'नियम तोड़ने की सजा जेल । जेल के नियम तोड़ने की सजा अलकाट्राज।'
यह उक्ति अलकाट्राज जेल की दुर्गंमता का इश्तहार है। जेल में खाने, पीने, रहने के इंतजाम तो थे लेकिन तन्हाई अपने में विकट सजा थी। जेल के अकेलेपन से जूझने के सबके अपने तरीके थे। जिम क्वीन नामक जेल के एक कैदी के हवाले से :
" दुनिया से अलग रहने का एहसास विकट ठंड से भी अधिक भयावह था। पागल होने से बचने के लिये मैंने एक खेल ईजाद क़िया। मैं अपनी कमीज से एक बटन नोच कर उसे हवा में उछाल देता था, गोल गोल कई चक्कर घूम जाता और फिर आंखे बंद करके अपने कोहनी और घुटनों के बल बैठकर वह बटन खोजा करता था। जब बटन मिल जाती थी, मैं फिर से यह क्रम तक तक दोहराया करता था जब तक चूर नहीं हो जाता था या मेरे घुटने इतने दर्द करने लगें कि आगे इसे न कर सकूं।"
ऐसी विकट जेल को पर्यटक की तरह देखने के लिहाज से हम वहां थे। हम वहां रहे कैदियों के कष्ट का एहसास ही कर सकते थे।
जेल में सबसे शुरुआत में सामूहिक स्नानागार था। सारे कैदी यहां इकट्ठा होकर नहाते थे। फिलहाल तो पानी बन्द था। लेकिन जब जेल आबाद होती होगी तो पानी भर जाता होगा। ऊपर पानी की पाइप लगी थीं। उन्ही के नीचे बैठकर कैदी नहाते थे।
आगे हाल में बैठाकर जेल के बारे में विस्तार से बताया गया। फिर जेल देखने गए। जेल की बैरक, गैलरी, खाने की जगह, वार्डन हाउस और जेल अधिकारी के ऑफिस देखे। जगह-जगह प्रमुख घटनाओं और व्यक्तियों के उल्लेख थे। इनमें जेल के अधिकारियों और कैदियों दोनों के किस्से बयान थे। जेल से भागने के प्रयासों के किस्से भी थे।
एक जगह पहुंचते ही तड़-तड़-तड़ गोलियों की आवाज सुनाई दी। लगा गोली चल गई। लेकिन फिर पता चला कि यह एक समय यहां जिस तरह कैदी भागे थे और उनको पकड़ने के लिए जैसे गोलियां चलाई गयीं थीं , उसका पुन: प्रस्तुतिकरण था। अमेरिका के प्रमुख स्थलों में अपने इतिहास को समय के अनुरुप संरक्षित करने की कोशिश काबिले तारीफ है।
अधिकांश बैरक साफ-सुथरी और खुली टाइप की थीं। बैरक क्या उनको लोहे के जंगले कहना ज्यादा मुफीद होगा। खतरनाक कैदियों के लिए डी ब्लाक में व्यवस्था थी। इनमें कभी-कभी अंधेरा भी कर दिया जाता। इस ब्लाक में कभी-कभी कई दिन तक रखा जाता कैदियों को लेकिन अधिकतम डी ब्लाक में रखने की अवधि 19 दिन की थी इंसान को इंसान से अलग करके कैद करके और सजा देकर उनका सुधार करने के तरीके के बारे में जेल वार्डन जेम्स जांसटन ने लिखा :
" जेल में अनुसासन के साथ सजा भी जुड़ी रहती है। आदेश मानने के लिए नियमित ट्रेनिंग अनुशासन है।"
जेल में मनोरंजन के लिए भी व्यवस्था थी। कुछ कैदी बेसबॉल खेलते थे। कुछ अकेले घूमते थे और उन चीजों को याद करते थे जिनसे वे वंचित थे। सामान्य कैदियों को शनिवार और इतवार को ढाई घण्टे मनोरंजन की अनुमति थी जबकि कठोर सजा वाले कैदी एक हफ्ते में एक घण्टे ही घूम सकते थे।
जेल में लाइब्रेरी का भी इंतजाम था। पढ़े-लिखे कैदी साल में 75-100 किताबें हर साल पढ़ते थे। 15000 किताबें थी लाइब्रेरी में। जेल के कैदी आम लोगों के मुकाबले ज्यादा गम्भीर किताबें पढ़ते थे। दार्शनिक किताबें ज्यादा पढ़ी जाती थीं।
लाइब्रेरी के बाद हम वहां का किचन भी देखने गए। बड़ा साफ-सुथरा किचन। उस समय प्रयोग किये जाने वाले सामान सहित किचन व्यवस्था दिखाई गयी थी। 21मार्च, 1963 को जो मीनू था उसके अनुसार सूखा अनाज, भाप से उबला गेंहू, उबला अंडा, दूध, फल, टोस्ट, ब्रेड, मक्खन और काफी शामिल थी। देखने मे तो यह आकर्षक लगता था लेकिन क्वालिटी कैसी होती होगी इसका अंदाज लगाना मुश्किल। एक कैदी को इसी बात पर सजा मिली कि उसके अनुसार उसको दी गयी काफी ठंडी थी और उसने बार-बार इसकी शिकायत की।
अनेक कैदियों के किस्से वहां लिखे मिले। जोसेफ डच बाउर नामक एक कैदी को एक स्टोर से 16.38 डॉलर की डकैती की सजा मिली 25 साल। 16.38 डॉलर मतलब 1217 रुपये 44 पैसे। मतलब 48 रुपये सत्तर पैसे की लूट के लिए एक साल की सजा। कैदी ने बताया कि भूख की तड़फ और पास में पैसे न होने के चलते उसने ऐसा किया। लगभग दो साल जेल में रहने के बाद वह पागल हो गया। अंतत: जेल से भागने की कोशिश करते पकड़े जाने पर उसको गोली मार दी गयी। मरने के समय जोसेफ की उम्र 40 साल थी।
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