1. जो किसी की समझ में न आये , वह सबसे अच्छी कविता मानी जाती है। -अश्वनीकुमार दुबे
2. हिन्दी साहित्य में आजकल लोग कवि नहीं सीधे महाकवि बनते हैं। -अश्वनीकुमार दुबे
3. अगर अकल हो तो मरा हुआ कुत्ता भी मौज करा सकता है। - Alok Puranik
4. कुक्कुट पालन से लेकर इराक में मगरमच्छाधिकार हनन , किसी भी मसले पर एन.जी. ओ. बनाया जा सकता है। - Alok Puranik
5. आजकल लोग अपने राजाओं पर इतना विश्वास नहीं करते जितना कि बाबाओं पर। -Alok Saxena Satirist
6. नेताओं के हृदय में अमर हो जाने की पवित्र भावना होती है, जो इन्हें अपने और दूसरों के लिये स्मारक बनवाने की प्रेरणा देती रहती है। -Kamlesh Pandey
7. कई महापुरुषों के चिर स्मरणीय़ होने के पीछे खास वजह ये होती है कि वे लोग अपने पीछे स्मरण करते रहने को एक साधन संपन्न अगली पीढी छोड़ गये होते हैं। Kamlesh Pandey
8. बहुत बार महापुरुष कोई ऐसी राह बता जाते हैं , जिस पर चलना एक फ़ैशन या महामारी का रूप ले लेता है। इन राहों पर चलते हुये महापुरुष अपने-आप स्मृति में आता रहता है। Kamlesh Pandey
9. निन्दा अगर ’कडी’ की जाये तो तो वह ज्यादा प्रभावी मानी जाती है और अखबार वाले उसे ज्यादा तवज्जो देते हैं। - कृष्णकुमार आशु
10. सभ्य लोग रात-दिन इसी गुमान में रहते हैं कि वे पढे-लिखे हैं ,और ये देश तथा दुनिया उन्हीं के कारण चल रही है। - कैलाश मंडलेकर
11. घरेलू लड़ाइयों की यही फ़ितरत है, वे शुरु भले ही नीबू से हों, खत्म कहां होंगी, इसका अनुमान लगाना मुश्किल होता है। - कैलाश मंडलेकर
12. बेटा बाप के और नेता जनता के निद्रा में लीन होने की प्रतीक्षा करता रहता है। यह सोये तो वे सेवा से मुक्त हों। पर न तो पिता लोग आसानी से सोते हैं और न जनता के लोग। Giriraj Sharan Agrawal
13. छोटे अपनी मर्जी से बडों की सेवा नहीं करते, उनसे जबर्दस्ती सेवा ली जाती है। बड़े अपनी सेवा का मुआवजा लेते हैं और छोटे मात्र आशीर्वाद। Giriraj Sharan Agrawal
14. जो मतदाताओं को डरा नहीं सकता, वह स्वयं को जिता भी नहीं सकता। Giriraj Sharan Agrawal
15. प्रजातंत्र में प्रजा को पिटना और मिटना पड़ता ही है। - गिरीश पंकज
16. आत्मा की आवाज बड़ी भयानक चीज होती है। अच्छे-अच्छों को ठिकाने लगा देती है। - गिरीश पंकज
17. उसके एक साथ कई धंधे हैं लेकिन सबसे बड़ा धंधा समाज सेवा है। समाज सेवा की भावना उसमें इतनी कूट-कूटकर भरी है कि गरीब कन्याओं की शादी करवाते-करवाते वह ऐसी तीन कन्याओं से खुद भी शादी कर चुका है। तीनों उम्र में उससे आधी हैं और वह बड़ा है। यही उसका बड़प्पन है। - गुरमीत बेदी
18. सरकारी स्कूलों के मिड डे मील ने ऐसी प्रसिद्धि अर्जित की है कि इधर भूखे बच्चे भी उससे कतराते हैं। -- गोपाल चतुर्वेदी
19. कायरता समझदारी का लक्षण है। बहादुर से बहादुर सिपाही भी दुश्मन के गोला बारूद से बचने की कोशिश करता है। वह जानता है शहादत से पेंशन कहीं अधिक उपयोगी है। -गोपाल चतुर्वेदी
20. कोसने से समर्थ का भले न कुछ बिगड़े, पर अपने ऐसे असहाय के मन को अमन-चैन जरूर मिल जाता है। -गोपाल चतुर्वेदी
21. रोशनी दिये की हो या बल्ब की, कुछ अंधेरा स्वाभाविक है। पर जगमगाहट से चौंधियाई आंखें लेकर कोई भी सफ़र सुरक्षित नहीं है। - गोपाल चतुर्वेदी
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