Thursday, November 14, 2019

व्हाइट हाउस के सामने - डोनाल्ड ट्रंप हाय-हाय


'एयर और स्पेस म्यूजियम' देखने के बाद हम लोग लन्च के लिए होटल तलाशने निकले। विनय जैन की गाड़ी साथ होने के चलते थकना नहीं पड़ा। खाली समस्या पार्किंग की थी थोड़ी। वह भी उस दिन छुट्टी का होने के चलते बिना किसी लफड़े के पार्किंग मिलती गयी।

पार्किंग की व्यवस्था सड़क किनारे ही थी। एक जगह गाड़ी खड़ी करके हम लोग शाकाहारी भोजनालय गए। शाकाहारी भोजन में मेक्सिकन भोजन 'चिपोटले' काफी चलन है इधर। 'चिपोटले' चावल, राजमा, दाल और कुछ सब्जी आदि (जिसमें ब्रोकली भी होती है) मिलाकर बनता है। ऐसा समझ लिया जाए कि घर में दाल-भात-सब्जी के साथ सब बचा हुआ खाना गरमा के इकट्ठे परस दिया जाए तो वही चिपोटले हुआ। इसकी खासियत यह बताई जाती है कि इसको बनाने में केवल प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल होता है।
खाने के पैसे हमने देने की कोशिश की। लेकिन विनय जैन न जबरियन जबर मेजबान की भूमिका पकड़ ली और हमको खर्च के अधिकार से वंचित कर दिया। हमसे सीनियर ब्लागर होने के नाते हमने विनय की बात ख़ुशी-खुशी मान ली।


खाना खाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस देखने गए। सफेद पत्थर की बनी इमारत कोई इतनी भव्य नहीं दिखी जितना इसका जलवा है। अपना राष्ट्रपति भवन ज्यादा शानदार लगता है।
व्हाइट हाउस सामने से पूरा दिख भी नहीं रहा था। उसके सामने के हिस्से के आगे कपड़े से ढंकी रेलिंग खड़ी थी। रेलिंग पर व्हाइट हाउस के मरम्मत की सूचना लगी थी। शायद इसलिए भी हमको उतना जमाऊ न लगा हो।
एक तरफ राष्ट्रपति भवन की मरम्मत चल रही थी। दूसरी तरफ ट्रम्प साहब की मजम्मत चल रही थी। व्हाइट हाउस के सामने की सड़क के पार के मैदान में तमाम लोग ट्रम्प विरोधी नारे तख्तियों-पोस्टरों में लगाये प्रदशित करते हुए राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलाने की बात कर रहे थे।
इन नारों में न्यूक्लियर हथियार खत्म करने, गन पर रोक लगाने, पड़ोसियों से सम्बन्ध सुधारने, लालची प्रवृत्ति को छोड़ने के आह्वान के पोस्टर थे। ट्रम्प को झूठा और लालची बताते हुए उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की गई थी।


राष्ट्रपति के घर के ठीक सामने उनके खिलाफ धड़ल्ले से विरोध प्रदर्शन हो रहा था। कोई इसको रोकने की कोशिश में नहीं दिखा। यह 'फ्री स्पीच जोन' था। हरेक को अपनी बात कहने की आजादी।
कुछ लोग , जो कि संख्या में बहुत कम थे, ट्रम्प के समर्थन में भी पोस्टर लगाए थे। इनके आह्वान में मेक्सिको की दीवार बनवाने की मांग के पोस्टर थे।
लेकिन एक बात यह रोचक लगी कि खिलाफत के नारों के अलावा और कोई नारेबाजी नहीं हो रही थी। नारेबाजी पोस्टर प्रदर्शन तक सीमित थी। कोई हल्ला-गुल्ला नहीं, बिना ध्वनि प्रदूषण का विरोध प्रदर्शन ।

अमेरिका में आजकल ट्रम्प के विरोध की हवा चल रही है। उनके खिलाफ किताबें लिखी जा रही हैं। एक किताब मैने आज देखी जिसका शीर्षक था -'Trumpo cracy -the corruption of the American Republic' आज ही खबर देखी कि -ट्रंम्प के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू। महाभियोग की कार्रवाई का टीवी पर सीधा प्रसारण होगा।
ट्रम्प पर महाभियोग की कार्यवाही क्या गुल खिलाती है यह आने वाला समय बताएगा। लेकिन इसके पहले सिर्फ राष्ट्रपति निक्सन के खिलाफ 'वाटरगेट कांड' में महाभियोग लाया गया था। निक्सन ने इस्तीफा दे दिया था। क्लिंटन के खिलाफ भी तैयारी की बात चली थी लेकिन फिर माफ कर दिए गए वो। अब ट्रम्प के खिलाफ क्या होता है वह आगे आएगा।

ट्रंम्प देशभक्ति और 'अमेरिका फर्स्ट' के रथ पर सवार होकर आये थे। उनके समर्पित समर्थक कम भले हुये हों लेकिन वे अभी भी काम भर के हैं। ट्रंम्प के खिलाफ़ महाभियोग अमेरिकी लोकतंत्र और संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी के चलते सम्भव हो रहा है। यहां मीडिया को अपनी बात कहने पूरी आजादी है।
अभिव्यक्ति की आजादी के अलावा हथियार रखने की आजादी अमेरिकी संविधान के मूल अधिकारों में शामिल है। यह कानून जब बनाया गया था तब भावना यह थी कि अगर कभी सरकार नागरिकों के खिलाफ हो जाये तो नागरिक अपने हथियारों से सरकार से निपट सकें।
अब आज की परिस्थिति में सरकार की ताकत के सामने तो नागरिकों की तो कोई औकात नहीं। लेकिन इस अधिकार के चलते आम अमेरिकी बिना रोक टोंक खरीद सकते हैं। खरीदते भी हैं और कुछ सिरफिरे तो उसी तरह नागरिकों, बच्चो पर चला देते हैं जैसे अमेरिका बिना समझे-बूझे तीसरी दुनिया के देशों पर हमला कर देता है।
जैसा देश वैसे उसके नागरिक ।
वहीं पास ही सुप्रीम कोर्ट के सामने कुछ लोग धरने पर बैठे दिखे। अपने यहां के वोट क्लब की तरह।
व्हाइट हाउस को देखने के बाद अपन दीगर इमारतों के दर्शन के लिए चल दिए।

https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10218090750713755

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