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अभी बारह नहीं बजे हैं
By फ़ुरसतिया on December 12, 2012
पिछले कुछ दिन से बारह, बारह, बारह के चर्चे हैं।
खास तारीख है। दिन, महीना, साल का तो बारह बजे घंटो बीत गये। अब बस घंटा ,मिनट , सेकेंड का बारह बजना बाकी है। उसका भी बज ही जायेगा।
दुनिया भर से खबरे आ रही हैं। लोगों के प्लान हैं। कोई बारह बजकर बारह मिनट पर शादी करने जा रहा है। क्या पता किसी का तलाक का प्लान हो। कोई इस मौके पर गाड़ी खरीदने जा रहा है कोई घोड़ा। तमाम लोग होंगे जो आज के दिन बारह बजकर बारह मिनट पर बच्चे का जन्म चाहते होंगे।भर्ती हो गये होंगे नर्सिंग होम में। बच्चा होगा तो नाम भी धर लेंगे बारह सिंह, द्वादस कुमार, ट्वेल्व ट्वेल्व । आगे चलकर वे शायद TT या BB (बारह बजे) के नाम से प्रसिद्ध हों।
आम तौर पर प्रसिद्ध व्यक्तियों, घटनाओं से जुड़ी तारीखें याद की जाती हैं। इम्तहान के लिये रटी जाती हैं। दो अक्टूबर माने गांधी जयन्ती, चौदह नवंबर माने बालदिवस। पन्द्रह अगस्त माने स्वंतंत्रता दिवस, छब्बीस जनवरी माने गणतंत्र दिवस। इन तारीखों में हुई घटनाओं ने इनको खास बनाया। ये घटनायें अगर इनके अलावा और किसी दिन हुई होतीं तो इनकी जगह वे तारीखें याद की जातीं।
बारह बारह बारह का मामला उलट इंजीनियरिंग का है। इस दिन बारह बजकर बारह बजे काम किये जायें ताकि वे जिंदगी भर याद रहें। यह सोच ताजमहल के सामने फोटो खिंचाकर प्रेमी बनने जैसी है। किसी महापुरुष के साथ फोटो खिंचाकर महान बनने की इच्छा जैसी है। कुदाल के साथ फ़ोटो खिंचाकर खुद को मेहनती बताने जैसी है।
आप कुछ ऐसे काम करें जिससे वो तारीख यादगार हो के बजाय आप खास तारीख में खास बजकर खास मिनट खास मिनट कुछ भी करके यादगार बनने की ललक कैलेंडरी करप्शन जैसा है।
कानपुर में ऐसा हुआ था आठ अगस्त, सन दो हजार आठ में। आठ, आठ, आठ । खास दिन। तीन फ़ैक्ट्रियों के महाप्रबंधक बने, बदले। तीनों लोगों को तबादले पर जाना था। तीनों ने तय किया कि आठ अगस्त को ही अदला-बदली करेंगे। की भी गयी। एक साहब तो अक्सर सुनाते रहे कि वे एक ही दिन दो जगह के महाप्रबंधक रहे। सुबह एक फ़ैक्ट्री के शाम को दूसरी के। कुछ नहीं तो कुल मिलाकर हजार घंटे तो इस बात का जिक्र हुआ ही होगा इस बात का। साहब की दिहाड़ी के हिसाब से देखा (पांच सौ रुपया प्रति घंटा) तो कम से कम पांच लाख रुपये के बराबर समय बरबाद हुआ यह याद करने में कि वे एक साथ जो जगह के महाप्रंबंधक रहे। जिन लोगों के साथ यह यादें साझा हुई होंगी उनका भी समय अगर जोड़ लिया जाये तो बरबादी करोड़ों तक पहुंचेगी।
इस कैलेंडरी निठल्लेपन की बात को अगर दुनिया भर के लोगों तक फ़ैलाया जाये तो अरबों-खरबों तक पहुंचेगा मामला। अनगिन लोगों ने सालों तक यह बयान किया होगा कि अमुक खास दिन में अमुक खास समय हमने अमुक काम किया होगा। कित्ता तो नुकसान हुआ होगा दुनिया का एक खास तारीख से जुड़ने की लालसा में।
बाजार अपन की पंचागी ललक का फ़ायदा उठाता है। आज बारह बजकर बारह मिनट पर न जाने क्या-क्या खर्चे के जुगाड़ बना रखे होंगे आपके लिये। इस समय आप खर्चा कीजिये ताकि पल यादगार हो सकें। न जाने कित्ते घंटे, दिन बरबाद हुये होंगे इस खास घड़ी के इंतजार में। पहले आने के इंतजार में बरबादी । इसके गुजर जाने पर इसके बारे में चर्चा करने में घंटों की बरबादी।
अभी तो बारह नहीं बजे हैं। कुछ घंटे बाकी हैं। लेकिन हमसे कोई पूछे कि हम बारह बजकर बारह मिनट पर क्या करना चाहेंगे तो अपन का प्लान तो यह है कि अगर याद रहा तो अपन बारह बजकर मुस्करायेंगे। इससे ज्यादा और कुच्छ नहीं करेंगे इस ऐतिहासिक पल मौके पर। मजा आया मुस्कराने में तो और मुस्करायेंगे। न हुआ तो तीन चार को पकड़ के बैठा लेंगे और कहेंगे चलो मुस्कराते हैं यार। फोटो-सोटो भी खैंचकर फ़ेसबुक पर सटा देंगे और जिन्दगी भर याद करेंगे कि ये देक्खो हम बारह-बारह को मुस्करा रहे थे। और मुस्कराने का मन हुआ तो घड़ी आगे -पीछे करके मुस्करायेंगे। बारह-बारह-बारह की कांटा पु्लिंग करके फ़्रीज कर देंगे और जित्ता मन करेगा मुस्कराते रहेंगे।
मुस्कराते हुये हम यह सोचकर खुश भी होंगे कि कैलेंडर में तेहरवां महीना नहीं होता।
हम तो अभैयें से प्रैक्टिस भी शुरु कर दिये मुस्कराने का। आपका क्या प्लान है। आप क्या कीजियेगा बताइये न जरा।
खास तारीख है। दिन, महीना, साल का तो बारह बजे घंटो बीत गये। अब बस घंटा ,मिनट , सेकेंड का बारह बजना बाकी है। उसका भी बज ही जायेगा।
दुनिया भर से खबरे आ रही हैं। लोगों के प्लान हैं। कोई बारह बजकर बारह मिनट पर शादी करने जा रहा है। क्या पता किसी का तलाक का प्लान हो। कोई इस मौके पर गाड़ी खरीदने जा रहा है कोई घोड़ा। तमाम लोग होंगे जो आज के दिन बारह बजकर बारह मिनट पर बच्चे का जन्म चाहते होंगे।भर्ती हो गये होंगे नर्सिंग होम में। बच्चा होगा तो नाम भी धर लेंगे बारह सिंह, द्वादस कुमार, ट्वेल्व ट्वेल्व । आगे चलकर वे शायद TT या BB (बारह बजे) के नाम से प्रसिद्ध हों।
आम तौर पर प्रसिद्ध व्यक्तियों, घटनाओं से जुड़ी तारीखें याद की जाती हैं। इम्तहान के लिये रटी जाती हैं। दो अक्टूबर माने गांधी जयन्ती, चौदह नवंबर माने बालदिवस। पन्द्रह अगस्त माने स्वंतंत्रता दिवस, छब्बीस जनवरी माने गणतंत्र दिवस। इन तारीखों में हुई घटनाओं ने इनको खास बनाया। ये घटनायें अगर इनके अलावा और किसी दिन हुई होतीं तो इनकी जगह वे तारीखें याद की जातीं।
बारह बारह बारह का मामला उलट इंजीनियरिंग का है। इस दिन बारह बजकर बारह बजे काम किये जायें ताकि वे जिंदगी भर याद रहें। यह सोच ताजमहल के सामने फोटो खिंचाकर प्रेमी बनने जैसी है। किसी महापुरुष के साथ फोटो खिंचाकर महान बनने की इच्छा जैसी है। कुदाल के साथ फ़ोटो खिंचाकर खुद को मेहनती बताने जैसी है।
आप कुछ ऐसे काम करें जिससे वो तारीख यादगार हो के बजाय आप खास तारीख में खास बजकर खास मिनट खास मिनट कुछ भी करके यादगार बनने की ललक कैलेंडरी करप्शन जैसा है।
कानपुर में ऐसा हुआ था आठ अगस्त, सन दो हजार आठ में। आठ, आठ, आठ । खास दिन। तीन फ़ैक्ट्रियों के महाप्रबंधक बने, बदले। तीनों लोगों को तबादले पर जाना था। तीनों ने तय किया कि आठ अगस्त को ही अदला-बदली करेंगे। की भी गयी। एक साहब तो अक्सर सुनाते रहे कि वे एक ही दिन दो जगह के महाप्रबंधक रहे। सुबह एक फ़ैक्ट्री के शाम को दूसरी के। कुछ नहीं तो कुल मिलाकर हजार घंटे तो इस बात का जिक्र हुआ ही होगा इस बात का। साहब की दिहाड़ी के हिसाब से देखा (पांच सौ रुपया प्रति घंटा) तो कम से कम पांच लाख रुपये के बराबर समय बरबाद हुआ यह याद करने में कि वे एक साथ जो जगह के महाप्रंबंधक रहे। जिन लोगों के साथ यह यादें साझा हुई होंगी उनका भी समय अगर जोड़ लिया जाये तो बरबादी करोड़ों तक पहुंचेगी।
इस कैलेंडरी निठल्लेपन की बात को अगर दुनिया भर के लोगों तक फ़ैलाया जाये तो अरबों-खरबों तक पहुंचेगा मामला। अनगिन लोगों ने सालों तक यह बयान किया होगा कि अमुक खास दिन में अमुक खास समय हमने अमुक काम किया होगा। कित्ता तो नुकसान हुआ होगा दुनिया का एक खास तारीख से जुड़ने की लालसा में।
बाजार अपन की पंचागी ललक का फ़ायदा उठाता है। आज बारह बजकर बारह मिनट पर न जाने क्या-क्या खर्चे के जुगाड़ बना रखे होंगे आपके लिये। इस समय आप खर्चा कीजिये ताकि पल यादगार हो सकें। न जाने कित्ते घंटे, दिन बरबाद हुये होंगे इस खास घड़ी के इंतजार में। पहले आने के इंतजार में बरबादी । इसके गुजर जाने पर इसके बारे में चर्चा करने में घंटों की बरबादी।
अभी तो बारह नहीं बजे हैं। कुछ घंटे बाकी हैं। लेकिन हमसे कोई पूछे कि हम बारह बजकर बारह मिनट पर क्या करना चाहेंगे तो अपन का प्लान तो यह है कि अगर याद रहा तो अपन बारह बजकर मुस्करायेंगे। इससे ज्यादा और कुच्छ नहीं करेंगे इस ऐतिहासिक पल मौके पर। मजा आया मुस्कराने में तो और मुस्करायेंगे। न हुआ तो तीन चार को पकड़ के बैठा लेंगे और कहेंगे चलो मुस्कराते हैं यार। फोटो-सोटो भी खैंचकर फ़ेसबुक पर सटा देंगे और जिन्दगी भर याद करेंगे कि ये देक्खो हम बारह-बारह को मुस्करा रहे थे। और मुस्कराने का मन हुआ तो घड़ी आगे -पीछे करके मुस्करायेंगे। बारह-बारह-बारह की कांटा पु्लिंग करके फ़्रीज कर देंगे और जित्ता मन करेगा मुस्कराते रहेंगे।
मुस्कराते हुये हम यह सोचकर खुश भी होंगे कि कैलेंडर में तेहरवां महीना नहीं होता।
हम तो अभैयें से प्रैक्टिस भी शुरु कर दिये मुस्कराने का। आपका क्या प्लान है। आप क्या कीजियेगा बताइये न जरा।
Posted in बस यूं ही | 19 Responses
आशीष श्रीवास्तव की हालिया प्रविष्टी..हिग्स बोसान मिल ही गया !
सादर
AKASH की हालिया प्रविष्टी..माँ
प्रणाम.
संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..हवा का झोंका !
ajit gupta की हालिया प्रविष्टी..राजा के दरबारियों की वर्दी
sonal की हालिया प्रविष्टी..हरि अनंत हरी कथा अनंता !!!
कुछ ऐसे काम करें जिससे वो तारीख यादगार हो के बजाय खास तारीख में कुछ भी करके यादगार बनने की ललक कैलेंडरी करप्शन जैसा है।
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..रोते हुए आते हैं सब !!!
दीपक बाबा की हालिया प्रविष्टी..दादी माँ की दो कहानियाँ
सतीश पंचम की हालिया प्रविष्टी..देश बऊराना एफडीआई चौक…..
फुरसतिया क्षणों में वैठे वैठे प्लान आया कि महानतम ब्लागरों को अपने साथ वटोर लूँ सो आप लोगों के ब्लागों का लिंक अपने राष्ट्रधर्म पर डाल दिया है कृपया आ कर जरुर देखिये ।
http://rastradharm.blogspot.in राष्ट्रधर्म एक राष्ट्रीय पत्र एवं ब्लाग एग्रीगेटर
ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय की हालिया प्रविष्टी..यह कैसी शासन व्यवस्था है।जिस पर हमारा कोई नियंत्रण नही -योगेश गर्ग
सच कहा आपने- हमारी ओर भी नामकरण हुआ- “द्वादश”!
हिमांशु की हालिया प्रविष्टी..सावित्री-3
हिमांशु की हालिया प्रविष्टी..सावित्री-3
अभी ६ दिन में आएगी २०/१२/२०१२ – बोले तो “बीस बारह बीस बारह” – बस ये सब कमार्शियलाइजेशन चलता रहेगा …
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२१ दिसम्बर २०१२ के बारे में आप के क्या विचार हैं?जानना ज़रूर चाहेंगे.
-सुना है इस तारीख होने वाला दुनिया का विनाश तकनीकी कारणों से ऊपर वाले ने अगले साल तक के लिए टाल दिया गया है!
Alpana की हालिया प्रविष्टी..बरसे मेघ…अहा!
सतीश चन्द्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..हाथी और जंजीरें