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वाल मार्ट के व्यवहारिक उपयोग
By फ़ुरसतिया on November 30, 2011
अपने देश में अनगिनत लफ़ड़े हैं। गरीबी, आबादी, भ्रष्टाचार,
साम्प्रदायिकता, जातिवाद, ये वाद-वो वाद, आदि-इत्यादि तो स्थायी लफ़ड़े हैं।
इनको ही झेलते-झेलते हम बोर न हो जायें इस लिये जायका बदलने के लिये
समय-समय पर मौसमी लफ़ड़ों का जुगाड़ भी होता रहता है। तरह-तरह के घपले,
घोटाले, इस्कैम-फ़िस्कैम, गिरफ़्तारी-फ़िरफ़्तारी भी अपनी क्षमता के हिसाब के
लफ़ड़ों की एकरसता तोड़ने के लिये अवतरित होते रहते हैं।
इधर दो दिन हुये एक नये लफ़ड़े ने अवतार लिया है लफ़ड़े का नाम है विदेशी खुदरा कम्पनी! वालमार्ट और दूसरी कम्पनियों के आने की बात चली है। देश के सारे बयानों का ट्रैफ़िक वालमार्ट की तरफ़ डाइवर्ट हो गया है। पता नहीं क्यों इसपर अभी तक अन्ना हजारे जी का बयान क्यों नहीं आया है जबकि वे मौनव्रत पर भी नहीं हैं।
वालमार्ट के समर्थन और विरोध में दे दनादन तर्कतीर चल रहे हैं। समर्थक कह रहे हैं कि इससे उपभोक्ता को फ़ायदा होगा। विरोधियो का कहना है कि इससे खुदरा व्यापारियों की कमर टूट जायेगी। समर्थक कह रहे हैं इससे ग्राहक फ़लेगा-फ़ूलेगा। विरोधी कह रहे हैं कि इससे जनता लुट जायेगी/पिट जायेगी।
मोटा-मोटी देखने से लगता है कि वाल मार्ट वाले परोपकाराय सतां बिभूतया टाइप के लोग हैं। भारत के किसानों का दुख उनसे देखा नहीं गया। किसानों के दुख से पसीजकर उसने उनके उद्दार के लिये कमर कस ली है। अब लगता है कि किसानों का भला होकर ही रहेगा।
व्यक्तिगत तौर पर मुझे शापिंग मॉल जैसी जगहें शहर में स्थित सबसे वाहियात जगहों में से लगती है। उसमें से कुछ कारण ये हैं:
आपके भी कुछ विचार/बयान हैं क्या इस बारे में?
इधर दो दिन हुये एक नये लफ़ड़े ने अवतार लिया है लफ़ड़े का नाम है विदेशी खुदरा कम्पनी! वालमार्ट और दूसरी कम्पनियों के आने की बात चली है। देश के सारे बयानों का ट्रैफ़िक वालमार्ट की तरफ़ डाइवर्ट हो गया है। पता नहीं क्यों इसपर अभी तक अन्ना हजारे जी का बयान क्यों नहीं आया है जबकि वे मौनव्रत पर भी नहीं हैं।
वालमार्ट के समर्थन और विरोध में दे दनादन तर्कतीर चल रहे हैं। समर्थक कह रहे हैं कि इससे उपभोक्ता को फ़ायदा होगा। विरोधियो का कहना है कि इससे खुदरा व्यापारियों की कमर टूट जायेगी। समर्थक कह रहे हैं इससे ग्राहक फ़लेगा-फ़ूलेगा। विरोधी कह रहे हैं कि इससे जनता लुट जायेगी/पिट जायेगी।
मोटा-मोटी देखने से लगता है कि वाल मार्ट वाले परोपकाराय सतां बिभूतया टाइप के लोग हैं। भारत के किसानों का दुख उनसे देखा नहीं गया। किसानों के दुख से पसीजकर उसने उनके उद्दार के लिये कमर कस ली है। अब लगता है कि किसानों का भला होकर ही रहेगा।
व्यक्तिगत तौर पर मुझे शापिंग मॉल जैसी जगहें शहर में स्थित सबसे वाहियात जगहों में से लगती है। उसमें से कुछ कारण ये हैं:
- जो चाय बाहर तीन रुपये की मिलती है उससे कई गुना घटिया चाय शापिंग मॉल में तीस रुपये में मिलती है।
- मॉल में सिवाय सफ़ाई, रोशनी और एअरकंडीशनिंग के बाकी सब स्थितियां अमानवीय लगती हैं। न ग्राहक और न सेल्सस्टाफ़ किसी के बैठने का कोई जुगाड़ नहीं होता।
- एक ही चीज के दाम जिस तरह वहां बदलते हैं उस तरह तो जनप्रतिनिधियों के बयान भी नहीं बदलते।
- वाल मार्ट शहर में आते ही अपने लिये कोई स्लोगन तलाशेगा। वो हमारे शहर के ’ठग्गू के लड्डू’ वाला नारा खरीद लेगा- ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं। इसके बाद जब जब कभी कौन बनेगा करोड़पति या सवाल इंडिया का में पूछेगा कि यह नारा किसका है तो हम तड़ से बता देंगे -वाल मार्ट का। लोग हमको ज्ञानी समझेंगे!
- लोग कहते हैं कि वालमार्ट के आने से किसानों को फ़ायदा होगा। बिचौलिये बरबाद हो जायेंगे। अगर सच में ऐसा होगा तो बिचौलियों के पास मौका होगा कि वे फ़िर से किसानी करने लगें। इससे देश फ़िर से कृषि प्रधान हो जायेगा। इस देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती के दिन फ़िर लौट आयेंगे।
- जब बिचौलिये रहेंगे नहीं तो बिचौलियों के कारण होने वाले घपले घोटाले अपने आप कम हो जायेंगे। जब घपले नहीं होंगे तो देश में भ्रष्टाचार कम होगा। फ़िर तो झकमार देश को खुशहाल होना पड़ेगा।
- किसानों का जो भी भला करता है उसको वे देवता मानने लगते हैं। इस तरह वालमार्ट देवता का अवतार होगा। जगह-जगह जगह घेरकर वाल मार्ट देव के मंदिरों का निर्माण होना शुरु हो जायेगा।
- साहित्य में भी एक नया युग आयेगा। वालमार्ट के आने के बाद लिखा गया साहित्य उत्तर वाल मार्ट युग के नाम से जाना जायेगा।
- शहरों में आमतौर पर बिजली गायब रहती है। लेकिन वालमार्ट में ए.सी. का जुगाड़ रहेगा। शहर भर के लोग सड़ी गर्मी से निजात पाने के लिये वालमार्ट में पिले पड़े रहेंगे। जगह कम होने पर वालमार्ट का रकबा बढ़ाने के लिये आंदोलन होना शुरू होगा।
- जो बच्चे बिजली न आने के कारण पढ़ लिख नहीं पाते वे भी लिये किताबें-नोटबुक वालमार्ट की तरफ़ भागते नजर आयेंगे।
- किसानों से सीधे सामान खरीदने के चक्कर में वालमार्ट से गांवों तक जाने वाली सड़कें की मरम्मत हो जायेगी। जिस मोहल्ले के लोगों को अपने यहां सड़क बनवानी होगी वे अपने आसपास सब्जी उगाने लगेंगे। वालमार्ट से उस मोहल्ले तक फ़ौरन सड़क बन जायेगी।
- संभव है कि परिवहन की लागत बचाने के लिये नये तरीके अपनाये जायें। क्या
पता कल को आलू के बोरों के ढुलाई के लिये मिसाइलों का उपयोग होंगे लगे।
चार बोरे एक कंटेनर में लादकर उसको एक मिसाइल के माध्यम से सीधे वालमार्ट
के लिये प्रक्षेपित किया जाये। इससे विकसित देशों के गोदामों में सड़ रही
मोबाइलोंमिसाइलों का सामाजिक उपयोग हो सकेगा। इसी बहाने विकसित देशों की पतली हालत में थोड़ा मोटापा आ सकेगा। - वालमार्ट आने वाले समय में युवाओं के लिये प्रेम-श्रेम करने का नया ठिकाना बनेंगे। डलियों में सामान खरीदकर बिक भुगतान करते के लिये लाइन में लगे हुये लोग कुछ न कुछ जरूर ऐसा करेंगे जिससे अनगिनत उत्तर वालमार्टीय प्रेम कहानियों का जन्म होगा। क्या कोई लड़का वालमार्ट में घूमती किसी लड़की से पूछे- तेरा बिल हो गया। इससे शुरु हुई बातचीत फ़िर न जाने कित्ते बिलों के इधर-उधर होने की कहानी कहे। कभी मंदिर जाने के बहाने मिलने आने वाली नायिकाये आने वाले समय में गाने लगेंगी- मैं तुझसे मिलने आई वाल मार्ट जाने के बहाने।
- भारत में अभी तमाम तरह की विषमतायें हैं। लोग जातिवाद, धर्म, सम्प्रदाय, प्रदेश, जिला,मोहल्ले, लिंग भेद के नाम पर बंटे हुये हैं। वाल मार्ट आने और छाने के बाद ये सारे भेदभाव मिट जायेंगे और अपने देश में सिर्फ़ दो तरह के लोग रहेंगे। एक वे लोग होंगे जिनकी हालत वालमार्ट के चलते चमक जायेगी दूसरे वे लोग होंगे जो वालमार्ट की वजह से बरबाद हुये। भले ही दूसरी तरह के लोग बहुमत में होंगे लेकिन यह अपने आप में कम सुकून की बात नहीं कि और तमाम भेदभाव अतीत की बात हो जायेंगे।
आपके भी कुछ विचार/बयान हैं क्या इस बारे में?
Posted in बस यूं ही | 34 Responses
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आशीष ‘झालिया नरेश’ विज्ञान विश्व वाले की हालिया प्रविष्टी..स्ट्रींग सिद्धांत : परिचय
बनारस जैसे शहरों में जहां गढ्ढों पर सड़क नाम की चींज रेंगती है, धूल से दुकाने हमेशा तर रहती हैं, वाल मार्क सांस लेने से पहले ही दम तोड़ देगा। हम तो राह चलते, झटके में, पटरी-ठेले पर लगी ताजा सब्जी खरीदने के आदी हैं। ई वाल मार्क समय भी बर्बाद करेगा। ब्लागिंग का कीमती समय ई वाल मार्क से सब्जी खरीदने में ही जाया हो जायेगा। यह अलग बात है कि ब्लॉगरों को रोज नई पोस्ट लिखने के लिए विषय मिल जायेगा।
मूल बात यह कि विदेशी यहां पैसा, कमाने के लिए लगायेंगे कोई परोपकार करने के लिए नहीं। पहले सड़कें बना लो, लोगों को बिल भरने लायक पढ़ा लिखा दो, दवा-दारू का इंतजाम कर लो, फिर सोचना वाल मार्क..साल मार्क।
….ब्लॉगरों का इस विषय में ध्यान केंद्रित कर नींद से जगाने की दृष्टि से यह पोस्ट मस्त है।
कर्फुर भी मुझे दिल्ली में दिखा
जहाँ तक मेरा ख्याल हैं वाल मार्ट में बिकने वाला सामान सब चाइना का होगा , दाल सब्जी समेत क्युकी वहाँ से सस्ता कहीं नहीं मिलता . वहाँ से खरीद कर वालमार्ट सब जगह बेचता हैं
भारत से भी तमाम एक्सपोर्टर अपना माल इन कंपनियों को बेचते हैं लेकिन ओपन अकाउंट और क्रेडिट पर लेकिन उन मे से ९० प्रतिशत भी खुद कुछ नहीं बनाते हैं . सब बनवाते हैं
यानी बिचोलिये ही हैं
वाल मार्ट की अपनी ऑफिस बंगलौर में २० साल से माल खरीदने कर आगे बेचने के लिये वहाँ भारतीये नौकरी करते हैं पर एक्सपोर्टर से तगड़ा कमीशन लेते हैं माल पास करने का
छोटे एक्सपोर्टर को कोई नहीं गिनता
वालमार्ट के आने से बेरोजगारी बढ़ेगी
और हाँ अभी जो बच्चे खेतो में काम करते हैं वो भी नहीं कर सकेगे क्युकी बाल मजदूरी वालमार्ट को मंजूर नहीं
तैयार हो जाए चाइना का ५० किलो का कद्दू का एक टुकड़ा खाने के लिये या २० किलो के टमाटर का एक टुकड़ा खाने के लिये
अभी अगर फ्रीज से काम चला लेते हैं तो पत्नी श्री के लिये डीप फ्रीजर लेने के लिये वालमार्ट ही जाना होगा
rachna की हालिया प्रविष्टी..अनामिका की उलझन हैं की वो क्या करे
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..कौए की निजी ज़िंदगी
आपसे किसने कह दिया कि माल-वगैरह में चाय के पैसे लिए जाते हैं.लोग तो वहाँ ‘चक्षु-दर्शन’ का टैक्स देते हैं !
संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..ब्लॉगिंग के साइड-इफेक्ट !
घनश्याम मौर्य की हालिया प्रविष्टी..इंदिरा गोस्वामी जी का निधन
Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..आठ बिगहा पर आगे चर्चा
लीजिए इस चक्कर में पहले वाली बात तो रह गयी “हडबडिया” वाली… आपने लिखा है:
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१. पता नहीं क्यों इसपर अभी तक अन्ना हजारे जी का बयान क्यों नहीं आया है.
२. इससे विकसित देशों के गोदामों में सड़ रही मोबाइलों का सामाजिक उपयोग हो सकेगा।
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मस्त है बाकी तो!!
सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..ब्लॉग-बस्टर पखवाड़ा
कुछ बातें तो इस लेख की वाकई सच होने वाली हैं सच्ची. आपने ठग्गू के लड्डू की याद दिलाकर जाने क्या-क्या याद दिला दिया, जिसमें मुख्य है- शुक्लागंज की दूध की बर्फी.चाचा गंगाघाट में पोस्टेड थे तो जब आते थे, ये बर्फी ज़रूर लाते थे.
‘उद्दार’ को ‘उद्धार’ कर लीजिए. बकिया तो सब ठीक ही है.
aradhana की हालिया प्रविष्टी..दिए के जलने से पीछे का अँधेरा और गहरा हो जाता है…
वालमार्ट मन्दिर के बाद वालमार्ट पुराण, वालमार्टेश्वर महादेव। वालमार्ट की – जय कोई बोलेगा कैसे, लिख हम अकेले रहे हैं…
साहित्य का इतिहास नहीं हिन्दी चिट्ठेकारी का सच्चा इतिहास- रामचन्द्र शुक्ल नहीं, अचार्य अनूप शुक्ल जी…काल विभाजन- किताब आएगी जल्द ही, तब पढेंगे। …
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..योद्धा महापंडित: राहुल सांकृत्यायन (भाग-3)
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..योद्धा महापंडित: राहुल सांकृत्यायन (भाग-3)
shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..जीना यहाँ.. मरना यहाँ ..
vijay gaur की हालिया प्रविष्टी..तीन सौ पैंसठ दिन तीन सौ पैंसठ प्रजातियों के भात का भोग
अभी कुछ दिन पहले ही उदय प्रकाश जी का ही शायद कथन था कहीं – “जो कमजोर हैं, वो मारे जाएंगे”।
सतीश पंचम की हालिया प्रविष्टी..जिन्दगी का एक एपिसोड ऐसा भी रहा……
मनोज कुमार की हालिया प्रविष्टी..प्रभावकारी अहिंसक शस्त्र
Abhishek की हालिया प्रविष्टी..माल में माल ही माल (पटना ९)
समझने वाली बात ये भी है कि वालमार्ट को स्टोर्स खोलने कि इजाजत तो न्यूयोर्क में भी नहीं है …
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..साल्ट लेक सिटी ट्रिप…
प्रकृति के नियम ये कहती है गरीब जित्ते कमेगी(मरेगी)…..गरीबी उत्ते बढ़ेगी(जियेगी) ……………….
बकिया त्रिवेदीजी ने लाख टेक की बात कहे ‘चक्षु दर्शन’…….सच्ची बात……….
pranam.
अंतर्मन की हालिया प्रविष्टी..कुछ शेर
चंद्र मौलेश्वर की हालिया प्रविष्टी..एक पुराना लेख
सतीश चंद्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..हिन्दी दिवस से नयी शुरुआत
dhirusingh की हालिया प्रविष्टी..आजादी में गिरफ्तार हम ….हमारा कसूर क्या
sonal rastogi की हालिया प्रविष्टी..हरि अनंत हरी कथा अनंता !!!
फिर रियल प्रॉब्लम पर ध्यान ही हट जाय, की बस बयान बाजियों से पेट भर ले.