पंचबैंक/धांसू डायलॉग
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1. हर ऐसी मुहिम पर शक करो, फ़जीहत भरी जानो जिसके लिये नये कपड़े पहनने पड़ें।
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1. हर ऐसी मुहिम पर शक करो, फ़जीहत भरी जानो जिसके लिये नये कपड़े पहनने पड़ें।
2. मूंगफ़ली और आवारगी में खराबी ये है कि आदमी एक बार शुरू कर दें तो समझ नहीं खत्म कैसे करें?
3. जब कोई किसी पुराने दोस्त को याद करता है तो दरअस्ल अपने को याद करता है।
4. बुढापे की शादी और बैंक की चौकीदारी में जरा फ़र्क नहीं। सोते में भी एक आंख खुली रखनी पड़ती है और चुटिया पे हाथ रखकर सोना पड़ता है।
5. मर्द भी इश्क-आशिकी सिर्फ़ एक बार ही करता दूसरी मर्तबा अय्यासी और उसके बाद निरी बदमाशी।
6. जवानी दीवानी की तेजी बीबी से मारी जाती है। बीबी की तेजी औलाद से मारते हैं औलाद की तेजी साइंस से और साइंस की तेजी मजहबी शिक्षा से। अरे साहब तेजी का मारना खेल नहीं है, मरते-मरते मरती है।
7. इससे अधिक दुर्भाग्य क्या होगा कि आदमी एक गलत पेशा अपनाये और उसमें कामयाब होता चला जाये।
8. दुनिया में पीठ पीछे की बुराई से हजम होने वाली कोई चीज नहीं।
9. एक पांव लंगड़ाना दोनों पांव लंगड़ाने से बेहतर है।
10. मुगल बादशाह जिस दुश्मन को अपने हाथ से मारना नहीं चाहते थे उसे हज पर रवाना कर देते या झंडा, नक्कारा और खिलअत (शाही पोशाक) देकर दक्खिन या बंगाल जीतने के लिये भेज देते।
11. इतिहास पढने से तीन लाभ हैं। एक तो यह कि पूर्वजों के विस्तृत हालात की जानकारी होने के बाद आज की हरामजदगियों पर गुस्सा नहीं आता। दूसरे याददास्त तेज जाती है। तीसरे , लाहौल विला कूवत, तीसरा फ़ायदा दिमाग से उतर गया। कराची भी अजीब शहर है हां तीसरा भी याद गया। तीसरा फ़ायदा यह कि खाने, पीने, उठने, बैठने , भाइयों के साथ मुगलिया बरताव की सभ्यता से परिचय होता है।
मुश्ताक अहमद यूसुफ़ी
के उपन्यास धनयात्रा से
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