Saturday, December 11, 2021

सेंट्रल स्टेशन की शाम



गाड़ी के इंतज़ार में सवारियाँ हैं तो सवारियों के इंतज़ार में कुली। करीब ३०० कुली हैं सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर। गाड़ियाँ भी कुल मिलाकर ३०० के करीब हैं। मतलब एक गाड़ी के लिए एक क़ुली।
कुलियों के बिल्ले पीतल वाले हैं। नए लोगों को बिल्ले नहीं मिलते।
स्टेशन पर झाडू लगते देख हमने पूछा -“ किसी का दौरा होने वाला है क्या ?”
“रोज़ दौरे होते हैं। मिठाई का डिब्बा लेने आते हैं साहब लोग।” - एक ने कहा और बाक़ी हँसने लगे।
श्रीलाल शुक्ल जी की बात याद आई-“ सरकारी अफ़सर जिधर निक़ल जाता है, वही उसका दौरा हो जाता है।”
दौरा तो ठीक। लेकिन दौरे के साथ मिठाई का गठबंधन गड़बड़ टाईप है।
सूरज भाई आसमान पर बड़के अफ़सर की यह जलवानशीन हैं। उनके अंदाज से लग रहा है बस निकलने ही वाले हैं अपना किरणों का बस्ता समेटकर। कानपुर का सेंट्रल स्टेशन उनको विदाई जैसा देने के लिए विनम्र भाव से खड़ा है।

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