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बेचारा वाल मार्ट पधार रहा है
By फ़ुरसतिया on December 7, 2012
कल पता चला वाल मार्ट आ रहा है। फ़िर कन्फ़र्म हुआ कि आ नहीं रहा है – पधार रहा है।
अब किसान के दुर्दिन की खैर नहीं। वाल मार्ट किसान की गरीबी को रगड़ के धर देगा। गांवों में पचास-पचास कोस दूर तक किसानों की समस्यायें अपने बच्चों को चुप कराते हुये कहेंगी- चुप हो जा बेटा वर्ना वॉल मार्ट आ जायेगा।
नौकरी की तलाश में शहर में धक्का खाते लोगों को उनके घर वाले कहेंगे- गांव लौट आओ बेटा! वाल मार्ट चच्चा ने यहीं तुम्हारे लिये काम का जुगाड़ कर दिया है।
पैसे वाले अपने नालायक बच्चों को किसानी का कोर्स कराने के लिये जुगाड़ भिड़ायेंगे। कहेंगे – बेटा अपन ने तो जैसे-तैसे नौकरी करके गुजार ली। अब तू थोड़ी मेहनत करके किसान बन जा। फ़िर मजे करियो आराम से।
बुंदेलखंड , विदर्भ के किसान आत्महत्या करना बंद करके ऐश करने लगेंगे। यहां के लोग वाल मार्ट के गुण गाते हुये शायद कहें कि -वाल मार्ट जी आप पहले आ जाते तो हमारे बप्पा आज जिंदा होते।
फ़िल्मों में अभी तक किसानों को दीन-हीन दिखाया जाता था। किसान बाप को उनके बच्चे पहचानने से इंकार कर देते थे। अब सीन बदलेगा। किसान मतलब पावरफ़ुल, पैसे वाला दिखायेगा जायेगा। किसान की बेटी से मोहब्बत के चक्कर में नायक गाने-वाने गायेगा। फ़िर बाद में पसीजेगी। गुस्सा होने पर किसान अपने बच्चों को किसानी से बेदखल कर देगा।
नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगेंगे कि चुनाव के पहले वे सिर्फ़ एक अमीर आदमी थे। चुनाव जीतते ही वे किसान बन गये। खुद तो बने ही अपने घर-परिवार वालों किसान बना दिया।
जो लोग आज गांवों में अपनी-अपनी जमीने औने-पौने दाम में बेंचकर शहर भाग रहे हैं। फ़ुटपाथों में जिदगी बसर कर रहे हैं। वे भागकर वापस गांव आ जायेंगे। खेती में पिल पड़ेंगे। एक-एक खेत से पचास-पचास, सौ-सौ लोग नत्थी हो जायेंगे। फ़ुटपाथ पर सोने वाले लोग खेतों की मेड़ों में सोयेंगे। देर रात सोयेंगे, सुबह उठते ही खेतों में जुट जायेंगे।
वाल मार्ट बेचारा शहर से गांव के चक्कर लगाता रहेगा। उस बेचारे पर गांव और शहर दोनों के विकास का जिम्मा थोप दिया गया है। वो गांव से कुली की तरह सामान ढोकर शहर के अपने स्टोर तक ले जायेगा। पलक झपकते उसका सामान बिक जायेगा। वो बेचारा फ़िर भागते हुये गांव आयेगा। सामान उठायेगा शहर भाग जायेगा। उसके देखते-देखते गांव और शहर के लोग अमीर हो जायेंगे। दोनों की गरीबी बेवफ़ा की तरह फ़ूट लेगी और वालमार्ट के पल्ले से चिपक जायेगी। वालमार्ट बेचारा उस दिन को कोसेगा जिस दिन उसने भारत आने की सोची थी।
दिन भर उपभोक्ता और किसान दोनों की नौकरी बजाते हुये थकाहारा वालमार्ट रात को अकेले में चुपचाप बांसुरी पर दर्दीली धुनें बजायेगा। उसको अमेरिका में बिताया अपना बचपन याद आयेगा। उपभोक्ता या किसान उससे जब उसके दर्द का राज पूंछेंगे तब वो बांहों से अपनी आंखे पोंछते हुये कहेगा-नई बाबू जी, कुछ नहीं ऐसे ही जरा घर की याद आ गई। बताइये आपके लिये क्या लाऊं? हरामखोरी या भ्रष्टाचार?
वाल मार्ट के आते ही सारे बिचौलिये फ़ूट लेंगे। अब उपभोक्ता और किसानों के बीच कोई बिचौलिया नहीं होगे। दोनों एकान्त में ऐश करेंगे। वालमार्ट की हालत ढ़ाबे के नौकर सरीखी हो जायेगी। उपभोक्ता उससे जो मन आया सामान मांगेगा। वो बेचारा भागकर किसान के पास आयेगा। वहां से सामान ढोकर उपभोक्ता के पास लायेगा। उपभोक्ता खुश हो गया तो चलते समय पांच-दस रुपये टिप दे जायेगा। किसान का सामान अच्छा बिक गया तो शाम को उससे से भी कुछ बक्शीश मिल जायेगी। किसान कहेगा- ले बेट्टा वाल मार्ट , इससे अपने लिये कुछ ले लेना। गन्दी चीज मत खाना। बीड़ी-सिगरेट मत पीना।
उधर पता चला है कि देश की गरीबी और भ्रष्टाचार की आंखें वालमार्ट के आने की खबर सुनते ही चमकने लगी हैं। अपन का एक और जिगरी यार आ रहा है।
देश हमारा व्याकुल बैठा, पूँजी से सहलाइए
घपलों और घोटालों की तस्वीर यहाँ की झूठी है
बिना विदेशी पूँजी के तकदीर देश की रूठी है
रंक बने राजा ऐसी मनमोहन नीति अनूठी है
बिछी लाल कालीन आइए दो का बीस बनाइए
वालमार्ट जी आइए
तथाकथित विद्वान देश के आपके आगे बौने हैं
बड़े-बड़े मन्त्री भी देखो कैसे भले खिलौने हैं
संसद की लॉबी में भी सब बिकते औने-पौने हैं
यहाँ निलामी सस्ती है अब खुलकर दाँव लगाइए
वालमार्ट जी आइए
बहुत हुई आजादी की सूखी बातें अब ऊब रहे
आम आदमी के सपने केजरीवाल संग डूब रहे
अर्थनीति पर राजनीति के कन्फ़्यूजन भी खूब रहे
भटक रहे सन् सैतालिस से पटरी पर लौटाइए
वालमार्ट जी आइए
-सिद्धार्थ त्रिपाठी के सत्यार्थमित्र से (12.12.12)
अब किसान के दुर्दिन की खैर नहीं। वाल मार्ट किसान की गरीबी को रगड़ के धर देगा। गांवों में पचास-पचास कोस दूर तक किसानों की समस्यायें अपने बच्चों को चुप कराते हुये कहेंगी- चुप हो जा बेटा वर्ना वॉल मार्ट आ जायेगा।
नौकरी की तलाश में शहर में धक्का खाते लोगों को उनके घर वाले कहेंगे- गांव लौट आओ बेटा! वाल मार्ट चच्चा ने यहीं तुम्हारे लिये काम का जुगाड़ कर दिया है।
पैसे वाले अपने नालायक बच्चों को किसानी का कोर्स कराने के लिये जुगाड़ भिड़ायेंगे। कहेंगे – बेटा अपन ने तो जैसे-तैसे नौकरी करके गुजार ली। अब तू थोड़ी मेहनत करके किसान बन जा। फ़िर मजे करियो आराम से।
बुंदेलखंड , विदर्भ के किसान आत्महत्या करना बंद करके ऐश करने लगेंगे। यहां के लोग वाल मार्ट के गुण गाते हुये शायद कहें कि -वाल मार्ट जी आप पहले आ जाते तो हमारे बप्पा आज जिंदा होते।
फ़िल्मों में अभी तक किसानों को दीन-हीन दिखाया जाता था। किसान बाप को उनके बच्चे पहचानने से इंकार कर देते थे। अब सीन बदलेगा। किसान मतलब पावरफ़ुल, पैसे वाला दिखायेगा जायेगा। किसान की बेटी से मोहब्बत के चक्कर में नायक गाने-वाने गायेगा। फ़िर बाद में पसीजेगी। गुस्सा होने पर किसान अपने बच्चों को किसानी से बेदखल कर देगा।
नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगेंगे कि चुनाव के पहले वे सिर्फ़ एक अमीर आदमी थे। चुनाव जीतते ही वे किसान बन गये। खुद तो बने ही अपने घर-परिवार वालों किसान बना दिया।
जो लोग आज गांवों में अपनी-अपनी जमीने औने-पौने दाम में बेंचकर शहर भाग रहे हैं। फ़ुटपाथों में जिदगी बसर कर रहे हैं। वे भागकर वापस गांव आ जायेंगे। खेती में पिल पड़ेंगे। एक-एक खेत से पचास-पचास, सौ-सौ लोग नत्थी हो जायेंगे। फ़ुटपाथ पर सोने वाले लोग खेतों की मेड़ों में सोयेंगे। देर रात सोयेंगे, सुबह उठते ही खेतों में जुट जायेंगे।
वाल मार्ट बेचारा शहर से गांव के चक्कर लगाता रहेगा। उस बेचारे पर गांव और शहर दोनों के विकास का जिम्मा थोप दिया गया है। वो गांव से कुली की तरह सामान ढोकर शहर के अपने स्टोर तक ले जायेगा। पलक झपकते उसका सामान बिक जायेगा। वो बेचारा फ़िर भागते हुये गांव आयेगा। सामान उठायेगा शहर भाग जायेगा। उसके देखते-देखते गांव और शहर के लोग अमीर हो जायेंगे। दोनों की गरीबी बेवफ़ा की तरह फ़ूट लेगी और वालमार्ट के पल्ले से चिपक जायेगी। वालमार्ट बेचारा उस दिन को कोसेगा जिस दिन उसने भारत आने की सोची थी।
दिन भर उपभोक्ता और किसान दोनों की नौकरी बजाते हुये थकाहारा वालमार्ट रात को अकेले में चुपचाप बांसुरी पर दर्दीली धुनें बजायेगा। उसको अमेरिका में बिताया अपना बचपन याद आयेगा। उपभोक्ता या किसान उससे जब उसके दर्द का राज पूंछेंगे तब वो बांहों से अपनी आंखे पोंछते हुये कहेगा-नई बाबू जी, कुछ नहीं ऐसे ही जरा घर की याद आ गई। बताइये आपके लिये क्या लाऊं? हरामखोरी या भ्रष्टाचार?
वाल मार्ट के आते ही सारे बिचौलिये फ़ूट लेंगे। अब उपभोक्ता और किसानों के बीच कोई बिचौलिया नहीं होगे। दोनों एकान्त में ऐश करेंगे। वालमार्ट की हालत ढ़ाबे के नौकर सरीखी हो जायेगी। उपभोक्ता उससे जो मन आया सामान मांगेगा। वो बेचारा भागकर किसान के पास आयेगा। वहां से सामान ढोकर उपभोक्ता के पास लायेगा। उपभोक्ता खुश हो गया तो चलते समय पांच-दस रुपये टिप दे जायेगा। किसान का सामान अच्छा बिक गया तो शाम को उससे से भी कुछ बक्शीश मिल जायेगी। किसान कहेगा- ले बेट्टा वाल मार्ट , इससे अपने लिये कुछ ले लेना। गन्दी चीज मत खाना। बीड़ी-सिगरेट मत पीना।
उधर पता चला है कि देश की गरीबी और भ्रष्टाचार की आंखें वालमार्ट के आने की खबर सुनते ही चमकने लगी हैं। अपन का एक और जिगरी यार आ रहा है।
मेरी पसन्द
वालमार्ट जी आइए, वालमार्ट जी आइएदेश हमारा व्याकुल बैठा, पूँजी से सहलाइए
घपलों और घोटालों की तस्वीर यहाँ की झूठी है
बिना विदेशी पूँजी के तकदीर देश की रूठी है
रंक बने राजा ऐसी मनमोहन नीति अनूठी है
बिछी लाल कालीन आइए दो का बीस बनाइए
वालमार्ट जी आइए
तथाकथित विद्वान देश के आपके आगे बौने हैं
बड़े-बड़े मन्त्री भी देखो कैसे भले खिलौने हैं
संसद की लॉबी में भी सब बिकते औने-पौने हैं
यहाँ निलामी सस्ती है अब खुलकर दाँव लगाइए
वालमार्ट जी आइए
बहुत हुई आजादी की सूखी बातें अब ऊब रहे
आम आदमी के सपने केजरीवाल संग डूब रहे
अर्थनीति पर राजनीति के कन्फ़्यूजन भी खूब रहे
भटक रहे सन् सैतालिस से पटरी पर लौटाइए
वालमार्ट जी आइए
-सिद्धार्थ त्रिपाठी के सत्यार्थमित्र से (12.12.12)
Posted in बस यूं ही | 23 Responses
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..संस्कृति बुलाती है
प्रणाम.
Kajal Kumar की हालिया प्रविष्टी..कार्टून :- FDI का साइड इफ़ेक्ट
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..कहानी कोफ्ते की !!!
क्या गारंटी है कि यह भारत देश का ही माल बिकवायेगा ..’चुपके से’ आयातित सामान नहीं?
वैसे भी भारतियों में आज भी अंग्रेज़ों का डाला हुआ इन्फीरियर कोम्प्लेक्स है उसी को भुनाएंगे और वालमार्ट से खरीदना स्टेटस सिम्बल बनेगा !आयातित सामान और पश्चिम मोहर लगा सामान आज भी लोगों की कमजोरी बना हुआ है..उसी का फयदा उठाया जायेगा.
अफ़सोस है जहाँ अन्य देश अपने देश के सामान को प्रोत्साहन दे रहे हैं वहीँ हमारे खाद्य पदार्थों में आत्म निर्भर देश के राजनेता बाहर के देशों को भारत से पैसा कमाने की छूट दे रहे हैं .दुखद !
Alpana की हालिया प्रविष्टी..बरसे मेघ…अहा!
dhirusingh की हालिया प्रविष्टी..आज मेरे पिता जी का ७५ वां जन्मदिन है
Padm Singh पद्म सिंह की हालिया प्रविष्टी..ज्योति पर्व की हार्दिक मंगल कामनाएँ
सही कह रहे हैं आप .विचारणीय अभिव्यक्ति .बधाई
प्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध [कानूनी ज्ञान ] और [कौशल ].शोध -माननीय कुलाधिपति जी पहले अवलोकन तो किया होता .पर देखें और अपने विचार प्रकट करें
shalini kaushik की हालिया प्रविष्टी..आत्महत्या-प्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध .
सही कह रहे हैं आप .बधाई
प्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध [कानूनी ज्ञान ] और [कौशल ].शोध -माननीय कुलाधिपति जी पहले अवलोकन तो किया होता .पर देखें और अपने विचार प्रकट करें
shalini kaushik की हालिया प्रविष्टी..आत्महत्या-प्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध .
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..वालमार्ट जी आइए… स्वागत गीत
और अभूतपूर्व दूरदर्शिता है. भगवान् अरविन्द केजरीवाल को उम्रदराज करे क्योंकि इस समय वही इस देश की एकमात्र आशा की किरण हैं.
http://merecomment.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..वालमार्ट जी आइए… स्वागत गीत
प्रियंकर की हालिया प्रविष्टी..तुम थे हमारे समय के रडार / राजेंद्र राजन