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ठेले पर कयामत
By फ़ुरसतिया on December 21, 2012
केयामत लेल्लो जी केयामत। रंग-बिरंगी केयामत। ताजी रसभरी केयामत्त। लेल्लो जरा बची है। कल का भरोसा नहीं। आज ले ल्लो केयामत।
हर तरफ़ कयामत सजी थी। तरह-तरह की कयामत। कयामत के अलावा और कुछ नहीं दिख रहा था। एक ठेले वाले से पूछा कि भाई कयामत के अलावा कुछ और नहीं है क्या आज? वो बोला- आज की थीम तो कयामत की ही है। आज सिर्फ़ कयामत बिकेगी। कयामत के सिवा और कुच्छ नहीं। देख लीजिये इत्ते तरह की कयामत फ़िर नहीं मिलेगी दोबारा। सच अ हैवी डिस्काउंट यू विल नेवर फ़ाइंड अगेन।
ठेले वाले की अंग्रेजी के प्रभावित होकर हम उसके ठेले में सजी तरह-तरह की कयामतों को उलट-पुलट के देखने लगे। उससे पूछने लगे कि कुछ बताओ कौन सी कयामत बेहतर है तो उसने कहा हमारे पास आज कहां टाइम? लेकिन यहां वाई-फ़ाई लगा है। अपने मोबाइल को नेट से कनेक्ट करके गूगल पर मनचाही कयामत खोज लो। हमने कनेक्ट किया तो तरह-तरह की कयामतें दिखीं। आज भी जरा देख लीजिये कैसी-कैसी कयामतें सजी हैं उधर:
हर तरफ़ कयामत सजी थी। तरह-तरह की कयामत। कयामत के अलावा और कुछ नहीं दिख रहा था। एक ठेले वाले से पूछा कि भाई कयामत के अलावा कुछ और नहीं है क्या आज? वो बोला- आज की थीम तो कयामत की ही है। आज सिर्फ़ कयामत बिकेगी। कयामत के सिवा और कुच्छ नहीं। देख लीजिये इत्ते तरह की कयामत फ़िर नहीं मिलेगी दोबारा। सच अ हैवी डिस्काउंट यू विल नेवर फ़ाइंड अगेन।
ठेले वाले की अंग्रेजी के प्रभावित होकर हम उसके ठेले में सजी तरह-तरह की कयामतों को उलट-पुलट के देखने लगे। उससे पूछने लगे कि कुछ बताओ कौन सी कयामत बेहतर है तो उसने कहा हमारे पास आज कहां टाइम? लेकिन यहां वाई-फ़ाई लगा है। अपने मोबाइल को नेट से कनेक्ट करके गूगल पर मनचाही कयामत खोज लो। हमने कनेक्ट किया तो तरह-तरह की कयामतें दिखीं। आज भी जरा देख लीजिये कैसी-कैसी कयामतें सजी हैं उधर:
- कयामत-कयामत: यह थीम कयामत है। इसमें बताया गया है कि दुनिया में आप कुछ भी करें अंतत: कयामत होकर रहेगी। सिक्के के दूसरे पहलू की तरह यह भी दिखाया गया था कि जो मन में आये करते रहो कोई कयामत थोड़ी होने वाली है।
- डिस्काऊंट कयामत: यह वालमार्ट के बाद आने वाली कयामत का सीन है। जो चीज आपको चाहिये उसको छोड़कर हरेक चीज पर भयंकर डिस्काउंट है। आपको मंजन चाहिये तो पता चला कि साबुन पर हैवी डिस्काउंट है। बिस्कुट चाहिये तो वहां हाजमोला डिस्काउंट पर है। पानी चाहिये तो दारू पर भयंकर छूट है। डिस्काउंट का आतंक इतना है कि लोग सारे पैसे डिस्काउंट वाली चीज की खरीद में खपा रहे हैं। बाकी के लिये लोन ले रहे हैं। एक ने तो पचीस शर्टें डिस्काउंट पर खरीद डाली लेकिन पैंट पर डिस्काउंट के इंतजार में उनको पहन नहीं पा रहा है। लोग इस बात पर अवसाद के शिकार हो रहे हैं कि चीजें सामान्य दाम पर खरीदने के तुरंत बाद हैवी डिस्काउंट पर चली जाती हैं। वे भागकर बाकी बचे पैसे से फ़िर वही खरीदते हैं। वाल मार्ट के बाहर ही ज्योतिषियों के खोमचे खुल गये हैं जो आपकी जन्मपत्री देखकर बताते हैं कि कौन सी चीज कब डिस्काउंट पर जाने वाली है। कुल मिलाकर बताया गया है कि दुनिया जब कभी खतम होगी तो उसका कारण डिस्काउंट ही होगा।
- कविता कयामत: इस ठेले पर हर तरह कवितायें ही कवितायें सजी हुयी हैं। हर तरह की कवितायें। ताजी, गर्म, नर्म, सड़ी, गली, भली, बहुत भली, शरीफ़, बदमाश कवितायें। देशभक्ति की कवितायें तो एकदम भाले की तरह तनी हैं। पढ़ते ही फ़टाक से कयामत का सीन बन जाता है। कुछ प्रेम की कवितायें तो इत्ती कोमल हैं कि उनको देखने भर से वे मुर्झा गयीं। दुकान वाले ने हर्जाना धरा लिया कविताओं के बराबर। भावुक कवितायें जहां सजी थीं वहां तौलिये की दुकान खूब चल रही थी। लोग आंसू पोंछते हुये कवितायें बांच रहे थे। भ्रष्टाचार विरोधी कविताओं का स्टॉक खतम हो गया था। नयी खेप के लिये एडवांस बुकिंग चालू थी। लल्बो-लुआब यह है कि एक दिन ऐसा आयेगा कविता सुनाने/बचने के चक्कर में मारपीट करते हुये मारें जायेंगे। दुनिया की कयामत की जड़ में कविता होगी।
- देशभक्ति कयामत: हर तरफ़ लोग देशभक्ति के काम में जुटे हैं। जिसे देखो वो अपने हिस्से के देश का भला करे डाल रहा है। अपने हिस्से का भला करने के बाद लोग दूसरे के हिस्से को नोचकर उसकी भी भलाई कर के डाल दे रहे हैं। कई-कई बार भलाई कर रहे हैं। देश से निपटकर विदेश निपटा रहे हैं। विदेश निपटाने के बाद फ़िर स्वदेशी हो रहे हैं। इस चक्कर में उनके पास पैसा, पावर जमा हो गया है। उसको लोग इधर-उधर खपाकर फ़िर भलाई में जुटे जा रहे हैं। इस हिस्से के इतिहासकार अपनी किताबों में लिखकर धर लिये हैं- दुनिया का भला करने में प्रतिस्पर्धा ही कयामत का कारण बनी।
- तकनीकी कयामत: दुनिया का खातमा दुनिया वालों के ही हाथों होगा। दिन प्रतिदिन घातक हथियार बनाने के क्रम हम कोई ऐसा हथियार बनायेंगे जिससे सारी दुनिया निपट सके। कोई सिरफ़िरा उसका ट्रायल करते हुये दुनिया निपटा देगा। या दुनिया इत्ती तरक्की कर डालेगी कि सब लोग पिकनिक मनाने दूसरे ग्रह में जायेंगे। पूरी पृथ्वी के लोग किसी दिन दूसरे ग्रह पर गये होंगे। लौटते समय धरती से कनेक्शन दूट जायेगा। तमाम कोशिशों के बावजूद आई.आर.टी.सी. की साइट की तरह धरती से तार जुड़ेंगे नहीं और हम सारी उन्नत सभ्यता अपने वायुयान में समेटे डम्प्लाट ब्रह्मांड में भटकते फ़िरेंगे। यह तकनीकी कयामत होगी।
- करप्शन कयामत: दुनिया भर में करप्शन का नामोनिशान मिट गया है। हथियारों के दलाल खतम हो गये हैं। चुनाव में टिकट बिना पैसे लिये मिलने लगे हैं।मिलावट खत्म है। दंगे नहीं हो रहे हैं। कोई प्रधानमंत्री बनने के लिये लालायित नहीं दिखता। न कोई राष्ट्रपति बनने के लिये उचकता है। सब अपनी-अपनी खटिया में बैठे आराम फ़र्माते दिख रहे हैं। तबादले बन्द हो गये हैं। ठेकेदारी खतम हो गयी है। ट्रेन में टी.टी. खतम हो गये हैं। अपराध खतम हो गये हैं। पुलिस विभाग बंद हो गया है। फ़ौंजे पहले बैरकों में लौटीं फ़िर घरों में और फ़िर कहीं और। दुनिया की सारी प्रगति ठप्प हो गयी है। दुनिया एकदम ठहर गयी है। भ्रष्टाचार के अभाव में दुनिया का सारा कार्य व्यापार ठप्प हो गया है।कयामत आ गयी है।
- प्राकृतिक कयामत: कुछ नहीं बस दुनिया ऐसे ही चलती रहेगी। जीवन के सब साधन बिकाऊ होते जायेंगे। पानी, हवा सब खराब हो जायेगा। अकाल, महामारी, भुखमरी में अनगिनत लोग निपट जायेंगे। फ़िर जित्ते बचेंगे उत्ते लोग अकल की बात के साथ हरकतें भी करेंगे। बचे हुये लोग कयामत के किस्से सुनायेंगे। उनकी आगे वाली पीढी के लोग उनसे कहेंगे क्या गप्पाष्टक है। इसी तरह की तमाम कयामतों को देखते हुये एक राप्चिक टाइप कयामत की तरफ़ इशारा करते जब पूछा गया कि ये वाली कयामत किस ठेले पर मिलेगी तो उस ठेले वाले ने पूछा कि अरे भाई जो ये आप देख रहे हैं वो कयामत नहीं फ़ुरसतिया पर छपी ताजी पोस्ट है। अब जब देख ही लिये हैं तो टिपिया भी लीजिये। न जाने कब कयामत आ जाये।
Posted in बस यूं ही | 18 Responses
jatdevta SANDEEP की हालिया प्रविष्टी..गीता – सार GEETA SUMMARY
क़यामत पोस्ट……….
प्रणाम.
Kajal Kumar की हालिया प्रविष्टी..कार्टून :- सन 2052 का भारतीय क्रिकेट
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..टिप्पणियाँ भी साहित्य हैं
रामराम.
ताऊ लठ्ठवाले की हालिया प्रविष्टी..अपनी बीबी के नाम से दे दे सेठ…दो दिन से कुछ मुर्गा…अंगूरी नही चखी है सेठ…
एक नए नज़रिए से सामयिक समस्याओं को देखता हुआ यह लेख अच्छा कटाक्ष है .इतनी तरह की क़यामतें हैं जो अक्सर आती रहती हैं और ये दुनिया फिर भी टिकी है वाकई बड़ा आश्चर्य है.
Alpana की हालिया प्रविष्टी..आप कहाँ हैं ?यूँ मौन क्यूँ हैं?
ajit gupta की हालिया प्रविष्टी..पुरुषों की स्वतंत्रता
संजय @ मो सम कौन की हालिया प्रविष्टी..ये आना भी कोई आना है फ़त्तू?….
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..वे उधार लेने वाले
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कैसी कयामत पोस्ट है यह… तमाम कयामतों को एक साथ ही निबटा दिया है…
केयामत लेल्लो जी केयामत। रंग-बिरंगी केयामत। ताजी रसभरी केयामत्त।… हाँ लिये जा रहे हैं साथ… एक दो को निपटाना जो है…
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