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ज्ञानजी, जन्मदिन मुबारक!
By फ़ुरसतिया on November 14, 2007
हमारी पाडपोस्ट फिर उदासी तुम्हें घेर बैठी न हो पर अभी-अभी मैंनेज्ञानजी की टिप्पणी पढ़ी। उन्होंने टिपियाया है-
मुझे लगा कि आज या तो उनका जन्मदिन है या विवाह की वर्षगांठ। फिर मैंने आज उनकी पोस्ट देखी। उसमें उन्होंने लोकवाणी के दिनेश ग्रोवर जी के बारे में लिखते हुये बयाना-
हमने उनको फोनियाया और सोचा कि जनता को भी बता दें कि आज मार्निंग ब्लागर , ज्ञानदद्दा जी का जन्मदिन है। ताकि लोगों को भी मौका मिले उनको बधाई देने का।
ज्ञानजी और आलोक पुराणिक सुबह-सबेरे के चैनेल वाले ब्लागर हैं। सुबह अगर सबेरा हो गया है तो इनकी पोस्ट आ ही जाती है। एक दिन तो रात भर मौका मुआयना और ट्रैक-मेंन्टिनेंस करने के बाद पोस्ट लिखकर सोने गये। ब्लागिंग से उनका इश्क हो गया है। ब्लागिंग के प्रति उनका प्यार उस कैटेगरी का प्यार है जिस कैटेगरी में पुराने जमाने में राजा लोग अपने चौथेपन में नवेली रानियों से करते होंगे। लेकिन नहीं उनके मामले में तो राजा लोग रानियों के इशारे पर नाचते थे जबकि यहां ज्ञानजी का ब्लाग इनके कहने के हिसाब से चलता है।
ज्ञानजी के लेखन की खासियत इनका अनप्रेड्क्टेबल होना है। नित नये विषय , नये अंदाज में पेश करते हैं। उनके लेखन में नवीनता बनी रहती है।
आलोक पुराणिक जी तो उनकी दक्षता पर चकित च विस्मित से हैं। हैं तो हम भी लेकिन आलोक पुराणिक की बात इसलिये की काहे से वे हमसे बड़े चिरकुट मानते हैं अपने को। बल्कि सबसे बड़ा चिरकुट मानते हैं इसलिये उनके माध्यम से कही गयी यह बात।
जैसे पुराने जमाने में हर देवता का खास हथियार होता था (विष्णुजी का चक्र सुदर्शन, शंकरजी का त्रिशूल , परशुरामजी का फ़रसा) वैसे ही पाण्डेयजी का हथियार उनका कैमरा है। इसकी पकड़ से कोई कोना-अतरा बचता नहीं है। चाहे फिर वह लोकवाणी के दिनेश ग्रोवर जी हों या चिन्दिया बीनते बच्चे या और भी कोई रोजमर्रा की चीजें। मुझे लगता है कि अगर ज्ञानजी का कैमरा और आलोक पुराणिक से उनके उन बच्चों की कापियां ले लीं जायें जिनकी नकल करके वे अपने लेख लिखते हैं तो उनके लेखन की तीव्रता कम हो जाये। लेकिन ऐसा होगा नहीं। वे लोग फिर कोई हथियार तलाश लेंगे। शायद वह ज्यादा मारूं टाइप का हो।
ज्ञानजी रेलवे में अधिकारी हैं। चूंकि यह बात वे छिपाते नहीं इसलिये कभी-कभी लोग उनके लेखन में व्यक्त भाव को अफ़सरी की अकड़ और मर्दवादी तेवर भी खोजते हैं। पाण्डेयजी हालांकि इसकी सफ़ाई नहीं देते लेकिन यह जरूर लगता है कि उनके अधिकारी होने से उनके लेखन को अफ़सरी अकड़ वाला काहे समझा जाये।
ज्ञानजी अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिये जाने जाते हैं। वे अपने राय बिना किसी लाग-लपेट के व्यक्त कर ही देते हैं। इस लिहाज वे खेमा विहीन हैं। जो सही लगे वह बात कहना जानते हैं। कह भी देते हैं।
पाण्डेयजी उन ब्लागरों में हैं जो एक बार ब्लागिंग को नमस्ते कहकर वापस आये हैं। और अब ऐसे आये हैं कि धांस के लिख रहे हैं। उनकी वापसी की बात हालांकि पुरानी हो गयी है और अब तो लोग यही जानते हैं कि अगर ज्ञानजी की पोस्ट नहीं आयी तो लगता है नेट पर कुछ लोचा है।
आज हमारे प्रिय , पसंदीदा ब्लागर पाण्डेयजी का जन्मदिन है। मैं उनको अपनी तरफ़ से और अपने तमाम दोस्तों , घर परिवार के तरफ़ से इस अवसर पर मंगलकामनायें करता हूं। शुभकामना प्रेषित करता हूं।
कामना है वे शतायु हों। चुस्त,दुरुस्त बने रहें। अलमस्त लेखन करते रहें।
और उनकी वे कामनायें भी पूरी हों लगातार अवधी बोलने की इच्छा पूरी हो। उनकी शिराघात पर साइट बनाने का काम पूरा हो।
वे हमेशा आलोक पुराणिक की संगति में हमारे लिये प्रात:पठनीय, तरोताजा लेखन करते रहें।
ओह, पण्डिज्जी, यह तो बहुत सुन्दर रहा। पॉडकास्टिंग को मैं फालतू फण्ड की चीज मानता था। पर इस काव्य-पाठ ने मेरी सोच बदल दी। आज का दिन वैसे भी विशेष है मेरे लिये और इस काव्य-पाठ को बतौर उपहार ले रहा हूं।
मुझे लगा कि आज या तो उनका जन्मदिन है या विवाह की वर्षगांठ। फिर मैंने आज उनकी पोस्ट देखी। उसमें उन्होंने लोकवाणी के दिनेश ग्रोवर जी के बारे में लिखते हुये बयाना-
आज दिनेश जी 77 के हो गये। जन्मदिन की बधाई। इतनी उम्र में इतने चुस्त-दुरुस्त! मैं सोचता था वे 65 साल के होंगे।इससे हमें पक्का यकीन हो गया कि आज उनका जन्मदिन है।
हमने उनको फोनियाया और सोचा कि जनता को भी बता दें कि आज मार्निंग ब्लागर , ज्ञानदद्दा जी का जन्मदिन है। ताकि लोगों को भी मौका मिले उनको बधाई देने का।
ज्ञानजी और आलोक पुराणिक सुबह-सबेरे के चैनेल वाले ब्लागर हैं। सुबह अगर सबेरा हो गया है तो इनकी पोस्ट आ ही जाती है। एक दिन तो रात भर मौका मुआयना और ट्रैक-मेंन्टिनेंस करने के बाद पोस्ट लिखकर सोने गये। ब्लागिंग से उनका इश्क हो गया है। ब्लागिंग के प्रति उनका प्यार उस कैटेगरी का प्यार है जिस कैटेगरी में पुराने जमाने में राजा लोग अपने चौथेपन में नवेली रानियों से करते होंगे। लेकिन नहीं उनके मामले में तो राजा लोग रानियों के इशारे पर नाचते थे जबकि यहां ज्ञानजी का ब्लाग इनके कहने के हिसाब से चलता है।
ज्ञानजी के लेखन की खासियत इनका अनप्रेड्क्टेबल होना है। नित नये विषय , नये अंदाज में पेश करते हैं। उनके लेखन में नवीनता बनी रहती है।
आलोक पुराणिक जी तो उनकी दक्षता पर चकित च विस्मित से हैं। हैं तो हम भी लेकिन आलोक पुराणिक की बात इसलिये की काहे से वे हमसे बड़े चिरकुट मानते हैं अपने को। बल्कि सबसे बड़ा चिरकुट मानते हैं इसलिये उनके माध्यम से कही गयी यह बात।
जैसे पुराने जमाने में हर देवता का खास हथियार होता था (विष्णुजी का चक्र सुदर्शन, शंकरजी का त्रिशूल , परशुरामजी का फ़रसा) वैसे ही पाण्डेयजी का हथियार उनका कैमरा है। इसकी पकड़ से कोई कोना-अतरा बचता नहीं है। चाहे फिर वह लोकवाणी के दिनेश ग्रोवर जी हों या चिन्दिया बीनते बच्चे या और भी कोई रोजमर्रा की चीजें। मुझे लगता है कि अगर ज्ञानजी का कैमरा और आलोक पुराणिक से उनके उन बच्चों की कापियां ले लीं जायें जिनकी नकल करके वे अपने लेख लिखते हैं तो उनके लेखन की तीव्रता कम हो जाये। लेकिन ऐसा होगा नहीं। वे लोग फिर कोई हथियार तलाश लेंगे। शायद वह ज्यादा मारूं टाइप का हो।
ज्ञानजी रेलवे में अधिकारी हैं। चूंकि यह बात वे छिपाते नहीं इसलिये कभी-कभी लोग उनके लेखन में व्यक्त भाव को अफ़सरी की अकड़ और मर्दवादी तेवर भी खोजते हैं। पाण्डेयजी हालांकि इसकी सफ़ाई नहीं देते लेकिन यह जरूर लगता है कि उनके अधिकारी होने से उनके लेखन को अफ़सरी अकड़ वाला काहे समझा जाये।
ज्ञानजी अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिये जाने जाते हैं। वे अपने राय बिना किसी लाग-लपेट के व्यक्त कर ही देते हैं। इस लिहाज वे खेमा विहीन हैं। जो सही लगे वह बात कहना जानते हैं। कह भी देते हैं।
पाण्डेयजी उन ब्लागरों में हैं जो एक बार ब्लागिंग को नमस्ते कहकर वापस आये हैं। और अब ऐसे आये हैं कि धांस के लिख रहे हैं। उनकी वापसी की बात हालांकि पुरानी हो गयी है और अब तो लोग यही जानते हैं कि अगर ज्ञानजी की पोस्ट नहीं आयी तो लगता है नेट पर कुछ लोचा है।
आज हमारे प्रिय , पसंदीदा ब्लागर पाण्डेयजी का जन्मदिन है। मैं उनको अपनी तरफ़ से और अपने तमाम दोस्तों , घर परिवार के तरफ़ से इस अवसर पर मंगलकामनायें करता हूं। शुभकामना प्रेषित करता हूं।
कामना है वे शतायु हों। चुस्त,दुरुस्त बने रहें। अलमस्त लेखन करते रहें।
और उनकी वे कामनायें भी पूरी हों लगातार अवधी बोलने की इच्छा पूरी हो। उनकी शिराघात पर साइट बनाने का काम पूरा हो।
वे हमेशा आलोक पुराणिक की संगति में हमारे लिये प्रात:पठनीय, तरोताजा लेखन करते रहें।
Posted in सूचना | 23 Responses
एक बार पुनः जन्मदिन की शुभकामनाएं,इन शब्दों के साथ :
” देखें शत शरदों की शोभा
जिएं सुखी सौ वर्ष।
देखें नव कलरव में
सौ वसंत के हर्ष ॥ “
ज्ञान दद्दा को जन्मदिन की बधाई व शुभकामनाएं!!
बकिया पार्टी हम इलाहाबाद मे आकर ले लेंगे, दिसम्बर में। ठीक है ना?
ज्ञान जी को!
कामना है वे शतायु हों। चुस्त,दुरुस्त बने रहें। अलमस्त लेखन करते रहें।
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आमीन
अस्वस्थता के कारण आपकी कई पोस्ट आज ही पढ़ रही हूँ —
सही और नियमित धारदार लेखन के लिए बधाई –
और ज्ञान भाई सा’ब को पुन
: हेपी बर्थडे
- लावण्या