गोविन्दपुरी स्टेशन पर पहुंचते ही चाँद ने लपककर पूछा- मैं भी अकेला।
तुम भी अकेले। हम दोनों ही अकेले हैं। साथ चलते हैं। ले चलोगे साथ में?
हमने पूछा -रिजर्वेशन तो है नहीं तुम्हारा। कैसे चलोगे?
इस पर वह बोला-छत पर बैठकर चले चलेंगे। छत का रिजर्वेशन थोड़ी होता है।
हमने पूछा -रिजर्वेशन तो है नहीं तुम्हारा। कैसे चलोगे?
इस पर वह बोला-छत पर बैठकर चले चलेंगे। छत का रिजर्वेशन थोड़ी होता है।
हमने कहा-चलो। चांदनी को भी ले चलना साथ में। वरना अँधेरे में कहीं भटक गए तो लफ़ड़ा होगा।
चाँद बोला-हम चांदनी के बिना कहीं नहीं जाते।
हमने कहा -समझ गए भाई। चलो चलना साथ में। ट्रेन आने तो दो। ट्रेन तो अभी 3 किमी दूर सेंट्रल पर सुस्ता रही है।
चाँद बोला-हम चांदनी के बिना कहीं नहीं जाते।
हमने कहा -समझ गए भाई। चलो चलना साथ में। ट्रेन आने तो दो। ट्रेन तो अभी 3 किमी दूर सेंट्रल पर सुस्ता रही है।
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