1. एक बार इंसान डाक्टर हो जाए तो मरीज़ों की कमी नहीं। एक भी न ढूँढिए,फिर भी हज़ार मिलेंगे। बल्कि अधिकांश लोग डाक्टर को देखकर ही मरीज़ होने लगते हैं। अंदर ही अंदर मरीजियाने लगते हैं।
2. कई लोग जो बीमार नहीं होते प्रायः इसी आशा से कराहते हैं कि डाक्टर वहाँ से गुजरेगा तो उन पर ध्यान देगा। यह खाँसने-खँखारने, थूकने-डकारने, सुड़कने वालों का ध्वनि प्रधान देश है।
4.एक तो कठिन है राजनीति को पहचानना और तिस पर और कठिन है नेताओं के बयानों को समझना।
5. नेताओं के बयानों की खूबी यह है कि उनके कहे वाक्यों का दूसरा अर्थ चौबीस घंटे बाद पता चलता है। और उसी अख़बार से पता चलता है जिससे कल पहला अर्थ पता चला था।
6. जिस दिन नेता सनसनीख़ेज़ बयान दे उस दिन उसे पढ़ो,पर गम्भीरतापूर्वक मत लो। चौबीस घंटे प्रतीक्षा करो। या तो बयान बदलेगा या बयान के अर्थ बदलेंगे।
7. नेताओं के वाक्यों में शब्द मुझे अपनी ऐसी-तैसी कराते प्रतीत होते हैं।
8. अमेरिका के दूतावास पृथ्वी पर किस देश में नहीं होंगे। जहां भी हारे-भरे दरख़्त हैं, गरीब लोग हैं, राजनीति में भ्रष्टाचार की दूरगामी सम्भावना है,वहाँ यह एक दूतावास उस देश के पूर्ण नैतिक पतन की के प्रति आश्वस्त भाव लेकर खड़ा है।
9. इतिहास चाहे मोटी किताब की शक्ल में लिखा जाए या दैनिक अख़बार या साप्ताहिक पत्रिकाओं के लेख के रूप में, ज़िक्र केवल राजनेताओं की गतिविधियों और उठा-पटक का होता है।
10. हर चीज़ की उपयोगिता नहीं देखी जाती। कल से आप यह बहस करने लगेंगे कि ताश के खेल में जोकर का क्या महत्व।
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