दो साल सात माह के निर्माणी कार्यकाल के दौरान बहुत सारे प्यारे अनुभव हुये। सबसे बेहतरीन अनुभव कामगारों के साथ रहे। तमाम लोगों से व्यक्तिगत और आत्मीय अनुभव रहे। कुछ लोग रोज़ इंतज़ार करते थे। पूछते भी थे- ‘साहब आप आए नहीं कई दिन से।’ हाज़ी अनीस जी से हाल-चाल पूछने पर कहते थे -‘अभी तक तो ठीक नहीं थे। आपको देख लिए तो अब ठीक हो गए। आपको देखकर इत्मिनान हो जाता है। हिम्मत बढ़ती है ।’
Aslam Tariq तारिक साहब अपनी सिलाई छोड़कर लपक़कर मोबाइल में अपना ताज़ा कलाम सुनाते थे। कभी लपकते हुए बताते थे -‘साहब , आपने वो जो शेर लिखा है उसने ये गलती है, ठीक कर लीजियेगा।
1000 से ज़्यादा लोग एक छत के नीचे काम करते हैं। एक चक्कर में उत्पादन का सब हाल पता चल जाता। लोग अपनी परेशानियाँ भी बताते। अधिकतर घटनास्थल पर ही हल ही जाती। ज़ो नहीं हो पाती वो बाद में सलटती रहती। इस लगाव के चलते मुझे कभी कोई समस्या नहीं हुई। लगा ही नहीं कि किसी फ़ैक्टरी का प्रबंधन कर रहे हैं। लगता रहा घर परिवार के लोग काम में जुटे हैं।
कल निर्माणी से विदा हुये। आयुध वस्त्र निर्माणी से टीसीएल मुख्यालय , कानपुर के लिए । इसके पहले उत्पादन अनुभाग में विदाई हुई। उस मौक़े के कुछ फ़ोटो यहाँ अपनी याद के लिए कर रहा हूँ। उन साथियों के लिए भी जिनकी फ़ोटो यहाँ हैं ।फ़ोटो परिचय एक एक करके लगाते रहेंगे।
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