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भक्त कल्याण कोचिंग सेंटर
By फ़ुरसतिया on December 14, 2012
नारद जी धरती पर डेपुटेशन पर आये हैं। स्वर्ग के हाल-चाल बताने लगे।
बता रहे थे आजकल स्वर्ग में देवताओं की आबादी बढ़ गयी है। रहने की दिक्कत है। साधन कम हो गये हैं। देवता झल्लाते रहते हैं। कुछ तो कहते हैं ससुर इससे मजे में तो हम मृत्युलोक में थे। क्या ऐश थी वहां।
कुछ देवताओं ने अर्जी भी लगाई कि उनको वापस धरती पर भेज दिया जाये ताकि वे वहां आराम से रह सकें। लेकिन उनकी अर्जी खारिज हो गयी इस आधार पर कि अगर वे वापस गये तो स्वर्ग की छवि गड़बड़ हो जायेगी। लोग स्वर्ग में आने के लिये जो मेहनत करते हैं, पुण्य करते हैं, देवताओं को चढ़ावा चढ़ाते हैं वो सब कम हो जायेगा। आमदनी कम हो जायेगी। आमदनी में कमी कोई कैसे सह सकता है। अमेरिका उपद्रवियों को हथियार तक बेचता रहता है ताकि आमदनी होती रहे। लिहाजा सब देवता स्वर्गलोक में रहने को मजबूर हैं।
कुछ देवताओं ने धरती पर अपने-अपने भक्तों की भलाई के लिये बहुत खींच तान की। छोटे देवता अपने भक्तों की भलाई के लिये काफ़ी कुछ करना चाहते हैं लेकिन कर नही पाते। कारण पता चलता है कि उनकी भलाई से किसी शक्तिशाली देवता के भक्त के हित बाधित होते हैं। जूनियर देवता, सीनियर देवता के जलवे के आगे निस्तेज हो जाते हैं। अपनी शक्ति वर्धन के उपाय करते हैं। मत्युलोक में अपने मंदिर बढ़वाने के लिये भक्तों को उत्साहित करते हैं। भक्त जमीन की कमी की बात कहते हैं तो देवता उनके दिमाग में आइडिया भेजते हैं कि- वत्स-सड़क के बीच डिवाइडर पर मंदिर बना, कूड़ाघर के ऊपर बना, नदीतट पर बना, नाले पर नींव धर, वीराने में आबाद कर। जहां जगह मिले कब्जा कर और मंदिर बना। धर्म के काम करने में संकोच मती कर।
नारद जी बताने लगे कि पुराने देवता कुछ करते-धरते नहीं। संयुक्त राष्ट्रसंघ के स्थायी सदस्य सरीखे खाली अपने पावरफ़ुल भक्तों के पक्ष में ’वरदान वीटो’ लगाते रहते हैं।
पता चला कि अब तो देवता लोग वरदान भी देने के चक्कर में नहीं पड़ते। न किसी भक्त की पुकारपर भागते हुये मत्युलोक आते हैं। हर जगह उन्होंने मंदिरों पर अपने ’प्रार्थना टावर’ टाइप बना रखे हैं। प्रार्थनायें ’प्रार्थना टावर’ पर रिसीव करते हैं। ज्यादातर प्रार्थनाओं में कोई न कोई कमी बताकर भक्त को वापस कर देते हैं। जैसे कि- प्रार्थना पूरे मन से नहीं की है। स्वर में आर्तता का फ़्लेवर कम है। अभी पर्याप्त कष्ट नहीं है। ये दुख भले के लिये है।
यह देखकर कभी-कभी तो लगता है कि भगवान लोग के ’प्रार्थना टावर’ से तो भले मत्युलोक के सामान बेचने वालों के सर्विस सेंटर अच्छे जहां उपभोक्ता फ़ोरम की धमकी देने पर कुछ तो काम हो जाता है।
भगवान लोगों को ऊपर से सब कुछ दिखता है। वे भक्तों की चालबाजियों से हलकान रहते हैं। देखते हैं भक्त लोग एक साथ कई देवताओं को साधते हैं। एक सी कार्तरता से परस्पर विरोधी भगवान को पटाते हैं। भगवानों को गुस्सा तो बहुत आता है लेकिन क्या करें अब भक्त तो बदल नहीं सकते। जो है उससे ही निभाते हैं।
कुछ-कुछ देवता तो बहुत उत्साही हो जाते हैं। अपने भक्तों की भलाई के लिये आपस में उत्तरीय-पीताम्बर तक फ़ाड़ डालते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वे ऐसा इसलिये करते हैं ताकि आगे चलकर प्रधान देवता बन सकें। बहस करने के लिये , गाली-गलौज करने के नये-नये तरीके सीखने के लिये विभिन्न देशों की संसदों की वीडियो क्लिप देखते रहते हैं।
देवताओं की अपने भक्त बढ़ाने की ललक के ये हाल हैं कि वे छुप-छुपकर नरक की कैंटीन में जाकर चाय पीने के बहाने मत्युलोक से आये छंटे नेताओं से उनके वोटबैंक बढ़ाने के अनुभव सुनाने की जिद करते है। कुछ शातिर नरकवासियों ने तो बाकायदा भक्त बढ़ाने की तरकीब सिखाने के कोचिंग सेंटर तक खोल रखे हैं। नौनिहाल देवता घंटो वहां नोट्स लेते रहते हैं। वे ’भक्त कैलकुलस’,’चेला प्रोग्रामिंग’ के रट्टे लगाते हैं। एकदम कोटा और कानपुर की कोचिंग सेंटरों जैसा सीन दिखता है।
नारद जी से हमें और भी बहुत कुछ जानकारी मिली स्वर्ग के बारे में। बताने लगे बस ये समझ लीजिये कि देवता लोग अपने भक्तों के भले के लिये उसी तरह कटिबद्ध रहते हैं जैसे यहां जनप्रतिनिधि लोग देश के भले के लिये पिले रहते हैं। जैसे यहां मार-पीट, खून-खराबा तक कर डालते हैं जनता के विकास के लिये वैसे ही देवता भी अपने भक्तों के लिये क्या-क्या नहीं कर डालते हैं।
अब मुझे कुछ-कुछ पता चल रहा है कि कैसे जगह-जगह सड़कों के बीच डिवाइडर पर फ़ुटपाथों पर मंदिर क्यों प्रकट हो रहे हैं। दुनिया भर में भक्ति भावना क्यों बढ़ रही है। भगवान अपने भक्तों के क्ल्याण में जुटे हुये हैं।
बता रहे थे आजकल स्वर्ग में देवताओं की आबादी बढ़ गयी है। रहने की दिक्कत है। साधन कम हो गये हैं। देवता झल्लाते रहते हैं। कुछ तो कहते हैं ससुर इससे मजे में तो हम मृत्युलोक में थे। क्या ऐश थी वहां।
कुछ देवताओं ने अर्जी भी लगाई कि उनको वापस धरती पर भेज दिया जाये ताकि वे वहां आराम से रह सकें। लेकिन उनकी अर्जी खारिज हो गयी इस आधार पर कि अगर वे वापस गये तो स्वर्ग की छवि गड़बड़ हो जायेगी। लोग स्वर्ग में आने के लिये जो मेहनत करते हैं, पुण्य करते हैं, देवताओं को चढ़ावा चढ़ाते हैं वो सब कम हो जायेगा। आमदनी कम हो जायेगी। आमदनी में कमी कोई कैसे सह सकता है। अमेरिका उपद्रवियों को हथियार तक बेचता रहता है ताकि आमदनी होती रहे। लिहाजा सब देवता स्वर्गलोक में रहने को मजबूर हैं।
कुछ देवताओं ने धरती पर अपने-अपने भक्तों की भलाई के लिये बहुत खींच तान की। छोटे देवता अपने भक्तों की भलाई के लिये काफ़ी कुछ करना चाहते हैं लेकिन कर नही पाते। कारण पता चलता है कि उनकी भलाई से किसी शक्तिशाली देवता के भक्त के हित बाधित होते हैं। जूनियर देवता, सीनियर देवता के जलवे के आगे निस्तेज हो जाते हैं। अपनी शक्ति वर्धन के उपाय करते हैं। मत्युलोक में अपने मंदिर बढ़वाने के लिये भक्तों को उत्साहित करते हैं। भक्त जमीन की कमी की बात कहते हैं तो देवता उनके दिमाग में आइडिया भेजते हैं कि- वत्स-सड़क के बीच डिवाइडर पर मंदिर बना, कूड़ाघर के ऊपर बना, नदीतट पर बना, नाले पर नींव धर, वीराने में आबाद कर। जहां जगह मिले कब्जा कर और मंदिर बना। धर्म के काम करने में संकोच मती कर।
नारद जी बताने लगे कि पुराने देवता कुछ करते-धरते नहीं। संयुक्त राष्ट्रसंघ के स्थायी सदस्य सरीखे खाली अपने पावरफ़ुल भक्तों के पक्ष में ’वरदान वीटो’ लगाते रहते हैं।
पता चला कि अब तो देवता लोग वरदान भी देने के चक्कर में नहीं पड़ते। न किसी भक्त की पुकारपर भागते हुये मत्युलोक आते हैं। हर जगह उन्होंने मंदिरों पर अपने ’प्रार्थना टावर’ टाइप बना रखे हैं। प्रार्थनायें ’प्रार्थना टावर’ पर रिसीव करते हैं। ज्यादातर प्रार्थनाओं में कोई न कोई कमी बताकर भक्त को वापस कर देते हैं। जैसे कि- प्रार्थना पूरे मन से नहीं की है। स्वर में आर्तता का फ़्लेवर कम है। अभी पर्याप्त कष्ट नहीं है। ये दुख भले के लिये है।
यह देखकर कभी-कभी तो लगता है कि भगवान लोग के ’प्रार्थना टावर’ से तो भले मत्युलोक के सामान बेचने वालों के सर्विस सेंटर अच्छे जहां उपभोक्ता फ़ोरम की धमकी देने पर कुछ तो काम हो जाता है।
भगवान लोगों को ऊपर से सब कुछ दिखता है। वे भक्तों की चालबाजियों से हलकान रहते हैं। देखते हैं भक्त लोग एक साथ कई देवताओं को साधते हैं। एक सी कार्तरता से परस्पर विरोधी भगवान को पटाते हैं। भगवानों को गुस्सा तो बहुत आता है लेकिन क्या करें अब भक्त तो बदल नहीं सकते। जो है उससे ही निभाते हैं।
कुछ-कुछ देवता तो बहुत उत्साही हो जाते हैं। अपने भक्तों की भलाई के लिये आपस में उत्तरीय-पीताम्बर तक फ़ाड़ डालते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वे ऐसा इसलिये करते हैं ताकि आगे चलकर प्रधान देवता बन सकें। बहस करने के लिये , गाली-गलौज करने के नये-नये तरीके सीखने के लिये विभिन्न देशों की संसदों की वीडियो क्लिप देखते रहते हैं।
देवताओं की अपने भक्त बढ़ाने की ललक के ये हाल हैं कि वे छुप-छुपकर नरक की कैंटीन में जाकर चाय पीने के बहाने मत्युलोक से आये छंटे नेताओं से उनके वोटबैंक बढ़ाने के अनुभव सुनाने की जिद करते है। कुछ शातिर नरकवासियों ने तो बाकायदा भक्त बढ़ाने की तरकीब सिखाने के कोचिंग सेंटर तक खोल रखे हैं। नौनिहाल देवता घंटो वहां नोट्स लेते रहते हैं। वे ’भक्त कैलकुलस’,’चेला प्रोग्रामिंग’ के रट्टे लगाते हैं। एकदम कोटा और कानपुर की कोचिंग सेंटरों जैसा सीन दिखता है।
नारद जी से हमें और भी बहुत कुछ जानकारी मिली स्वर्ग के बारे में। बताने लगे बस ये समझ लीजिये कि देवता लोग अपने भक्तों के भले के लिये उसी तरह कटिबद्ध रहते हैं जैसे यहां जनप्रतिनिधि लोग देश के भले के लिये पिले रहते हैं। जैसे यहां मार-पीट, खून-खराबा तक कर डालते हैं जनता के विकास के लिये वैसे ही देवता भी अपने भक्तों के लिये क्या-क्या नहीं कर डालते हैं।
अब मुझे कुछ-कुछ पता चल रहा है कि कैसे जगह-जगह सड़कों के बीच डिवाइडर पर फ़ुटपाथों पर मंदिर क्यों प्रकट हो रहे हैं। दुनिया भर में भक्ति भावना क्यों बढ़ रही है। भगवान अपने भक्तों के क्ल्याण में जुटे हुये हैं।
Posted in बस यूं ही | 17 Responses
बहस करने के लिये , गाली-गलौज करने के नये-नये तरीके सीखने के लिये विभिन्न देशों की संसदों की वीडियो क्लिप देखते रहते हैं………………….
नौनिहाल देवता घंटो वहां नोट्स लेते रहते हैं। वे ’भक्त कैलकुलस’,’चेला प्रोग्रामिंग’ के रट्टे लगाते हैं। एकदम कोटा और कानपुर की कोचिंग सेंटरों जैसा सीन दिखता है।…………………
भगवानजी के हालत ऐसे हैं …………….. तो भक्तों का क्या होगा????????
एक-दम्मै टाप्चिक है…..
प्रणाम.
एक बार मैंने एक नेताजी के मुंह से सुना कि तबादला हुआ कर्मचारी भूखी गाय की तरह होता है, हर दरवाजे पर मुंह मारता हुआ चलता है, शायद कहीं रोटी या कुछ खाने को मिल जाए…
यह आर्त पुकार भी कुछ ऐसी ही होती होगी…
ajit gupta की हालिया प्रविष्टी..राजा के दरबारियों की वर्दी
दीपक बाबा की हालिया प्रविष्टी..१२-१२-१२ का जादू : ट्रेन में शादी.
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..हृदय हमारा
और अगली बार जब आयेंगे तो आप के पास नहीं आयेंगे
सारे राज खोल दिए आपने
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..रोते हुए आते हैं सब !!!
समीर लाल “टिप्पणीकार” की हालिया प्रविष्टी..अधूरे सपने- अधूरी चाहतें!!
रामराम.