के आयोजन में संलग्न थे उसे देखकर लगा कि सामाजिक रूप से सक्रिय रहना भी अच्छी सेहत का कारक है।
कल कार्यक्रम के दौरान पहले बार संस्था के कार्यकलाप एवं उससे जुड़े लोगों से परिचय हुआ। बहुत सीमित ,लगभग व्यक्तिगत प्रयासों से, संस्था को 51 वर्षों तक अबाध रूप से संचालन ही अपने में स्तुत्य प्रयास है।
संस्था से मेरा कोई पूर्व परिचय नहीं था। इसके बावजूद मुझे सम्मानित करने का कोई कारण मुझे समझ नहीं आया। लेकिन कल कार्यकारिणी की लिस्ट देखी तो उसमें अपने परिचित लोगों का नाम भी दिखा। उन्होंने ही सुझाया होगा। सम्मान के लिए व्यक्तियों का चयन शायद इसी तरह होता है।
51 वर्ष पुरानी संस्था द्वारा गुण गौरव सम्मान से सम्मानित होना अपने आप में सुखद अनुभव रहा। डा विनोद त्रिपाठी जी एवं विकासिका संस्था से जुड़े सभी पदाधिकारियों का धन्यवाद।
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