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रामू, जरा चाय पिलाओ
By फ़ुरसतिया on July 23, 2009
गर्मी का मौसम बदस्तूर जारी है। बारिश आई लेकिन हांफ़ते हुये। लगता है
बादलों का पानी रास्ते में बिचौलिये ले उड़े। या फ़िर बादलों को लग रहा होगा
कहीं धरती पर सम्मानित न कर दिये जायें इसलिये तमाम बादल रास्ते से कट
लिये। इन्द्र भगवान हलकान हैं। उनको तमाम इलाकों से बारिश की प्रार्थनाओं
के पैकेज मिले थे। कई भगवानों ने सिफ़ारिशें की थीं कि फ़लां इलाके में एक
बादल ज्यादा पानी गिरा देना वहां हमारा भक्त रहता है। भक्त भगवान से विनती
करते हुये कई बार चेतावनी दे चुका है- अबकी पानी न बरसाया तो
दूसरा भगवान ज्वाइन कर लूंगा। ऐसे भगवान का क्या फ़ायदा जो मौके पर बारिश भी
न करा सके। हमें कमी नहीं है भगवानों की। आप अकेले नहीं हैं। करोंड़ों
भगवान हैं। रोज फ़ोन आते हैं मोबाइल पर। सस्ती प्रार्थना दर पर भगवान की
सेवायें प्राप्त करें।
किसी ने इन्द्र भगवान को बादलों पर आयोग बैठाने की सलाह दी। लेकिन उनको पता चला कि आयोग बैठ जाता है और साथ में जांच को बैठा लेता है। जांच और आयोग सालों तक बैठे रहते हैं। कुछ नहीं करते। बैठे-बैठे दोनों बालिग हो जाते हैं । बालिग लोगों को आपसी सहमति से जो मन आये वो करने की छूट है इसलिये जांच और आयोग के मामले में कोई कुछ बोलता भी नहीं। बहुत हल्ला मचाओ तो एक ठो रिपोर्ट पैदा करके थमा देते हैं ! जांच और आयोग मिलकर असलियत की जमीन पर रिपोर्ट की फ़सल उगाने का काम करते हैं।
इसलिये इन्द्र भगवान असलियल जानने के लिये बादलों से बात करते हैं। बादल-बादल , बदली-बदली पूछताछ करते हैं। उनके पास अपने बहाने हैं।
कोई बादल कह रहा है कि उसके पास पानी ज्यादा है। ले जाने के लिये कुली बादल दिया जाये। भगवान टोंकते हैं सालों से तुम खुद अकेले बरसने जा रहे हो और आज क्यों तुम्हें कुली बादल चाहिये?
बादल ने सूचना दी कि अब उसका प्रमोशन हो गया है और उसे नियमानुसार पानी उठाकर ले जाने के लिये कुली बादल चाहिये।
इन्द्र भगवान उसे बहला रहे हैं- यार लेते जाओ पानी। जैसे पहले बरसते आये वैसे बरस आओ। कुली के पैसे क्लेम कर लेना। हम बिल पास करवा देंगे।
बादल अपने पिछले बिल के अभी तक पास न होने का उलाहना देता है। इन्द्र भगवान उसे आश्वासन देते हैं कि जल्द ही उसे पास करवा देगे और आगे बढ़ते हुये बिल क्लर्क को चाय-पानी करवा देने की समझाइस देते जाते हैं।
दूसरा बादल अपनी परेशानियां बताता है कि उसके साथ की बदली उसको छेड़ती है और रास्ते भर कहती है- तुम तो बादल लगते ही नहीं हो। कित्ते क्यूट हो। कहां बरसने के लिये पानी लिये जा रहे हो। ये पानी मुझे दे दो न! हमें अपना मेकअप छुड़ाना है।
इन्द्र भगवान उसको समझाते हैं- असल में वो वाली बदली शापग्रस्त अप्सरा है। मेकअप करने और छुड़ाने के अलावा उसे और कुछ आता नहीं। तुम्हारे साथ इसीलिये लगाया कि तुम जैसे रूखे-सूखे के बादल के साथ रहेगी तो कुछ बरसना भी सीखेगी। वैसे भी वो एक साल के लिये ही शापित है। इसके बाद फ़िर उसे महफ़िलों में सजना है। न जाने कितने देवताओं को प्रिय है। कईयों की मुंहलगी है। उससे कुछ कहते भी नहीं बनता।
एक बदली उलाहना देती है- साहब अब बरसने से क्या फ़ायदा। पहले बरसते थे तो लोग भीगते थे हमारे पानी से। बच्चे छप्प-छप्प , छैयां-छैयां खेलते थे। अब तो जहां बरसाती हूं लोग छतरी तान देते हैं। कित्ता दुख होता। हम यहां से बरसने के लिये धरती पर जायें और वो हमसे परदा कर लें। छाते की नोक भाले सी चुभती है।
इन्द्र भगवान बदली को निहारते हुये उवाचते हैं- तुम तो सब जानती हो। सबने तो अपने यहां बोरिंग करवा रखी है। अपने बाथरूम में भीग लेते हैं रोज शावर लगाकर। लेकिन तुम भी तो अपनी आदत से बाज आओ। न जाने क्यों तुमको शहर ही ज्यादा रास आते हैं। बरसने के लिये। गांव-देहात में जाया करो बरसने के लिये। वहां लोग सूनीं आखें लिये तुम्हारा इंतजार करते रहते हैं। यहां क्या मिलता है तुमको जाम सीवर , बंद नालों और खुदी सड़कों के सिवा। क्यों भारत माता ग्राम वासिनी का पल्ला छोड़कर शहरनिवासिनी के पास जाती हो हमेशा?
बदली ने कारण बताते हुये कहा- अब साहब आपसे क्या छिपायें? आपकी बात सही है कि शहरों में कूड़ा,कचरा के सिवा और कुछ नहीं है लेकिन बड़े-बड़े माल्स तो हैं। वहां अपना पानी फ़ेंक कर मैं किसी माल में घुस जाती हूं और एक के साथ दो फ़्री वाली स्कीम से अपनी पसंद के क्रीम पाउडर ले आती हूं। इसलिये शहर मुझे ज्यादा पसंद आते हैं।
इन्द्रजी ने चेताते हुये कहा- वो तो सब ठीक है लेकिन ऐसा कब तक चलेगा? ड्यूटी चार्ट में तुमको गांवों में बरसने की ड्यूटी दी जाती है। लेकिन बरसती तुम शहरों में हो। किसी ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेकर सवाल पूछ दिये तो रोते नहीं बनेगा। सारा क्रीम पाउडर धुल-पुछ जायेगा।
बदली इठलाती और बल खाते हुये बोली- आपके रहते हुये मुझे किसी बात की चिन्ता नहीं। अब मैं चली। शहर के माल खुल गये होंगे। देखूं कौन से नये ब्रांड की क्रीम की सेल लगी है आज!
इन्द्र भगवान आगे खड़े ढेर सारे बादलों से पूछताछ के लिये बढ़े लेकिन तब तक पता चला कि बादलों का चाय का समय हो चुका था। इंद्र भगवान को भी चयास लगी थी। वे लपक कर अपने चैम्बर में पहुंचे और घंटी बजाकर बोले- रामू, जरा चाय पिलाओ।
किसी ने इन्द्र भगवान को बादलों पर आयोग बैठाने की सलाह दी। लेकिन उनको पता चला कि आयोग बैठ जाता है और साथ में जांच को बैठा लेता है। जांच और आयोग सालों तक बैठे रहते हैं। कुछ नहीं करते। बैठे-बैठे दोनों बालिग हो जाते हैं । बालिग लोगों को आपसी सहमति से जो मन आये वो करने की छूट है इसलिये जांच और आयोग के मामले में कोई कुछ बोलता भी नहीं। बहुत हल्ला मचाओ तो एक ठो रिपोर्ट पैदा करके थमा देते हैं ! जांच और आयोग मिलकर असलियत की जमीन पर रिपोर्ट की फ़सल उगाने का काम करते हैं।
इसलिये इन्द्र भगवान असलियल जानने के लिये बादलों से बात करते हैं। बादल-बादल , बदली-बदली पूछताछ करते हैं। उनके पास अपने बहाने हैं।
कोई बादल कह रहा है कि उसके पास पानी ज्यादा है। ले जाने के लिये कुली बादल दिया जाये। भगवान टोंकते हैं सालों से तुम खुद अकेले बरसने जा रहे हो और आज क्यों तुम्हें कुली बादल चाहिये?
बादल ने सूचना दी कि अब उसका प्रमोशन हो गया है और उसे नियमानुसार पानी उठाकर ले जाने के लिये कुली बादल चाहिये।
इन्द्र भगवान उसे बहला रहे हैं- यार लेते जाओ पानी। जैसे पहले बरसते आये वैसे बरस आओ। कुली के पैसे क्लेम कर लेना। हम बिल पास करवा देंगे।
बादल अपने पिछले बिल के अभी तक पास न होने का उलाहना देता है। इन्द्र भगवान उसे आश्वासन देते हैं कि जल्द ही उसे पास करवा देगे और आगे बढ़ते हुये बिल क्लर्क को चाय-पानी करवा देने की समझाइस देते जाते हैं।
दूसरा बादल अपनी परेशानियां बताता है कि उसके साथ की बदली उसको छेड़ती है और रास्ते भर कहती है- तुम तो बादल लगते ही नहीं हो। कित्ते क्यूट हो। कहां बरसने के लिये पानी लिये जा रहे हो। ये पानी मुझे दे दो न! हमें अपना मेकअप छुड़ाना है।
इन्द्र भगवान उसको समझाते हैं- असल में वो वाली बदली शापग्रस्त अप्सरा है। मेकअप करने और छुड़ाने के अलावा उसे और कुछ आता नहीं। तुम्हारे साथ इसीलिये लगाया कि तुम जैसे रूखे-सूखे के बादल के साथ रहेगी तो कुछ बरसना भी सीखेगी। वैसे भी वो एक साल के लिये ही शापित है। इसके बाद फ़िर उसे महफ़िलों में सजना है। न जाने कितने देवताओं को प्रिय है। कईयों की मुंहलगी है। उससे कुछ कहते भी नहीं बनता।
एक बदली उलाहना देती है- साहब अब बरसने से क्या फ़ायदा। पहले बरसते थे तो लोग भीगते थे हमारे पानी से। बच्चे छप्प-छप्प , छैयां-छैयां खेलते थे। अब तो जहां बरसाती हूं लोग छतरी तान देते हैं। कित्ता दुख होता। हम यहां से बरसने के लिये धरती पर जायें और वो हमसे परदा कर लें। छाते की नोक भाले सी चुभती है।
इन्द्र भगवान बदली को निहारते हुये उवाचते हैं- तुम तो सब जानती हो। सबने तो अपने यहां बोरिंग करवा रखी है। अपने बाथरूम में भीग लेते हैं रोज शावर लगाकर। लेकिन तुम भी तो अपनी आदत से बाज आओ। न जाने क्यों तुमको शहर ही ज्यादा रास आते हैं। बरसने के लिये। गांव-देहात में जाया करो बरसने के लिये। वहां लोग सूनीं आखें लिये तुम्हारा इंतजार करते रहते हैं। यहां क्या मिलता है तुमको जाम सीवर , बंद नालों और खुदी सड़कों के सिवा। क्यों भारत माता ग्राम वासिनी का पल्ला छोड़कर शहरनिवासिनी के पास जाती हो हमेशा?
बदली ने कारण बताते हुये कहा- अब साहब आपसे क्या छिपायें? आपकी बात सही है कि शहरों में कूड़ा,कचरा के सिवा और कुछ नहीं है लेकिन बड़े-बड़े माल्स तो हैं। वहां अपना पानी फ़ेंक कर मैं किसी माल में घुस जाती हूं और एक के साथ दो फ़्री वाली स्कीम से अपनी पसंद के क्रीम पाउडर ले आती हूं। इसलिये शहर मुझे ज्यादा पसंद आते हैं।
इन्द्रजी ने चेताते हुये कहा- वो तो सब ठीक है लेकिन ऐसा कब तक चलेगा? ड्यूटी चार्ट में तुमको गांवों में बरसने की ड्यूटी दी जाती है। लेकिन बरसती तुम शहरों में हो। किसी ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेकर सवाल पूछ दिये तो रोते नहीं बनेगा। सारा क्रीम पाउडर धुल-पुछ जायेगा।
बदली इठलाती और बल खाते हुये बोली- आपके रहते हुये मुझे किसी बात की चिन्ता नहीं। अब मैं चली। शहर के माल खुल गये होंगे। देखूं कौन से नये ब्रांड की क्रीम की सेल लगी है आज!
इन्द्र भगवान आगे खड़े ढेर सारे बादलों से पूछताछ के लिये बढ़े लेकिन तब तक पता चला कि बादलों का चाय का समय हो चुका था। इंद्र भगवान को भी चयास लगी थी। वे लपक कर अपने चैम्बर में पहुंचे और घंटी बजाकर बोले- रामू, जरा चाय पिलाओ।
साहब अब बरसने से क्या फ़ायदा। पहले बरसते थे तो लोग भीगते थे हमारे पानी से। बच्चे छप्प-छप्प , छैयां-छैयां खेलते थे। अब तो जहां बरसाती हूं लोग छतरी तान देते हैं। कित्ता दुख होता। हम यहां से बरसने के लिये धरती पर जायें और वो हमसे परदा कर लें। छाते की नोक भाले सी चुभती है।
बहुत सही लिखा है जी..
लल्लू कहीं का !
इन्द्रजी ने चेताते हुये कहा- वो तो सब ठीक है लेकिन ऐसा कब तक चलेगा? ड्यूटी चार्ट में तुमको गांवों में बरसने की ड्यूटी दी जाती है। लेकिन बरसती तुम शहरों में हो। किसी ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेकर सवाल पूछ दिये तो रोते नहीं बनेगा। सारा क्रीम पाउडर धुल-पुछ जायेगा।
बदली इठलाती और बल खाते हुये बोली- आपके रहते हुये मुझे किसी बात की चिन्ता नहीं। अब मैं चली। शहर के माल खुल गये होंगे। देखूं कौन से नये ब्रांड की क्रीम की सेल लगी है आज!
इन्द्र भगवान आगे खड़े ढेर सारे बादलों से पूछताछ के लिये बढ़े लेकिन तब तक पता चला कि बादलों का चाय का समय हो चुका था। इंद्र भगवान को भी चयास लगी थी। वे लपक कर अपने चैम्बर में पहुंचे और घंटी बजाकर बोले- रामू, जरा चाय पिलाओ।………..
बहुत बेबाक और सटीक चित्रण है .
मूर्ख नहीं मित्र यह उसकी मज़बूरी है । बदली को नये ज़माने की हवा लगेली है, वह पुरुष मानसिकता का ताना दे देकर बेचारे को बिलगाये हुये है । क्या करे बेचारा, वह भरा बैठा है..
बदलिया ससुरी मान जाय तो झड़ी लगाये
एक सँभावना यह भी कि उस बेचारे की फ़ाइलें सचिवालय में घूम रही हों, बाबू ने दबा रखा हो कि, सूखा राहत का पैसा रिलीज़ हो जाये, तो वह इनके बरसने की समयसारिणी दराज़ से बाहर निकाले ।
निट्ठल्ला स्टिंग आपरेशन वाले तो यह भी दावा कर रहे हैं कि, केन्द्र और राज्य के झगड़ों की माया ने हाई कोर्ट से स्थगनादेश ले रखा है कि पहले तय होजाय कि यह किसके परिक्षेत्र का मामला है, और इसमें एक दूसरे को बदनाम करने की कितनी सँभावनायें हैं ।
मत भूलो कि तुम फ़ुरसतिया के ब्लाग पर टिप्पणी दे रहे हो । सँभावनाये अनन्त हैं, प्रभु ।
इण्डिया इज़ अ कँन्ट्री फ़ुल आफ़ पासिबिलीटीज़ – हिल्लोरी
रामू की चाय पी पी कर ऊब लिये हैं। टूर पर निकलें तो शायद कोई बदरी दिखे!
इन्द्र के दरबार का स्टिंग ऑपरेशन! बड़ा रोचक दरबार है इन्द्र बाबू का.
भाई वो ताऊ हांक लेगया आपके बादलों को तो अपनी भैंस समझ कर. और उसके शहर मे कल १५ घंटे मे ९ इंच बारिश करवा ली. आपको करवाना हो तो इंद्र को छोडो..ताऊओं से बात करो. आजकल बारिश का ठेका भी उनके पास ही है और ठेका जरा ज्यादा मे छूटा है सो पैसे तगडे लगेंगे.:)
रामराम.
पोस्ट पढ़कर लगता है किसी ने बहुत बड़ा मानसून घोटाला किया है |
जांच होनी चाहिए !
बढ़िया लेखन |
मुंबई पर मेहरबान है यहां दिल्ली में हम परेशान हैं
लाजवाब लिखा है आपने…वाह !!
जान गये कि काहे बम्बई पर बादल बदली का कहर बरप रहा है और ग्राम सूखे पड़े हैं.
वाह!!
अब चाय पी जाये.
यहाँ बिहार में तो खूब जम के बरसी है दू ठो बदली कल से……
आप है ना, बड़े कलाकार हैं, बड़ी भारी भारी बातेँ बड़े ही हल्के फुल्के से लिख डालते हैं…
ज़रूर इन्द्र देव ने सभी बदलियों को मेकअप भत्ता नहीं दिया होगा… या फिर दिया भी होगा तो किसी ने बीच में ही सड़प लिया होगा… तभी बहाने कर रही हैं…!