http://web.archive.org/web/20140403135323/http://hindini.com/fursatiya/archives/4655
कन्ज्यूमर फ़ोरम में भगवान
By फ़ुरसतिया on August 25, 2013
आजकल हमारे एक मित्र कन्ज्यूमर फ़ोरम के चक्कर काट रहे हैं।
उन्होंने कहीं पढ लिया है :
कन्जूमर फ़ोरम वाला हालांकि खुद हलकान है लेकिन भगवान के खिलाफ़ कोई कार्यवाही करने से हिचक रहा है। वो जानता है कि भगवान सर्वशक्तिमान हैं। लीला के बहाने किसी को भी दो मिनट में निपटा सकते हैं। वह जानता है कि अपने देश का कानून वैज्ञानिक चेतना संपन्न हो गया है। सापेक्षता के सिद्धान्त के आधार पर काम करता है। अपराधी को आर्थिक, राजनैतिक हैसियत देखकर कार्रवाई करता है। थानेदार किसी शरीफ़ को भले दो मिनट में बिना किसी जुर्म के अंदर कर दे लेकिन किसी लफ़ंगे के खिलाफ़ कार्रवाई करने से पहले ’नेताजी’ से उसके संबंध की पड़ताल करता है। फ़िर यहां तो मामला सर्वशक्तिमान के खिलाफ़ कार्रवाई का है। वह मामला टालता है। भगवान का वकील बन जाता है।
भगवान से तुमने कौन सी खरीददारी की है जो तुम उनके खिलाफ़ कन्ज्य़ूमर फ़ोरम में शिकायत कर रहे हो? कन्ज्यूमर फ़ोरम वाला प्रमाण मांग रहा है।
खरीददारी नहीं भाई सर्विस कान्ट्रैक्ट किया है भाई। प्रसाद चढ़ाया है। ये देखो रसीद। प्रसाद तो इसीलिये चढाते हैं कि जहां धरम की हानि होगी वहां भगवान अवतार लेंगे। लेकिन यहां तो धर्म तबाह हो रहा है पर भगवान अवतार ले ही नहीं रहे है।
भगवान का काम अब बहुत बढ़ गया है। भगवान ने खुद आने की गारन्टी जब ली थी तब उनका काम बहुत इत्ता फ़ैला नहीं था। तब की बात और थी। जहां शिकायत मिलती थी खुद दौड़े चले जाते थे। एक जगह तो नंगे पैर भागे चले गये। किसी ग्राह ने पकड़ लिया था गज को। पुकार सुनते ही चप्पल उतार के भागे। गज को बचाया ग्राह से। गज से शिकायत निवारण रजिस्टर पर दस्तखत लिये। दुनिया भर के ग्रंथों में उसकी इंट्री करायी। उसी से उनकी इमेज बनी। काम बढ़ा। अब काम इत्ता बढ़ गया है कि सब जगह जाना संभव नहीं। इसलिये जगह-जगह उन्होंने अपने सर्विस सेंटर खोल रखे हैं। हर मोहल्ले में कई शाखायें हैं।
“मोहल्ले में सर्विस सेंटर ? हमें तो कहीं दिखा नहीं। ” हमारे मित्र हक्के कम बक्के ज्यादा हो गये।
अरे आप शिकायत करने की जिद में अंधे हैं तो कैसे दिखेगा? जगह-जगह फ़ालतू पड़ी जमीन पर कब्जा करके जो मंदिर बने हैं- वही तो हैं सर्विस सेंटर। आप जाइये वहां अपनी अर्जी लगाइये। आपकी समस्या हल हो जायेगी। -उपभोक्ता क्लर्क ने बताया।
लेकिन जगहों पर कब्जा करके मंदिर बनाने वाले गुंडे हैं। भगवान ने उन्हें कैसे अपना एजेंट बनाया भाई? -मित्र आश्चर्य चकित हुये।
अरे जब काम बढ़ता है तो गुंडे भी रखने पड़ते हैं भाई। अभी दो चैनलों ने अपने सैकड़ों पत्रकारों को निकाला। गुंडे लगा रखे थे इस्तीफ़ा लेने के लिये। गुंड़े न होते तो पत्रकार जाते भला?
लेकिन मंदिरों, आश्रमों में हत्या, बलात्कार होते हुये भगवान देखते नहीं क्या? वे उनके खिलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करते?
अरे आप प्रभु की स्थिति समझो भाई। आजकल भगवान की हालत गठबंधन सरकार के मुखिया सरीखी हो गयी है। महंत, मठाधीश स्वयं उनके एजेंट बन जाते हैं। उनके पास लाखों भक्त होते हैं। इन छुटभैये स्वयं भू भगवानों के खिलाफ़ अगर भगवान कोई कार्रवाई करते हैं तो भगवान से समर्थन वापस ले सकते हैं। भगवान की सरकार गिर सकती है। इसलिये भगवान बेचारे चुपचाप देखते रहते हैं।- उपभोक्ता फ़ोरम क्लर्क कायदे से समझाने लगा।
अगर ऐसा ही है भगवान अपने पद से इस्तीफ़ा क्यों नहीं दे देते- मित्र के चेहरे पर भगवान के लिये सहानुभूति उपजी?
अरे ये लोकल भगवान लेने दें तब न। किसी को अपना धंधा थोड़ी बन्द कराना है। भगवान की नियति है सब कुछ चुपचाप होते देखना। टुकुर-टुकुर ताकना। प्रसाद ग्रहण करना और आशीर्वाद देना। इससे अधिक कुछ नहीं उनके हाथ में।
और ये उनकी गारन्टी कि जब-जब धर्म की हानि होगी तब-तब अवतार लेंगे। सज्जनों का कष्ट हरेंगे?
वो गारन्टी तो पूरी हो रही है। जगह-जगह भगवान ले रहे हैं। हर तरह के कष्ट के लिये भगवान अवतार ले रहे हैं। सज्जनों के कष्ट दूर हो रहे हैं। अगर कष्ट दूर न हो रहे होते तो भगवानों की इत्ती डिमाड न होती। उनके खिलाफ़ शिकायत लिखाने से पहले आप सोच लीजिये कि कहीं आप उनकी मानहानि तो नहीं कर रहे। कहीं इलाके किसी स्वयंभू भगवान की नजर में आपकी शिकायत आ गयी तो फ़िर शायद आपको भगवान भी न बचा न पायें।
मित्र अपनी शिकायत समेटकर वापस लौटे हैं। वे अपना अनुभव मुझे सुना रहे हैं हमको उसी समय बगल के घर से हो रहे अखंड रामायण का पाठ सुनाई दे रहा है-
“जब-जब होय धरम की हानी”!
मित्र हमसे पूछ रहे हैं आप बताइये क्या किया जाये?
हम आपसे पूछ रहे हैं आपकी राय क्या है?
उन्होंने कहीं पढ लिया है :
जब-जब होय धरम की हानी,जबसे ये पढा है उन्होंने तबसे कन्ज्यूमर फ़ोरम में भगवान के खिलाफ़ शिकायत लिखाने के पीछे पड़े हुये हैं। उनकी शिकायत है – रोज इत्ता धरम नष्ट हो रहा है, सज्जन लोग परेशान हो रहे हैं। मंहगाई आसमान छू रही है। लूटपाट हो रही है। गुंडागर्दी बढ़ रही है। इस सबके बाद भी भगवान अवतार नहीं ले रहे हैं।
बाढहिं असुर अधम अभिमानी।
तब-तब धरि प्रभु मनुज शरीरा,
हरहिं दयानिधि सज्जन पीरा।
कन्जूमर फ़ोरम वाला हालांकि खुद हलकान है लेकिन भगवान के खिलाफ़ कोई कार्यवाही करने से हिचक रहा है। वो जानता है कि भगवान सर्वशक्तिमान हैं। लीला के बहाने किसी को भी दो मिनट में निपटा सकते हैं। वह जानता है कि अपने देश का कानून वैज्ञानिक चेतना संपन्न हो गया है। सापेक्षता के सिद्धान्त के आधार पर काम करता है। अपराधी को आर्थिक, राजनैतिक हैसियत देखकर कार्रवाई करता है। थानेदार किसी शरीफ़ को भले दो मिनट में बिना किसी जुर्म के अंदर कर दे लेकिन किसी लफ़ंगे के खिलाफ़ कार्रवाई करने से पहले ’नेताजी’ से उसके संबंध की पड़ताल करता है। फ़िर यहां तो मामला सर्वशक्तिमान के खिलाफ़ कार्रवाई का है। वह मामला टालता है। भगवान का वकील बन जाता है।
भगवान से तुमने कौन सी खरीददारी की है जो तुम उनके खिलाफ़ कन्ज्य़ूमर फ़ोरम में शिकायत कर रहे हो? कन्ज्यूमर फ़ोरम वाला प्रमाण मांग रहा है।
खरीददारी नहीं भाई सर्विस कान्ट्रैक्ट किया है भाई। प्रसाद चढ़ाया है। ये देखो रसीद। प्रसाद तो इसीलिये चढाते हैं कि जहां धरम की हानि होगी वहां भगवान अवतार लेंगे। लेकिन यहां तो धर्म तबाह हो रहा है पर भगवान अवतार ले ही नहीं रहे है।
भगवान का काम अब बहुत बढ़ गया है। भगवान ने खुद आने की गारन्टी जब ली थी तब उनका काम बहुत इत्ता फ़ैला नहीं था। तब की बात और थी। जहां शिकायत मिलती थी खुद दौड़े चले जाते थे। एक जगह तो नंगे पैर भागे चले गये। किसी ग्राह ने पकड़ लिया था गज को। पुकार सुनते ही चप्पल उतार के भागे। गज को बचाया ग्राह से। गज से शिकायत निवारण रजिस्टर पर दस्तखत लिये। दुनिया भर के ग्रंथों में उसकी इंट्री करायी। उसी से उनकी इमेज बनी। काम बढ़ा। अब काम इत्ता बढ़ गया है कि सब जगह जाना संभव नहीं। इसलिये जगह-जगह उन्होंने अपने सर्विस सेंटर खोल रखे हैं। हर मोहल्ले में कई शाखायें हैं।
“मोहल्ले में सर्विस सेंटर ? हमें तो कहीं दिखा नहीं। ” हमारे मित्र हक्के कम बक्के ज्यादा हो गये।
अरे आप शिकायत करने की जिद में अंधे हैं तो कैसे दिखेगा? जगह-जगह फ़ालतू पड़ी जमीन पर कब्जा करके जो मंदिर बने हैं- वही तो हैं सर्विस सेंटर। आप जाइये वहां अपनी अर्जी लगाइये। आपकी समस्या हल हो जायेगी। -उपभोक्ता क्लर्क ने बताया।
लेकिन जगहों पर कब्जा करके मंदिर बनाने वाले गुंडे हैं। भगवान ने उन्हें कैसे अपना एजेंट बनाया भाई? -मित्र आश्चर्य चकित हुये।
अरे जब काम बढ़ता है तो गुंडे भी रखने पड़ते हैं भाई। अभी दो चैनलों ने अपने सैकड़ों पत्रकारों को निकाला। गुंडे लगा रखे थे इस्तीफ़ा लेने के लिये। गुंड़े न होते तो पत्रकार जाते भला?
लेकिन मंदिरों, आश्रमों में हत्या, बलात्कार होते हुये भगवान देखते नहीं क्या? वे उनके खिलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करते?
अरे आप प्रभु की स्थिति समझो भाई। आजकल भगवान की हालत गठबंधन सरकार के मुखिया सरीखी हो गयी है। महंत, मठाधीश स्वयं उनके एजेंट बन जाते हैं। उनके पास लाखों भक्त होते हैं। इन छुटभैये स्वयं भू भगवानों के खिलाफ़ अगर भगवान कोई कार्रवाई करते हैं तो भगवान से समर्थन वापस ले सकते हैं। भगवान की सरकार गिर सकती है। इसलिये भगवान बेचारे चुपचाप देखते रहते हैं।- उपभोक्ता फ़ोरम क्लर्क कायदे से समझाने लगा।
अगर ऐसा ही है भगवान अपने पद से इस्तीफ़ा क्यों नहीं दे देते- मित्र के चेहरे पर भगवान के लिये सहानुभूति उपजी?
अरे ये लोकल भगवान लेने दें तब न। किसी को अपना धंधा थोड़ी बन्द कराना है। भगवान की नियति है सब कुछ चुपचाप होते देखना। टुकुर-टुकुर ताकना। प्रसाद ग्रहण करना और आशीर्वाद देना। इससे अधिक कुछ नहीं उनके हाथ में।
और ये उनकी गारन्टी कि जब-जब धर्म की हानि होगी तब-तब अवतार लेंगे। सज्जनों का कष्ट हरेंगे?
वो गारन्टी तो पूरी हो रही है। जगह-जगह भगवान ले रहे हैं। हर तरह के कष्ट के लिये भगवान अवतार ले रहे हैं। सज्जनों के कष्ट दूर हो रहे हैं। अगर कष्ट दूर न हो रहे होते तो भगवानों की इत्ती डिमाड न होती। उनके खिलाफ़ शिकायत लिखाने से पहले आप सोच लीजिये कि कहीं आप उनकी मानहानि तो नहीं कर रहे। कहीं इलाके किसी स्वयंभू भगवान की नजर में आपकी शिकायत आ गयी तो फ़िर शायद आपको भगवान भी न बचा न पायें।
मित्र अपनी शिकायत समेटकर वापस लौटे हैं। वे अपना अनुभव मुझे सुना रहे हैं हमको उसी समय बगल के घर से हो रहे अखंड रामायण का पाठ सुनाई दे रहा है-
“जब-जब होय धरम की हानी”!
मित्र हमसे पूछ रहे हैं आप बताइये क्या किया जाये?
हम आपसे पूछ रहे हैं आपकी राय क्या है?
Posted in बस यूं ही | 11 Responses
पर, शायद भगवान की कोई नहीं सुन रहा!!!
रवि की हालिया प्रविष्टी..हिंदी के कवियों! जरा मात्रा गिनकर तो कविता करो!!!
पर पिछले दिनों पता चला आरती कैंसल कर दी गयी , काहे की कोई महापुरुष भगवान की पूजा कर रहे थे | पहले सुनते थे ये हनुमान मंदिर है, ये शिव जी का मंदिर है यहाँ शनिदेव का मंदिर है | अब सारे भगवान एक ही जगह ला दिए गए हैं | है तो ये किसी एक भगवान का ही मंदिर , पर बाकी भी अवेलेबल हैं |
किसी हॉस्पिटल टाइप की सिचुएशन है , जैसे किसी हॉस्पिटल में वैसे स्पेसिअलिटी तो ह्रदय रोग की है पर बाकी का इलाज़ भी हो जाता है |वैसे जैसे ओह माई गाड में परेश रावल का डायलोग था “भगवान का मल्टीप्लेक्स खोल रखा है ” |
मैं भगवान को मानता हूँ | पर ढकोसले मुझे अच्छे नहीं लगते | मंदिर भी जाता हूँ और जो कुछ बतियाना होता है डायरेक्ट भगवान से बतिया लेता हूँ | किसी सेल्फ-क्लेम्ड सेल्स मैन की मुझे ज़रूरत नहीं लगती है |
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..१५ अगस्त का तोड़ू-फोड़ू दिन !!!
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..नाम, शब्द, रूप
भारतीय नागरिक की हालिया प्रविष्टी..क्या हमारे यहाँ सही अर्थों में लोकतन्त्रिक व्यवस्था लागू है?
Abhishek की हालिया प्रविष्टी..खलल दिमाग का !
सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..कौन किसे सम्मानित करता,खूब जानते मेरे गीत -सतीश सक्सेना
कल कोई शरारती तत्व दिल दिमाग गुर्दे की ही गारंटी मांग ले तो ??
दीपक बाबा की हालिया प्रविष्टी..सब मिथ्या… सब माया… सब बकवास/गल्प….
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..गोरे रंग पर ना गुमान कर.…
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/