Saturday, February 26, 2022

कवि के इंतज़ार में बिम्ब

 सुबह होती है

जम्हुआई लेते हुये उठता है फ़ेसबुकिया कवि
इधर-उधर के स्टेटस ठेलता है,हड़काया जाता है
बैठ गये सुबह-सुबह लैपटाप लेकर---
भागता है बेचारा चाय का कप लिये हाथ में
स्कूल जाते बच्चे की ड्रेस प्रेस करता है
इस बीच कविताओं के तमाम बिम्ब
उसके दिमाग में आते हैं।
वह सबसे कहता है-अभी नहीं
भाग जाओ कोई देख देख लेगा घर में
तो बवाल होगा,
थोड़ी देर बाद मिलना फ़ेसबुक पर।
बिम्ब फ़ेसबुक पर कवि के इंतजार में
मुंह बाये बैठे हैं।
उन बेचारों को क्या पता कि
कवि को प्रेस करने के बाद
चाय बनाने के लिये दौड़ा दिया गया है।
-कट्टा कानपुरी

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