Saturday, July 22, 2017

पंचबैंक


1. जो भक्त शिक्षा से दूर रहे, वे हमेशा धर्मगुरुओं के प्रिय रहे हैं। - जवाहर चौधरी
2. धर्म को सेल्फ़ी की तरह लेने लगे हैं लोग, अपनी मर्जी अपना क्लिक। - जवाहर चौधरी
3. संतों पर संदेह करने वालों के लिये फ़ट्ट से नरक का पासपोर्ट बन जाता है। - जवाहर चौधरी
4. आजकल उच्चजाति के नाम में शुभलाभ नहीं, अशुभ हानि ही है। - दामोदर दीक्षित
5. अधिकांश हिन्दी लेखक साहस पर प्रवचन तो अच्छा देते हैं , बस साहस दिखा नहीं पाते। - दामोदर दीक्षित
6. शरीफ़ लोग बहुत समझदार होते हैं। रास्ते में कोई दुर्घटनाग्रस्त हो जाये तो जल्दी से जल्दी वहां से निकल लेते हैं। भाई, हम शरीफ़ आदमी हैं। -दिनेश बैस
7. शरीफ़ लोगों को पुलिस-कचहरी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिये। -दिनेश बैस
8. शरीफ़ आदमी सुविधाजनक रूप में गांधी को पूजता है। वह भले ही गांधी की ’मनुष्य मात्र एक है’ की शिक्षा को बेतुका मानता है। मगर मौके पर चुप लगा जाने के सिद्धांत का पूर्णत: पालन करता है। -दिनेश बैस
9. शरीफ़ आदमी को तनिक भी चिंता नहीं होती कि सरकार कैसी होनी चाहिये। समाज कैसा होना चाहिये। वह समाज की चिंता करना समाजशास्त्रियों का काम मानता है। सरकार की चिंता करना राजनीति करने वालों का। अपना क्या है। एक वोट ही तो देना है। जो जीतता दिखेगा , उसी को दे देंगे। अपना वोट खराब थोडे ही करेंगे। हम शरीफ़ लोग हैं।
-दिनेश बैस
10. शरीफ़ आदमी दूरदर्शी होता है। वह बेटी को बिगड़ने नहीं देना चाहता है। वोट को खराब नहीं करना चाहता है। बाकी तो सब काम एक से होते हैं। कोई दूध का धुला नहीं होता है। -दिनेश बैस
11. शरीफ़ आदमी यथास्थितिवादी होता है। अतीत उसे गौरवशाली लगता है। वर्तमान से अंतुष्ट रहता है। भविष्य उसके लिये भ्रामक होता है। वे भ्रम में नहीं पड़ना चाहते! - दिनेश बैस
12. प्रेम को विवाह के मुकाम से दूर रहकर ही असफ़ल प्रेमी बना जा सकता है, यही आज के प्रेम का फ़ंडा है। - Dilip Tetarbe
13. पहले प्रेम दो रेखाओं का कोण हुआ करता था, फ़िर वह त्रिकोण हो गया। फ़िर चतुष्कोण हो गया और अब तो प्रेम कोण-लेस हो गया है, मल्टीडायमेंशनल हो गया है। - Dilip Tetarbe
14. ऊंधना मस्तिष्क की वह अवस्था है, जिसमें कुछ लोगों पर बहुत महान विचार अवतरित होते हैं। - Narendra Kohli
15. इस देश की पुलिस के पास उतना भी अधिकार नहीं है, जितना कोठे की लड़कियों के पास है। - Narendra Kohli
16. जो अफ़सर आता है, कहता है काम ही पूजा है, अत: सिर्फ़ काम करो। अरे भईया , मान लिया, काम ही पूजा है, मगर हम सुबह-सुबह घर में दो घंटा करते तो हैं पूजा। जरूरी है क्या कि काम करो तभी प्रभु प्रसन्न होंगे। -,मलय जैन
17. कानून और न्याय के साथ जितना अन्याय बुद्धिजीवियों ने किया, शायद ही किसी और ने किया हो। -मीना अग्रवाल
18. दुनिया में बुद्धिजीवियों से ज्यादा मूर्ख और मसखरा कोई नहीं होता। इन्हें जो महारत तिल का पहाड़ और पर का कौआ बनाने में हासिल होती है, वह किसी और में नहीं होती। - मीना अग्रवाल
19. यदि आप किसी बड़े आदमी के आदमी हैं तो आपके लिये कोई भी काम मुश्किल नहीं। मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस. ही नहीं एम.डी. भी हो सकते हैं। - Yashwant Kothari
20. यदि आप डाक्टर और किसी मंत्री के आदमी हैं तो आपको ये अधिकार है कि आप मरीज की बाईं टांग के बजाय दांई टांग का आपरेशन कर दें। - Yashwant Kothari
21. समीक्षकों का आदमी होना भी साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र में काफ़ी मायने रखता है। आप रातोंरात बड़े लेखक, कलाकार या नाटककार बन सकते हैं। किसी को भी बाप बना लीजिये। - Yashwant Kothari

22. आप प्रमोशन की सीढियां चढना चाहते हैं, तुरंत बॉस को अपना बना लीजिये। स्वयं को बॉस का आदमी या औरत घोषित कर दीजिये। - Yashwant Kothari
23. जो लोग भवसागर को पार करने के लिये ईश्वर पर आश्रित हैं वे अपने मामले में पुनर्विचार करें और किसी बड़े आदमी के आदमी बन जायें ताकि भौतिक संसार में प्रगति होती रहे। आध्यात्मिक संसार किसने देखा है। - Yashwant Kothari
24. आज जब पुराने तिल में तेल नहीं मिला तो पाला बदलने में क्या हर्ज है ? अरे इसी को बुद्धिजीवी कहते हैं भाई। जो इस महानपंथ का अनुसरण न करे वो बुद्धिहीन है, वज्रमूर्ख है और भी न जाने क्या क्या है... Ramesh Tiwari
25. ’अधिकारी’ का कुर्सी पर बैठने के लिये ’विशेष योग्यता’ का होना बहुते जरूरी होता है, आ सबसे जरूरी है ’रीढ’ का त्याग-पुण्य ! साथ में ’जुगाड़’ हो तो सोने में सुहागा। - Ramesh Tiwari
डॉ गिरिराजशरण और डॉ रमेश तिवारी के संपादन में प्रकाशित पुस्तक समकालीन हिंदी व्यंग्य से चयन।

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