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विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
By फ़ुरसतिया on August 15, 2006
[आज स्वतंत्रता दिवस है। आज ही अभिव्यक्ति
अपने सातवें वर्ष में प्रवेश कर रही है। इस ऐतिहासिक मौके तथा शानदार
उपलब्धि पर सबको बधाई! इस अवसर के लिये पूर्णिमाजी ने मुझे झंडा गीत के अमर
गीतकार श्यामलाल गुप्त 'पार्षद' का परिचय लिखने का काम दिया था। मेरा तथा
शोभा स्वप्निलजी का संशोधित लेख अभिव्यक्ति में पढ़
सकते हैं। श्यामलाल गुप्त'पार्षद'जी के बारे में जानकारी एकत्र करते समय
मुझे कानपुर के सारे साहित्यकारों तथा अन्य महापुरुषों के बारे में लिखने
का विचार आया। शुरुआत पार्षदजी के बारे में लिखे लेख से की जा रही है। आगे
इस श्रेणी में कानपुर के बारे में लेख लिखे जायेंगे।]
श्री श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ का जन्म कानपुर जिले के नरवल ग्राम में ९ सितम्बर १८९६ को मध्यवर्गीय वैश्य परिवार में हुआ। आपके पिता का नाम विश्वेश्वर प्रसाद और माता का नाम कौशल्या देवी था। प्रकृति ने उन्हें कविता करने की क्षमता सहज रूप में प्रदान की थी। जब श्यामलालजी पाँचवी कक्षा में थे तो यह कविता लिखी:-
परोपकारी पुरुष मुहिम में,पावन पद पाते देखे,
उनके सुन्दर नाम स्वर्ण से सदा लिखे जाते देखे।
श्यामलालजी ने मिडिल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद हिन्दी साहित्य सम्मेलन से ‘विशारद’ हो गये। आपकी रामायण पर अटूट श्रद्धा थी। १५ वर्ष की अवस्था में हरिगीतिका,सवैया,घनाक्षरी आदि छन्दों में आपने रामकथा के बालकण्ड की रचना की। परन्तु पूरी पाण्डुलिपि पिताजी ने कुएं में फिकवा दी क्योंकि किसी ने उन्हें समझा दिया था कि कविता लिखने वाला दरिद्र होता है और अंग-भंग हो जाता है। इस घटना से बालक श्यामलाल के दिल को बडा़ आघात लगा और वे घर छोड़कर अयोध्या चले गये। वहाँ मौनी बाबा से दीक्षा लेकर राम भजन में तल्लीन हो गये। कुछ दिनों बाद जब पता चला तो कुछ लोग अयोध्या जाकर उन्हें वापस ले आये।श्यामलाल जी के दो विवाह हुए। दूसरी पत्नी से एकमात्र पुत्री की प्राप्ति हुई बाद में जिनका विवाह कानपुर के प्रसिद्ध समाजसेवी एडवोकेट श्री लक्ष्मीनारायण गुप्त से हुआ।
श्यामलाल जी ने पहली नौकरी जिला परिषद के अध्यापक के रूप में की। परन्तु जब वहाँ तीन साल का बाण्ड भरने का सवाल आया तो आपने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद म्यूनिसपेलिटी के स्कूल में अध्यापक की नौकरी की। परन्तु वहाँ भी बाण्ड के सवाल पर आपने त्यागपत्र दे दिया।
अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी और साहित्यकार श्री प्रताप नारायण मिश्र के सानिध्य में आने पर श्यामलाल जी ने अध्यापन, पुस्तकालयाध्यक्ष और पत्रकारिता के विविध जनसेवा कार्य भी किये। पार्षद जी १९१६ से १९४७ तक पूर्णत: समर्पित कर्मठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे। गणेशजी की प्रेरणा से आपने फतेहपुर को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। इस दौरान ‘नमक आन्दोलन’ तथा ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ का प्रमुख संचालन तथा लगभग १९ वर्षों तक फतेहपुर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के दायित्व का निर्वाह भी पार्षद जी ने किया। जिला परिषद कानपुर में भी वे १३ वर्षों तक रहे।
असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण पार्षदजी को रानी अशोधर के महल से २१ अगस्त,१९२१ को गिरफ्तार किया गया। जिला कलेक्टर द्वारा उन्हें दुर्दान्त क्रान्तिकारी घोषित करके केन्द्रीय कारागार आगरा भेज दिया गया। इसके बाद १९२४ में एक असामाजिक व्यक्ति पर व्यंग्य रचना के लिये आपके ऊपर ५०० रुपये का जुर्माना हुआ। १९३० में नमक आन्दोलन के सिलसिले में पुन: गिरफ्तार हुये और कानपुर जेल में रखे गये। पार्षदजी सतत् स्वतंत्रता सेनानी रहे और १९३२ में तथा १९४२ में फरार रहे। १९४४ में आप पुन: गिरफ्तार हुये और जेल भेज दिये गये। इस तरह आठ बार में कुल छ: वर्षों तक राजनैतिक बंदी रहे।
स्वाधीनता आन्दोलन में भाग लेने के दौरान वे चोटी के राष्ट्रीय नेताओं- मोतीलाल नेहरू,महादेव देसाई,रामनरेश त्रिपाठी और अन्य नेताओं के संपर्क में आये।
स्वतंत्रता संघर्ष के साथ ही आपका कविता रचना का कार्य भी चलता रहा। वे इक दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति थे। १९२१ में आपने स्वराज्य प्राप्ति तक नंगे पांव रहने का व्रत लिया और उसे निभाया। गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से पार्षदजी ने ३-४ मार्च ,१९२४ को ,एक रात्रि में, भारत प्रसिद्ध ‘झण्डा गीत’ की रचना की। पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में १३ अप्रैल,१९२४ को,’जालियाँवाला बाग दिवस’ पर, फूलबाग ,कानपुर में सार्वजनिक रूप से झण्डागीत का सर्वप्रथम सामूहिक गान हुआ। मूल रूप में लिखा झण्डागीत इस प्रकार है:-
७ पद वाले इस मूल गीत से बाद में कांग्रेस नें तीन पद(पद संख्या १,६ व ७) को संसोधित करके ‘झण्डागीत’ के रूप में मान्यता दी। यह गीत न केवल राष्ट्रीय गीत घोषित हुआ बल्कि अनेकों नौजवानों और नवयुवतियों के लिये देश पर मर मिटने हेतु प्रेरणा का श्रोत भी बना।
पार्षद जी के बारे में अपने उद्गार व्यक्त करते हुये नेहरू जी ने कहा था-‘भले ही लोग पार्षद जी को नहीं जानते होंगे परन्तु समूचा देश राष्ट्रीय ध्वज पर लिखे उनके गीत से परिचित है।’
राजनीतिक कार्यों के अलावा पार्षदजी सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी रहे। उन्होंने दोसर वैश्य दोसर वैश्य इंटर कालेज( जो कि आज बिरहाना रोड पर गौरीदीन गंगाशंकर विद्यालय के नाम से जाना जाता है) एवं अनाथालय,बालिका विद्यालय,गणेश सेवाश्रम,गणेश विद्यापीठ,दोसर वैश्य महासभा ,वैश्य पत्र समिति आदि की स्थापना एवं संचालन किया। इसके अलावा स्त्री शिक्षा व दहेज विरोध में आपने सक्रिय योगदान किया। आपने विधवा विवाह को सामाजिक मान्यता दिलाने में सक्रिय योगदान किया।पार्षदजी ने वैश्य पत्रिका का जीवन भर संपादन किया।
रामचरित मानस उनका प्रिय ग्रन्थ था।वे श्रेष्ठ ‘मानस मर्मज्ञ’ तथा प्रख्यात रामायणी भी थे । रामायण पर उनके प्रवचन की प्रसिद्ध दूर-दूर तक थी। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद जी को उन्होंने सम्पूर्ण रामकथा राष्ट्रपति भवन में सुनाई थी। नरवल,कानपुर और फतेहपुर में उन्होंने रामलीला आयोजित की।
‘झण्डा गीत’ के अलावा एक और ध्वज गीत श्यामलाल गुप्त’पार्षद’जी ने लिखा था। लेकिन इसकी विशेष चर्चा नहीं हो सकी। उस गीत की पहली पंक्ति है:-
राष्ट्र गगन की दिव्य ज्योति,
राष्ट्रीय पताका नमो-नमो।
भारत जननी के गौरव की,
अविचल शाखा नमो-नमो।
पार्षदजी को एक बार आकाशवाणी कविता पाठ का न्योता मिला। उनके द्वारा पढ़ी जाने वाली कविता का एक स्थानीय अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया जो इस प्रकार थी:-
बंधे पंचानन मरते हैं,स्यार स्वछंद बिचरते हैं,
गधे छक-छक कर खाते हैं,खड़े खुजलाये जाते हैं।
इन पंक्तियों के कारण उनका कविता पाठ रोक दिया गया। इससे नाराज पार्षदजी कभी दुबारा आकाशवाणी केन्द्र नहीं गये। १२ मार्च,१९७२ को ‘कात्यायनी कार्यालय’ लखनऊ में एक भेंटवार्ता में उन्होंने कहा:-
देख गतिविधि देश की मैं मौन मन रो रहा हूँ,
आज चिन्तित हो रहा हूँ।
बोलना जिनको न आता था,वही अब बोलने हैं।
रस नहीं बस देश के उत्थान में विष घोलते हैं।
सर्वदा गीदड़ रहे,अब सिंह बन कर डोलते हैं।
कालिमा अपनी छिपाये,दूसरों को खोलते हैं।
देख उनका व्यक्तिक्रम,आज साहस खो रहा हूँ।
आज चिन्तित हो रहा हूँ।
स्वतंत्र भारत ने उन्हें सम्मान दिया और १९५२ में लालकिले से उन्होंने अपना प्रसिद्ध ‘झण्डा गीत’ गाया। १९७२ में लालकिले में उनका अभिनन्दन किया गया। १९७३ में उन्हें ‘पद्मश्री’ से अलंकृत किया गया।
१० अगस्त १९७७ की रात को इस समाजसेवी,राष्ट्रकवि का महाप्रयाण नंगे पैर में कांच लगने के कारण हो गया। वे ८१ वर्ष के थे। उनकी मृत्यु के बाद कानपुर और नरवल में उनके अनेकों स्मारक बने। नरवल में उनके द्वारा स्थापित बालिका विद्यालय का नाम ‘पद्मश्री श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ राजकीय बालिका इंटर कालेज किया गया। फूलबाग ,कानपुर में ‘पद्मश्री’श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ पुस्तकालय की स्थापना हुई। १० अगस्त,१९९४ को फूलबाग में उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई।इसका अनावरण उनके ९९ वें जन्मदिवस (९ सितम्बर,९५ को)पर किया गया।
झण्डागीत के रचयिता, ऐसे राष्ट्रकवि को पाकर देश की जनता धन्य है।
पुनश्च: गीत विजयी विश्व तिरंगा प्यारा को आप अनुराग शर्मा के ब्लॉग पर सुन सकते हैं।
श्री श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ का जन्म कानपुर जिले के नरवल ग्राम में ९ सितम्बर १८९६ को मध्यवर्गीय वैश्य परिवार में हुआ। आपके पिता का नाम विश्वेश्वर प्रसाद और माता का नाम कौशल्या देवी था। प्रकृति ने उन्हें कविता करने की क्षमता सहज रूप में प्रदान की थी। जब श्यामलालजी पाँचवी कक्षा में थे तो यह कविता लिखी:-
परोपकारी पुरुष मुहिम में,पावन पद पाते देखे,
उनके सुन्दर नाम स्वर्ण से सदा लिखे जाते देखे।
श्यामलालजी ने मिडिल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद हिन्दी साहित्य सम्मेलन से ‘विशारद’ हो गये। आपकी रामायण पर अटूट श्रद्धा थी। १५ वर्ष की अवस्था में हरिगीतिका,सवैया,घनाक्षरी आदि छन्दों में आपने रामकथा के बालकण्ड की रचना की। परन्तु पूरी पाण्डुलिपि पिताजी ने कुएं में फिकवा दी क्योंकि किसी ने उन्हें समझा दिया था कि कविता लिखने वाला दरिद्र होता है और अंग-भंग हो जाता है। इस घटना से बालक श्यामलाल के दिल को बडा़ आघात लगा और वे घर छोड़कर अयोध्या चले गये। वहाँ मौनी बाबा से दीक्षा लेकर राम भजन में तल्लीन हो गये। कुछ दिनों बाद जब पता चला तो कुछ लोग अयोध्या जाकर उन्हें वापस ले आये।श्यामलाल जी के दो विवाह हुए। दूसरी पत्नी से एकमात्र पुत्री की प्राप्ति हुई बाद में जिनका विवाह कानपुर के प्रसिद्ध समाजसेवी एडवोकेट श्री लक्ष्मीनारायण गुप्त से हुआ।
श्यामलाल जी ने पहली नौकरी जिला परिषद के अध्यापक के रूप में की। परन्तु जब वहाँ तीन साल का बाण्ड भरने का सवाल आया तो आपने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद म्यूनिसपेलिटी के स्कूल में अध्यापक की नौकरी की। परन्तु वहाँ भी बाण्ड के सवाल पर आपने त्यागपत्र दे दिया।
अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी और साहित्यकार श्री प्रताप नारायण मिश्र के सानिध्य में आने पर श्यामलाल जी ने अध्यापन, पुस्तकालयाध्यक्ष और पत्रकारिता के विविध जनसेवा कार्य भी किये। पार्षद जी १९१६ से १९४७ तक पूर्णत: समर्पित कर्मठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे। गणेशजी की प्रेरणा से आपने फतेहपुर को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। इस दौरान ‘नमक आन्दोलन’ तथा ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ का प्रमुख संचालन तथा लगभग १९ वर्षों तक फतेहपुर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के दायित्व का निर्वाह भी पार्षद जी ने किया। जिला परिषद कानपुर में भी वे १३ वर्षों तक रहे।
असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण पार्षदजी को रानी अशोधर के महल से २१ अगस्त,१९२१ को गिरफ्तार किया गया। जिला कलेक्टर द्वारा उन्हें दुर्दान्त क्रान्तिकारी घोषित करके केन्द्रीय कारागार आगरा भेज दिया गया। इसके बाद १९२४ में एक असामाजिक व्यक्ति पर व्यंग्य रचना के लिये आपके ऊपर ५०० रुपये का जुर्माना हुआ। १९३० में नमक आन्दोलन के सिलसिले में पुन: गिरफ्तार हुये और कानपुर जेल में रखे गये। पार्षदजी सतत् स्वतंत्रता सेनानी रहे और १९३२ में तथा १९४२ में फरार रहे। १९४४ में आप पुन: गिरफ्तार हुये और जेल भेज दिये गये। इस तरह आठ बार में कुल छ: वर्षों तक राजनैतिक बंदी रहे।
स्वाधीनता आन्दोलन में भाग लेने के दौरान वे चोटी के राष्ट्रीय नेताओं- मोतीलाल नेहरू,महादेव देसाई,रामनरेश त्रिपाठी और अन्य नेताओं के संपर्क में आये।
स्वतंत्रता संघर्ष के साथ ही आपका कविता रचना का कार्य भी चलता रहा। वे इक दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति थे। १९२१ में आपने स्वराज्य प्राप्ति तक नंगे पांव रहने का व्रत लिया और उसे निभाया। गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से पार्षदजी ने ३-४ मार्च ,१९२४ को ,एक रात्रि में, भारत प्रसिद्ध ‘झण्डा गीत’ की रचना की। पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में १३ अप्रैल,१९२४ को,’जालियाँवाला बाग दिवस’ पर, फूलबाग ,कानपुर में सार्वजनिक रूप से झण्डागीत का सर्वप्रथम सामूहिक गान हुआ। मूल रूप में लिखा झण्डागीत इस प्रकार है:-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,झण्डा ऊँचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला
वीरों को हरसाने वाला
प्रेम सुधा सरसाने वाला
मातृभूमि का तन मन सारा,झण्डा ऊँचा रहे हमारा।१।
लाल रंग बजरंगबली का
हरा अहल इस्लाम अली का
श्वेत सभी धर्मों का टीका
एक हुआ रंग न्यारा-न्यारा,झण्डा उँचा रहे हमारा ।२।
है चरखे का चित्र संवारा
मानो चक्र सुदर्शन प्यारा
हरे रंग का संकट सारा
है यह सच्चा भाव हमारा,झण्डा उँचा रहे हमारा ।३।
स्वतंत्रता के भीषण रण में
लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में
कांपे शत्रु देखकर मन में
मिट जायें भय संकट सारा,झण्डा ऊँचा रहे हमारा।४।
इस झण्डे के नीचे निर्भय
ले स्वराज्य का अविचल निश्चय
बोलो भारत माता की जय
स्वतंत्रता है ध्येय हमारा,झण्डा उँचा रहे हमारा ।५।
आओ प्यारे वीरों आओ
देश धर्म पर बलि-बलि जाओ
एक साथ सब मिलकर गाओ
प्रयारा भारत देश हमारा,झण्डा उँचा रहे हमारा।६।
शान न इसकी जाने पाये
चाहे जान भले ही जाये
विश्व विजय करके दिखलायें
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा,झण्डा उँचा रहे हमारा ।७।
७ पद वाले इस मूल गीत से बाद में कांग्रेस नें तीन पद(पद संख्या १,६ व ७) को संसोधित करके ‘झण्डागीत’ के रूप में मान्यता दी। यह गीत न केवल राष्ट्रीय गीत घोषित हुआ बल्कि अनेकों नौजवानों और नवयुवतियों के लिये देश पर मर मिटने हेतु प्रेरणा का श्रोत भी बना।
पार्षद जी के बारे में अपने उद्गार व्यक्त करते हुये नेहरू जी ने कहा था-‘भले ही लोग पार्षद जी को नहीं जानते होंगे परन्तु समूचा देश राष्ट्रीय ध्वज पर लिखे उनके गीत से परिचित है।’
राजनीतिक कार्यों के अलावा पार्षदजी सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी रहे। उन्होंने दोसर वैश्य दोसर वैश्य इंटर कालेज( जो कि आज बिरहाना रोड पर गौरीदीन गंगाशंकर विद्यालय के नाम से जाना जाता है) एवं अनाथालय,बालिका विद्यालय,गणेश सेवाश्रम,गणेश विद्यापीठ,दोसर वैश्य महासभा ,वैश्य पत्र समिति आदि की स्थापना एवं संचालन किया। इसके अलावा स्त्री शिक्षा व दहेज विरोध में आपने सक्रिय योगदान किया। आपने विधवा विवाह को सामाजिक मान्यता दिलाने में सक्रिय योगदान किया।पार्षदजी ने वैश्य पत्रिका का जीवन भर संपादन किया।
रामचरित मानस उनका प्रिय ग्रन्थ था।वे श्रेष्ठ ‘मानस मर्मज्ञ’ तथा प्रख्यात रामायणी भी थे । रामायण पर उनके प्रवचन की प्रसिद्ध दूर-दूर तक थी। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद जी को उन्होंने सम्पूर्ण रामकथा राष्ट्रपति भवन में सुनाई थी। नरवल,कानपुर और फतेहपुर में उन्होंने रामलीला आयोजित की।
‘झण्डा गीत’ के अलावा एक और ध्वज गीत श्यामलाल गुप्त’पार्षद’जी ने लिखा था। लेकिन इसकी विशेष चर्चा नहीं हो सकी। उस गीत की पहली पंक्ति है:-
राष्ट्र गगन की दिव्य ज्योति,
राष्ट्रीय पताका नमो-नमो।
भारत जननी के गौरव की,
अविचल शाखा नमो-नमो।
पार्षदजी को एक बार आकाशवाणी कविता पाठ का न्योता मिला। उनके द्वारा पढ़ी जाने वाली कविता का एक स्थानीय अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया जो इस प्रकार थी:-
बंधे पंचानन मरते हैं,स्यार स्वछंद बिचरते हैं,
गधे छक-छक कर खाते हैं,खड़े खुजलाये जाते हैं।
इन पंक्तियों के कारण उनका कविता पाठ रोक दिया गया। इससे नाराज पार्षदजी कभी दुबारा आकाशवाणी केन्द्र नहीं गये। १२ मार्च,१९७२ को ‘कात्यायनी कार्यालय’ लखनऊ में एक भेंटवार्ता में उन्होंने कहा:-
देख गतिविधि देश की मैं मौन मन रो रहा हूँ,
आज चिन्तित हो रहा हूँ।
बोलना जिनको न आता था,वही अब बोलने हैं।
रस नहीं बस देश के उत्थान में विष घोलते हैं।
सर्वदा गीदड़ रहे,अब सिंह बन कर डोलते हैं।
कालिमा अपनी छिपाये,दूसरों को खोलते हैं।
देख उनका व्यक्तिक्रम,आज साहस खो रहा हूँ।
आज चिन्तित हो रहा हूँ।
स्वतंत्र भारत ने उन्हें सम्मान दिया और १९५२ में लालकिले से उन्होंने अपना प्रसिद्ध ‘झण्डा गीत’ गाया। १९७२ में लालकिले में उनका अभिनन्दन किया गया। १९७३ में उन्हें ‘पद्मश्री’ से अलंकृत किया गया।
१० अगस्त १९७७ की रात को इस समाजसेवी,राष्ट्रकवि का महाप्रयाण नंगे पैर में कांच लगने के कारण हो गया। वे ८१ वर्ष के थे। उनकी मृत्यु के बाद कानपुर और नरवल में उनके अनेकों स्मारक बने। नरवल में उनके द्वारा स्थापित बालिका विद्यालय का नाम ‘पद्मश्री श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ राजकीय बालिका इंटर कालेज किया गया। फूलबाग ,कानपुर में ‘पद्मश्री’श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ पुस्तकालय की स्थापना हुई। १० अगस्त,१९९४ को फूलबाग में उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई।इसका अनावरण उनके ९९ वें जन्मदिवस (९ सितम्बर,९५ को)पर किया गया।
झण्डागीत के रचयिता, ऐसे राष्ट्रकवि को पाकर देश की जनता धन्य है।
पुनश्च: गीत विजयी विश्व तिरंगा प्यारा को आप अनुराग शर्मा के ब्लॉग पर सुन सकते हैं।
Posted in इनसे मिलिये, कानपुर | 13 Responses
SIR UPAR SHAN SE UTHA AB KISISE DARNA NAHI HAI
जानकारी के लिए धन्यवाद!
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
Smart Indian – की हालिया प्रविष्टी..Movie List for English Study
1 से 10 तत्व
हाईड्रो हेली लीथी बेरी
बोर कार्बन नित रोती है
अक्स फ़ूल को नयन रखे ये नकचढ़ी
आवर्त सारणी आवर्त सारणी
1 — हाइड्रोजन — H – Hydrogen 2 — हिलियम — He – Helium 3 — लिथियम — Li – Lithium 4 — बेरिलियम — Be – Beryllium 5 — बोरॉन् — B – Boron 6 — कार्बन — C – Carbon 7 — नाइट्रोजन — N – Nitrogen 8 — ऑक्सीजन — O – Oxygen 9 — फ्लोरीन — F – Fluorine 10 — नियोन — Ne – Neon
11से20तत्व
सोडा मग मे अल सीली लायी
फ़ुसफ़ुस गंधक क्लोरीन मिलायी
मिल गया अरगो में पोटाश औ चूनी
आवर्त सारणी आवर्त सारणी …
11 — सोडियम — Na — Sodium (लैटिन शब्द ‘Natrium’ से) 12 — मैग्नेशियम — Mg – Magnesium 13 — एल्युमिनियम — Al – Aluminium 14 — सिलिकॉन — Si – Silicon 15 — फास्फोरस — P – Phosphorus 16 — गन्धक — S – Sulfur 17 — क्लोरीन — Cl – Chlorine 18 — ऑर्गन — Ar – Argon 19 — पोटैशियम — K — Potassium (जर्मन भाषा के शब्द ‘Kalium’ से) 20 — कैल्शियम — Ca — Calcium
21से30 तत्व
स्कन्द नक्षत्र में टाईटेनिक पर बैठ वन्दना
क्रोम पहिनकर मनगनेश से लोहा लेकर
कोबरा निकल तांबे में कर गया सिंक
आवर्त सारणी आवर्त सारणी …
21 — स्काण्डियम — Sc – Scandium 22 — टाइटानियम — Ti – Titanium 23 — वनेडियम — V – Vanadium 24 — क्रोमियम — Cr – Chromium 25 — मैंगनीज — Mn – Manganese 26 — लोहा — Fe — Iron (लैटिन शब्द ‘Ferrum’ से) 27 — कोबाल्ट — Co – Cobalt 28 — निकेल — Ni – Nickel 29 — ताम्र — Cu — Copper (लैटिन शब्द ‘Cuprum’ से) 30 — जस्ता — Zn – Zinc
31से40 तत्व
गली में जर्मन शन्खिया बेंचे
ब्रह्म कृपाण रूबी को देखे
स्ट्रान्ग यात्री ज़िरकोनी में करे गड़बड़ी
आवर्त सारणी आवर्त सारणी
31 — गैलियम — Ga – Gallium 32 — जर्मेनियम — Ge – Germanium 33 — आर्सेनिक — As – Arsenic 34 — सेलेनियम — Se – Selenium 35 — ब्रोमिन — Br – Bromine 36 — क्रिप्टन — Kr – Krypton 37 — रुबिडियम — Rb – Rubidium 38 — स्ट्रोन्सियम — Sr – Strontium 39 — इत्रियम — Y – Yttrium 40 — जर्कोनियम — Zr — Zirconium
41से50 तत्व
नायाब माली टेकू रुठ गया
रोड पर पलड़े में चान्दी लेकर बैठ गया
कदम्ब डाल पर इन्दू टीने में ले गयी भर
आवर्त सारणी आवर्त सारणी
41 — नायोबियम — Nb – Niobium 42 — मोलिब्डेनम — Mo – Molybdenum 43 — टेक्निशियम — Tc — Technetium 44 — रुथेनियम — Ru – Ruthenium 45 — रोडियम — Rh – Rhodium 46 — पलाडियम — Pd – Palladium 47 — चाँदी — Ag — Silver (लैटिन शब्द ‘Argentum’ से) 48 — काडमियम — Cd – Cadmium 49 — इण्डियम — In – Indium 50 — त्रपु — Sn — Tin (लैटिन शब्द ‘Stannum’ से)
51 से 60 तत्व
अन्टी बेली आयोडीन का जिन्नान लाया
शीशी बैरी लठ्ठा शेरी
प्रसाद नवोदय ताश के पत्ते खा गया
आवर्त सारणी आवर्त सारणी
51 — एन्टिमोनी — Sb — Antimony (लैटिन शब्द ‘ Stibium’ से) 52 — टेलुरियम — Te – Tellurium 53 — आयोडिन — I – Iodine 54 — ज़ेनान — Xe – Xenon 55 — सीज़ियम — Cs – Caesium 56 — बेरियम — Ba – Barium 57 — लाञ्थनम — La – Lanthanum 58 — सेरियम — Ce – Cerium 59 — प्रासियोडाइमियम — Pr — Praseodymium 60 — नियोडाइमियम — Nd – Neodymium
61से 70 तत्व
प्रोमोशन की समरी में यूरो गाड़ो
तरबी डिस्पोजल कर दो होली में
अरबी थुल-2 इटर-2 कर करे गड़बड़ी
आवर्त सारणी आवर्त सारणी
71 — लुटेटियम — Lu – Lutetium 72 — हाफ्नियम — Hf – Hafnium 73 — टाण्टलम — Ta – Tantalum 74 — टंग्स्टन — W — Tungsten (जर्मन भाषा के शब्द ‘Wolfram’ से)) 75 — रेनियम — Re – Rhenium 76 — अस्मियम — Os – Osmium 77 — इरिडियम — Ir – Iridium 78 — प्लाटिनम — Pt – Platinum 79 — सोना — Au — Gold (लैटिन शब्द ‘Aurum’ से) 80 — पारा — Hg — Mercury (लैटिन शब्द ‘Hydragyrum’ से)
1से80 तत्व
लूटे हाफ़े टुंटा टंगा रानी ओस नहाए
इरीडी में पलटे सोना पारा ऊपर जाए
अस्सी का अब बूढ़ा होकर हम क्या है पड़ी
आवर्त सारणी आवर्त सारणी
71 — लुटेटियम — Lu – Lutetium 72 — हाफ्नियम — Hf – Hafnium 73 — टाण्टलम — Ta – Tantalum 74 — टंग्स्टन — W — Tungsten (जर्मन भाषा के शब्द ‘Wolfram’ से)) 75 — रेनियम — Re – Rhenium 76 — अस्मियम — Os – Osmium 77 — इरिडियम — Ir – Iridium 78 — प्लाटिनम — Pt – Platinum 79 — सोना — Au — Gold (लैटिन शब्द ‘Aurum’ से) 80 — पारा — Hg — Mercury (लैटिन शब्द ‘Hydragyrum’ से)
81से 90 तत्व
थाली शीशा बिस्कुट पोलो
अष्ट्धातु की राडो पहनो
फ़्रान्स रेडियम एक्टिंग थोड़ी
आवर्त सारणी आवर्त सारणी
81 — थैलियम — Tl – Thallium 82 — सीसा — Pb — Lead (लैटिन शब्द ‘Plumbum’ से) 83 — बिस्मथ — Bi – Bismuth 84 — पोलोनियम — Po – Polonium 85 — एस्टाटिन — At – Astatine 86 — रेडन — Rn – Radon 87 — फ्रान्सियम — Fr – Francium 88 — रेडियम — Ra – Radium 89 — एक्टिनियम — Ac – Actinium 90 — थोरियम — Th – Thorium
91से100तत्व
परे ताकती यूरेनस नेप्चून प्लूटो
अमरीकन क्यूरी पहिने बरका
केलफ़ोर्निया में आइंसटीन सुनाये फ़रमानी
आवर्त सारणी आवर्त सारणी
91 — प्रोटैक्टीनियम — Pa – Protactinium 92 — युरेनियम — U – Uranium 93 — नेप्ट्यूनियम — Np – Neptunium 94 — प्लूटोनियम — Pu – Plutonium 95 — अमेरिशियम — Am – Americium 96 — क्यूरियम — Cm – Curium 97 — बर्केलियम — Bk – Berkelium 98 — कैलीफोर्नियम — Cf – Californium 99 — आइन्स्टाइनियम — Es – Einsteinium 100 — फर्मियम — Fm – Fermium
101से 112 तत्व
मंडल जीता नोबल लारेंस शहर में
डुबनी शीबो बोहरी बैठी हासिम मीटर देखे।
डरमस्त रो इंतजार में कापर्निकस छड़ी
आवर्त सारणी आवर्त सारणी
101 — मेण्डेलीवियम — Md – Mendelevium 102 — नोबेलियम — No – Nobelium 103 — लॉरेंशियम — Lr – Lawrencium 104 — रुथरफोर्डियम — Rf – Rutherfordium 105 — डब्नियम — Db – Dubnium 106 — सीबोर्गियम — Sg – Seaborgium 107 — बोरियम — Bh – Bohrium 108 — हसियम — Hs – Hassium 109 — मेइट्नेरियम — Mt – Meitnerium 110 — डार्म्स्टेडशियम — Ds – Darmstadtium 111 — रॉन्टजैनियम — Rg – Roentgenium 112 — उनउनबियम — Uub – Copernicium
113से 118 तत्व
अन अन करती तिरियम क्वाडो
पैन्टी हेक्सी लाये
सेप्टी आठ घाघरा पहिने रहे खड़ी
आवर्त सारणी आवर्त सारणी
113 — उनउनट्रियम — Uut – Ununtrium 114 — उनउनक्वाडृयम — Uuq – Ununquadium 115 — उनउनपैन्शियम — Uup – Ununpentium 116 — उनउनहैक्षियम — Uuh – Ununhexium 117 — उनउनसैप्क्षियम — Uus – Ununseptium 118 — उनउनऑक्षियम — Uuo — Ununoctium