Friday, January 25, 2013

धूप तड़ी पार हुई

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धूप तड़ी पार हुई

  1. बर्फ़ का छापा पड़ा
    चप्पे-चप्पे पे सर्द-पुलिस
    कोहरे का कर्फ़्यू लगा
    पहाड़ सब सहम गये। ये धूप तड़ी पार हुई
    पहुंच गई पहाड़ पार
    पसर गयी गली,मैदान
    छत,खेत, खलिहान में।
    घास पर रही खेलती,
    सब फ़ूल को हिला दिया,
    पेड़ खड़ा देखा गुमसुम,
    प्यार से नहला दिया।
    धूप के वियोग में ,
    पहाड़ तो ठिठुर गया,
    फोन किया धूप को,
    लौट आओ तुम प्रिया।
    धूप लौटी पहाड़ पर,
    बर्फ़ सब पिघल गयी,
    कोहरा भगा दबे पांव,
    पहाड़ फ़िर मुस्करा दिया।
  2. आसमान से उतरी धूप
    खिड़की से सीधे आकर
    कमरे के एक हिस्से में
    ठसके से पसर सी जाती है। धूप कमरे के इस हिस्से में,
    सीधी सब्सिडी सी आती है,
    ठहरती है एहसान सी दिखाती,
    आहिस्ते से खिसक जाती है।
    बाकी हिस्से सोचते रहते हैं
    आधार कार्ड बनवा लिये होते,
    तो अपन की किस्मत भी
    इस हिस्से सी चमक जाती।
    उन बेचारों को क्या पता
    धूप आधार कार्ड से नहीं
    खुले आसमान, खुली खिड़की
    खुलेमन-खुलेपन से आती है। 
  3. धूप थोड़ी देर से आयी आज
    दिन लगा एक बार फ़िर झुंझलाने
    हमेशा देर से आती है धूप जाड़े में
    थमाना होगा इसको भी नोटिस। दिया कहीं नोटिस तो बैठ जायेगी
    लंबी छुट्टी पर धूप चली जायेगी
    ठिठुर जायेंगी सुबह, दोपहर,शाम
    हफ़्तों आने में नखरे दिखायेगी।
    धूप आहिस्ते-आहिस्ते से आती है
    पेड़,पत्ती,फ़ूल को दुलराते,सहलाते
    दिन धूप को देख मुस्काता है
    ताजे गुलाब सा खिल जाता है।
  4. दिन घुसा दफ़्तर में
    अकड़कर घंटी बजाई
    उजाला आया ठिठुरते
    साहब, केहिका बुला लाई? धूप मैडम किधर हैं,
    उनको फ़ौरन बुला लाओ,
    सारी दुनिया ठिठुर रही
    कहो जरा गर्मी बिखराओ।
    उजाला बोला मुला साहेब
    धूप मैडम तो छुट्टी पर हैं
    अप्लीकेशन भेजवाइन हैं
    और जेहिका कहौ बुला लाई।
    दिन ने फ़ौरन फ़ोन मिलाया
    देर तक लाइन मिली नहीं,
    बातों से धूप की बेरुखी देख
    बेचारा एकदम्मै सहम गया।
    लेकिन फ़िर धूप पसीज गयी,
    इठलाती हुई सी चली आई.
    उसे देख दिन भी मुस्करा दिया,
    मन में धूप से बहुत कुछ कह दिया। :)

20 responses to “धूप तड़ी पार हुई”

  1. Kajal Kumar
    भले ही बस यूं ही सही, पर उम्दा है :)
    Kajal Kumar की हालिया प्रविष्टी..कार्टून:- सालाना चढ़ाई का मौसम आया
  2. प्रकाश गोविन्द
    दिया कहीं नोटिस तो बैठ जायेगी
    लंबी छुट्टी पर धूप चली जायेगी ……… bahut khoob :)
  3. प्रकाश गोविन्द
    आपके भीतर एक हाई क्लास कवि भी कुनमुना रहा है …. जरा संभलियेगा ! :)
  4. आलोक पुराणिक
    कतई मौसम विभाग में बैठ के लिख्खी दिक्खै यो कविता।
  5. Ramesh Sharma
    श्री मान जी आपने तो धुप को नोटिस की धमकी दे दी लेकिन क्या पता …… इसे भी कहीं किसी नेता……. या मैडम के पास हाजिरी तो नहीं लगानी पड़ती….. अब हमारे आप जैसों के पास आने में देर तो होगी ही….फिर हम उसका बिगाड़ भी क्या सकते हैं…पैर छूना और चौखट पे हाजिरी ज्यादा जरूरी है साहब ………<<<<<<<<<<<
  6. Ramesh Sharma
    Aap to kavi ho gai sir.
  7. प्रवीण महाजन
    Badhiya hai.. Lekin notice kisko doge, Jada, dhup ya Suraj ko…sambhalake kahi enquiry me ye sach na samane aa jaye ki sab thik samay pe kam kar rahe hai aur… Aap hi the…”late Latif” ? :)
  8. सलिल वर्मा
    बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं करेंगे!! नोटिस थमा दीजिए, बहुत कोमल है धूप , बुरा नहीं मानेगी और चली आयेगी, अपनी ममतामयी उष्मा प्रदान करने!!
    नोटिस के बाद तडीपार भी कर दिया!! काहे लोगों की जान लेने पर उतारू हैं सुकुल जी!!
  9. Govind Goyal
    shandar chitran hai mousam ka
  10. Suresh Sahani
    क्या सर?यहाँ भी अफसरशाही !फ़िलहाल धूप पर आपकी वार्निंग का असर हुआ है ।
  11. Anvita Bhuvan
    kush toh bahut hoge aap !lag bhi raha hai
  12. Mohammed Shuaib
    bahut badhiya
  13. Madhu Sharma
    bahut khoob.
  14. indian citizen
    किसी सरकारी विभाग के कर्मचारियों जैसा क्यों लग रहा है..
  15. arvind mishra
    धूप को कवि ने स्त्री लिंग बना दिया है! मजेदार है !
    arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..एक मित्र की फरमाईश पर यह आधुनिक प्रेम कथा……..
  16. shikha varshney
    दिया कहीं नोटिस तो बैठ जायेगी
    लंबी छुट्टी पर धूप चली जायेगी
    लम्बी छुट्टी पर धूप को यहाँ ही भेज दीजिए
    धूप की खातिरदारी का मौका तो दीजिए.:):)
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..रिश्ते ..
  17. प्रवीण पाण्डेय
    चलो धूप हुयी नन्दलाला, तेरी राह तके दिनवाला।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..ठंड में स्नान
  18. Anonymous
    धूप को आपने एक नया ही रूप दिया है । ऑफिस और धूप ..सुन्दर
  19. girijakulshreshth
    धूप को आपने एक नया ही रूप दिया है । ऑफिस और धूप ..सुन्दर
  20. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] धूप तड़ी पार हुई [...]

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