फ़ुरसतिया
हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
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Sunday, September 11, 2016
अरे भाई मेरे इतवार
अरे भाई मेरे इतवार
जरा हौले चलो यार।
हफ्ते भर बाद मिले हो
आते ही जाने को तैयार।
आओ बैठो चाय पियो,
थोड़ा बतियाते हैं यार।
--कट्टा कानपुरी
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