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अतिक्रमण हटाने के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र
By फ़ुरसतिया on August 30, 2013
एक
गांव में अवैध दीवार गिराने के चलते हुये एक युवा अधिकारी निलम्बित हो
गयीं। पूरे देश में इसका हल्ला है। जनता अधिकारी का समर्थन कर रही है।
सरकार को डर है कि देखा-देखी दूसरे अधिकारी भी ईमानदारी और कर्मनिष्ठा के
भाव से संक्रमित न हो जायें। अतिक्रमण के साथ-साथ सरकार के लिये भी खतरा है
यह संभावित संक्रमण। इसी को ध्यान में रखते हुये सरकार यह नियम बनाने की
सोच रही है कि कोई भी अतिक्रमण ढहाने के पहले अनापत्ति प्रमाण लेना
अनिवार्य कर दिया। सरकार के सोचते ही पेश किया गया मसौदा इस प्रकार है :
- किसी भी किस्म का अतिक्रमण किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिये।
- किसी भी अतिक्रमण को उसके बनने के पहले ही ढहा दिया जाना चाहिये। इसमें किसी भी किस्म की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
- अतिक्रमण से संबंधित किसी भी कार्यवाही कोई हड़बड़ी या गड़बड़ी होने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ़ कार्यवाही की जायेगी। उनकी चरित्र पंजिका में प्रतिकूल प्रविष्टि की जा सकती है।
- कोई भी अतिक्रमण ढहाने से पहले ’सक्षम अधिकारी’ से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा।
- ’सक्षम अधिकारी’ इलाके का हर वह व्यक्ति होगा जिसकी सरकार से किसी भी तरह की नजदीकी है। सीधे सम्पर्क वाले सक्षम अधिकारी को किसी दूसरे के माध्यम से सम्पर्क वाले सक्षम अधिकारी पर तरजीह दी जायेगी।
- धर्मनिरपेक्ष सरकार होने के स्थिति में अतिक्रमण वाले इलाके के सभी धर्मगुरुओं की अनापत्ति भी नत्थी करनी होगी।
- कई धर्मगुरुओं की राय में मतभेद होने की स्थिति में उस धर्म के धर्मगुरु की राय को वरीयता प्रदान की जायेगी जिससे सरकार के वोट सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
- सरकार से संबंधित दल के किसी भी स्तर के पदाधिकारी से जुड़े अतिक्रमण ढहाने से संबंधित प्रस्ताव को सामान्यतया स्वीकार न किया जायेगा। लेकिन अगर दो पदाधिकारियों के बीच आपसी रंजिश है तो प्रभावशाली और बाहुबली पदाधिकारी की राय को वरीयता प्रदान की जायेगी।
- सरकार को चंदा देने वाले अतिक्रमण कारियों के विरुद्ध कार्यवाही अमान्य होगी। चंदे की पुष्टि के लिये स्थानीय सांसद/विधायक की राय अंतिम मानी जायेगी।
- विरोधी पार्टी के राजनेता और उससे संबंधित किसी भी व्यक्ति के अतिक्रमण को ढहाने के लिये किसी भी तरह के अनापत्ति प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी।
- लेकिन किसी ऐसी विरोधी पार्टी के राजनेता के खिलाफ़ कार्यवाही बर्दास्त नहीं होगी जिसके पार्टीबदल करके सत्ता पार्टी में आने की संभावना है। इस संबंध में अधिकारी में राजनैतिक सूझ-बूझ होना आवश्यक है।
- सरकारी पार्टी को चंदा न देने वाले यदि सरकार को चंदा देने का मन बनाते हैं तो उनके अतिक्रमण को ढहाने के प्रस्ताव को चंदा देने तक स्थगित और चंदा मिलने के बाद निरस्त किया जा सकता है।
- ’सक्षम अधिकारी’ की अनुमति मौखिक रूप में ही प्रदान की जायेगी। अतिक्रमण हटाने के बाद किसी बवाल के न होने की स्थिति में ’बैक डेट’ में लिखित अनुमति प्राप्त की जा सकती है।
- ’सक्षम अधिकारी’ की अनुमति प्राप्त होने पर भी किसी भी गड़बड़ी की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी की होगी और उसे बिना कोई सफ़ाई का मौका दिये निलंबित किया जा सकता है।
- ’सक्षम अधिकारी’ उपरोक्त नियमों में से किसी में भी अपनी मर्जी के हिसाब से कुछ भी बदलाव, जोड़-घटाव कर सकता है। बदलाव तत्काल प्रभाव से मान्य होगा।
Posted in बस यूं ही | 7 Responses
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.सूचना तो आपके पास पहिले से ही थी
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