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नौकरशाह के लिये आचार संहिता
By फ़ुरसतिया on August 3, 2013
हाल
में एक ईमानदार और बहादुर अधिकारी दुर्गा शक्ति पाल को निलम्बित कर दिया
गया। तमाम लोग इससे खफ़ा हैं। ताकतवर आई.ए.एस. लॉबी डबल नाराज है।
विरोध-सिरोध की परम्परा का निर्वाह हो रहा है। लोगों को लगता है कि जो हुआ
गलत हुआ। मीडिया चैनल वाले लिये कैमरा-माइक यहां-वहां चमकाते घूम रहे हैं।
पुराने जमाने के लोग कह रहे हैं अब काम करना बहुत मुश्किल हो गया है।
पहले ऐसा नहीं होता था।
इस तरह की बातें करने वाले लोग अपने देश के इतिहास, परम्परा से अनजान हैं। वे कुछ इधर-उधर की बातें लिखकर अधिकारी बन गये होंगे। नयी वाली आचार संहिता के चलते लोगों को लग रहा है कि अधिकारी के साथ गलत हुआ। उनको पता होना चाहिये कि जनसेवकों के लिये सब आचार संहिताओं से ऊपर “महाभारत वाली आचार संहिता” होती है। धौम्य ऋषि ने पाण्डवों को अज्ञातवास के पूर्व आशीर्वाद एवं उपदेश देते हुये बताया था:
वैसे भी नौकरशाह को यह समझना चाहिये कि कित्ता भी शाही हो लेकिन नौकर , नौकर ही होता है। नौकर के किस काम से उसके मालिक का मूड खराब हो जाये यह मालिक भी नहीं जानता। कोई भी मालिक यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि उसका नौकर कोई ऐसा काम करे जिससे उससे मित्रों, सहयोगियों, हम पेशा लोगों को कष्ट पहुंचे।
कोई राजा ये कैसे हजम कर सकता है कि उसका कोई नौकर कोई ऐसा काम करे जिससे उसके वोट कटें, उसके साथी माफ़िया के पेट में लात पड़े। राजा का इकबाल बुलन्द रहे इसके लिये जरूरी है कि वो अपने नौकरों पर हमेशा कार्रवाई करता रहे। तमाम राजा यह मानते हैं कि -“नौकर डरे रहते हैं तो अच्छा काम करते हैं। समाज की सरपट प्रगति होती है। साम्प्रदायिक सद्भाव बना रहता है। वोट अच्छे मिलते हैं।”
सरकार की तो मजबूरी है कि वह अपनी जनता के भले के लिये नौकरशाहों के साथ नौकरों जैसा व्यवहार करे। अब यह तो नौकरशाहों को तय करना है कि वे कैसे काम करते हैं। डरे-सहमे से “जो हुकुम साब” कहते हुये हर गलत सही काम करने में लगे रहते हैं या फ़िर सही काम करते हुये निलम्बित होने को तैयार होते हैं। सुकून-चैन से रहते हुये मलाई काटना चाहते हैं या फ़िर सही काम करते हुये कष्ट उठाना चाहते हैं।
समय कोई भी हो आचारसंहिता महाभारत वाली ही लागू होगी। माने कि:
इस तरह की बातें करने वाले लोग अपने देश के इतिहास, परम्परा से अनजान हैं। वे कुछ इधर-उधर की बातें लिखकर अधिकारी बन गये होंगे। नयी वाली आचार संहिता के चलते लोगों को लग रहा है कि अधिकारी के साथ गलत हुआ। उनको पता होना चाहिये कि जनसेवकों के लिये सब आचार संहिताओं से ऊपर “महाभारत वाली आचार संहिता” होती है। धौम्य ऋषि ने पाण्डवों को अज्ञातवास के पूर्व आशीर्वाद एवं उपदेश देते हुये बताया था:
“राजसेवक कितना ही विश्वस्त क्यों न हो ,कितने ही अधिकार उसे क्यों न प्राप्त हों,उसको चाहिये कि सदा पदच्युत होने के लिये तैयार रहे और दरवाजे की ओर देखता रहे.राजाओं पर भरोसा करना नासमझी है.राजा चाहे गौरवान्वित करे चाहे अपमानित,सेवक को चाहिये कि अपना हर्ष या विषाद प्रकट न करे.”आई.ए.एस. समुदाय को इस निलम्बन को महाभारत वाली आचार संहिता के हिसाब से देखना चाहिये। किसी दूसरे को अपना विषाद नहीं प्रकट करना चाहिये। अन्यथा सरकार उनके खिलाफ़ भी कार्यवाही करने के लिये बाध्य हो सकती है।
वैसे भी नौकरशाह को यह समझना चाहिये कि कित्ता भी शाही हो लेकिन नौकर , नौकर ही होता है। नौकर के किस काम से उसके मालिक का मूड खराब हो जाये यह मालिक भी नहीं जानता। कोई भी मालिक यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि उसका नौकर कोई ऐसा काम करे जिससे उससे मित्रों, सहयोगियों, हम पेशा लोगों को कष्ट पहुंचे।
कोई राजा ये कैसे हजम कर सकता है कि उसका कोई नौकर कोई ऐसा काम करे जिससे उसके वोट कटें, उसके साथी माफ़िया के पेट में लात पड़े। राजा का इकबाल बुलन्द रहे इसके लिये जरूरी है कि वो अपने नौकरों पर हमेशा कार्रवाई करता रहे। तमाम राजा यह मानते हैं कि -“नौकर डरे रहते हैं तो अच्छा काम करते हैं। समाज की सरपट प्रगति होती है। साम्प्रदायिक सद्भाव बना रहता है। वोट अच्छे मिलते हैं।”
सरकार की तो मजबूरी है कि वह अपनी जनता के भले के लिये नौकरशाहों के साथ नौकरों जैसा व्यवहार करे। अब यह तो नौकरशाहों को तय करना है कि वे कैसे काम करते हैं। डरे-सहमे से “जो हुकुम साब” कहते हुये हर गलत सही काम करने में लगे रहते हैं या फ़िर सही काम करते हुये निलम्बित होने को तैयार होते हैं। सुकून-चैन से रहते हुये मलाई काटना चाहते हैं या फ़िर सही काम करते हुये कष्ट उठाना चाहते हैं।
समय कोई भी हो आचारसंहिता महाभारत वाली ही लागू होगी। माने कि:
“राजसेवक कितना ही विश्वस्त क्यों न हो ,कितने ही अधिकार उसे क्यों न प्राप्त हों,उसको चाहिये कि सदा पदच्युत होने के लिये तैयार रहे और दरवाजे की ओर देखता रहे.राजाओं पर भरोसा करना नासमझी है.राजा चाहे गौरवान्वित करे चाहे अपमानित,सेवक को चाहिये कि अपना हर्ष या विषाद प्रकट न करे.”
Posted in बस यूं ही | 7 Responses
सत्य वचन
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..कुछ छुट्टा तूफानी विचार -फेसबुक से संकलन!
समीर लाल “टिप्पणीकार” की हालिया प्रविष्टी..जन्मदिन पर गुरुदेव का आशीष!!
To punish another servant !!!!
कंट्राडिक्शन इन टर्म्स
अब होता यह है की कोई पहले अंश पर जोर देता है और कोई दूसरे अंश पर.
परिणाम भी उसी के अनुसार अलग-अलग होते हैं.
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..आपकी प्रविष्टियों की प्रतीक्षा है
नेताओ का यह मंत्र है
नौकर शाहो से पैसे खाऑ
बाद मे उन्हें खूब फसाओ