“आप भोजन, वस्त्र, आश्रय और चिकित्सा देखभाल के हकदार हैं। इसके अलावा आपको जो कुछ भी मिलता है वह एक विशेषाधिकार है।“
यह नियम दुनिया की सबसे चर्चित जेलों में एक अमेरिका की अलकाट्राज़ जेल नियम था| अमेरिका के अंधेरे पक्ष के प्रतीक, अलकाट्राज़ जेल के बारे में, अनेक मिथकीय और सच्ची कहानियां जुड़ी रही हैं| ये कहानियां जेल और जेल में रहने वाले लोगों के बारे में हैं| इन लोगों में अल स्कारफेस , कैपोने और राबर्ट स्ट्राउड, जिनको अलकाट्राज़ में पक्षियों की देखभाल के चलते ‘वर्डमैन आफ अलकाट्राज़’ के नाम से जाना गया, शामिल थे|
अमेरिका में आए हमको 15 दिन हो चुके थे (19 नवम्बर, 2019 को)इन 15 दिनों में हम न्यूयार्क में उतरकर पूरा अमेरिका नापते हुए सैनफ्रांसिस्को पहुंचे| इस बीच अमेरिका के सात प्रदेश न्यूयार्क, न्यूजर्सी, फिलाडेल्फिया, वाशिंगटन डीसी, वर्जीनिया, ओरेगन और बैन्कोवर के प्रमुख स्थल दौड़ते-भागते, ढैया छूने वाले अंदाज में देखे| न्यूयार्क के बाद अब सैनफ्रांसिस्को को थोड़ा तसल्ली से देखने का मौका मिल रहा था| इस मौके को पूरा लूटने के मूड में थे हम| पूरी तसल्ली से घुमाई हो रही थी|
इसी सिलसिले में एक दिन ‘अलकाट्राज़ दर्शन’ का प्लान बना| सैनफ्रांसिस्को से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित अलकाट्राज़ एक निर्जन द्वीप, किला, दुनिया की दुर्गमतम जेल होते हुए अब अमेरिका के प्रमुख पर्यटन स्थल में शामिल है|
अलकाट्राज लिखने और बोलने की कोशिश करते हैं तो फौरन 'अलकतरा' याद आता है। वही लिखा भी जाता है। साथ ही याद आता है अपने यहां का प्रसिद्ध 'अलकतरा घोटाला'। अलकतरा मतलब तारकोल या कोलतार। काले रंग का सड़क बनाने का सामान। अलकाट्राज से भी अमेरिका के कई अंधेरे पक्ष जुड़े हैं।
अलकाट्राज़ सैनफ्रांसिस्को से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर है- समुद्र के रास्ते| पियर-33 से ‘अलकाट्राज़ क्रूज’ दिन में कई बार फेरी लगाता है| 15-20 मिनट का समय लगता है| सुबह की पहली फेरी में ही हम लपक के बैठ गए| हम मतलब मैं, पत्नी और बेटा सौमित्र|
फेरी खुली तो क्रूज हल्के झटके से चल दिया| बाएं किनारे पर गोल्डन गेट ब्रिज दूर से हमको मुस्कराता हुआ देख रहा था| पुल के नीचे खंभों में पानी उछाल मारते हुए खंभों को चूम-चूम कर वापस समुद्र में जमा होता जा रहा था| नीचे जमा होता पानी झाग के रूप में खंभे के पास झूमर डांस सा करते हुए, लहराते हुए आगे चलता जा रहा था| पानी की कोई लहर इतनी तेजी से पुल के खंभे की ओर दौड़ती हुई जाती कि लगता खंभे को निपटा के ही मानेगी| लेकिन पास पहुंचकर वह लहर भी खंभे के गले लिपटकर इठलाने लगती| क्या पता पुल के खंभे गाना भी गाते हों :
हम तुम पर इतना डाइंग,
जितना सी में पानी लाइंग|
समुद्र में पानी से याद आया , आपको भी बताते चलें| अलकाट्राज जेल दुनिया की दुर्गमतम जेलों में से मानी जाती थी| पूरे अमेरिका भर के छँटे हुए कैदी और दूसरी जेलों में हुड़दंग करने वाले कैदी यहां लाए जाते थे| समुद्र की तेज लहरों और बहुत ठंडे पानी के चलते यहां समुद्र के रास्ते भागना भी बहुत कठिन काम था| लेकिन जेल के सारे सुरक्षा बंदोबस्त को धता बताते हुए जून 1962 को क्लेरेन्स एंग्लिन , जान एंग्लिन और फ्रैंक मोरिश नाम के कैदी जेल से भाग निकले| समुद्र के रास्ते जमीन पर पहुंचने के प्रयास में| उनके भागने की खबर से हड़कंप मच गया| सैकड़ों लोग खोज में लगे| अनेक किस्से बने, फिल्में भी बनी| लेकिन एंग्लिन बंधु और मोरिश नहीं मिले तो नहीं ही मिले| अनुमान लगाया जाता है कि बर्फीले समुद्र के पानी में वे निपट गए| वहीं तमाम लोग उनके बच निकलने की कहानियाँ सुनाते हैं| वे बचे के निपट गए यह तो खुदा जाने लेकिन आज भी अमेरिकी मार्शल सेवा में आज भी इनकी फ़ाइल बंद नहीं हुई है और इन तीनों के नाम ‘वांटेड’ की लिस्ट में हैं|
खैर जेल से भागने वालों का क्या हुआ उसके बारे में बात करने से कोई फायदा नहीं| उलटे खतरा ही है| क्या पता कोई हमको भी पूछताछ के लिए हमको बुला ले –बताओ एंग्लिन बंधु और मोरिश कैसे भागे ? हम कितना भी कहते रहें कि मालिक, हमारी पैदाइश तो 1962 के बाद की है वे हमारे अवतरण से पहले ही भाग चुके थे| लेकिन लोग एकबार पूछताछ करने के लिए बुलाएंगे तो मानेंगे थोड़ी| पूछ के ही मानेंगे| पूछने पर उतर आयें तो न जाने क्या-क्या पूछने लगें? हमारा मोबाइल धरवा लें| हम कहीं फोन करने को तरस जाएँ| कहीं बुराई-भलाई भी न कर पाएं| जीवन निस्सार हो जाए| इसलिए जेल से भागने वालों के बारे में कोई बात नहीं | सीधे वापस चलते हैं क्रूज पर|
क्रूज पर अधिकतर लोग डेक पर बैठे समुद्र का नजारा ले रहे थे| फ़ोटो ले रहे थे| कुछ लोग शांत भाव से बेंचों पर बैठे थे| तेज हवा चल रही थी| धूप हालांकि पूरी खिली थी लेकिन मौसम सर्द था| ऊपर एक हेली काप्टर चक्कर मार रहा था| क्या पता ड्रोन की तरह हम पर निगाह रखने के लिहाज से यह इंतजाम किया गया हो|
क्रूज को चलाने के लिए भले तेल का उपयोग किया जा रहा हो लेकिन उसकी रोशनी , आडियो, डिस्प्ले और डेक सिस्टम के उपकरणों को चलाने के लिए आवश्यक बिजली के उत्पादन के लिए वायु ऊर्जा या सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा था|
बहरहाल जल्द ही क्रूज किनारे लगा| जहाज में मौजूद कामगारों ने फटाफट क्रूज को मोटे रस्से के सहारे किनारे लगे खंभों से बांधा| इन कामगारों में अधिकतर महिलायें थीं| क्रूज किनारे ठहरकर सुस्ताने लगा| हम लोग धड़ाधड़ उतरने के लिए लपके लेकिन फिर याद आया यहां सब काम लाइन में लगाकर होता है| हम ठहर गए| तसल्ली से लाइन में लगकर नीचे उतरे|
क्रूज से उतरकर हमने भरपूर अंगड़ाई ली| सामने अलकाट्राज़ हमारे स्वागत में मुस्करा रहा था| हम भी मुस्करा दिए| मुस्कराने के बाद हम अलकाट्राज़ को देखने चल दिए| अलकाट्राज़ जो कि कभी एक किला था, एक जेल था, स्थानीय लोगों की अभिव्यक्ति एवं आजादी का स्मारक था और इन सब यादगारों को समेटे हुए एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल था|
https://www.facebook.com/share/p/QjonH5STkUBtFaju/
No comments:
Post a Comment