http://web.archive.org/web/20140419161309/http://hindini.com/fursatiya/archives/479
ऐसा शायद पहली बार हुआ कि इस आयोजन में मेरा कोई योगदान नहीं रहा। देबू के बार-बार कहने के बावजूद कुछ लिख के दे नहीं पाया।
पत्रिका आप देखिये। तमाम बेहतरीन लेख हैं। माइक्रोब्लागिंग पर देबाशीष और पैट्रिक के लेख हैं। हिंदी और अन्य भाषाओं में डोमेन की जानकारी है। डा.परवेज इमाम के बारे में सुनील दीपक का लेख है। इसके अलावा और भी बहुत कुछ है जिसे आप पढ़ेंगे तो आपको अच्छा लगेगा।
तो बांचिये न विश्व की पहली हिंदी ब्लागजीन का ११ वां अंक। संबंधित लेखों पर अपनी प्रतिक्रिया देना न भूलें।
निरंतर का ११ वां अंक
By फ़ुरसतिया on July 17, 2008
निरंतर
कल निरंतर का ११ वां अंक प्रकाशित हुआ। यह देबाशीष का जुनून ही है कि बीमारी के बावजूद इसे निकाल दिये। ऐसा शायद पहली बार हुआ कि इस आयोजन में मेरा कोई योगदान नहीं रहा। देबू के बार-बार कहने के बावजूद कुछ लिख के दे नहीं पाया।
पत्रिका आप देखिये। तमाम बेहतरीन लेख हैं। माइक्रोब्लागिंग पर देबाशीष और पैट्रिक के लेख हैं। हिंदी और अन्य भाषाओं में डोमेन की जानकारी है। डा.परवेज इमाम के बारे में सुनील दीपक का लेख है। इसके अलावा और भी बहुत कुछ है जिसे आप पढ़ेंगे तो आपको अच्छा लगेगा।
तो बांचिये न विश्व की पहली हिंदी ब्लागजीन का ११ वां अंक। संबंधित लेखों पर अपनी प्रतिक्रिया देना न भूलें।
उम्मीद है निरंतर अपने नाम के अनुसार निरंतरता बनाये रखेगी
आप काहे परेसान है ?