Tuesday, September 24, 2024

शरद जोशी के पंच -1



1. हिंदी पत्रकारिता का स्तर विगत वर्षों में काफ़ी उठ चुका है। तुम्हारे किए से कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। तुम केवल जगह घेरोगे और पाठकों को बोर करोगे।
2. लेखकों को अपने विषय में बहुत भ्रम होता है।
3. इस तरह के भ्रम के लिए लेखक होना क़तई ज़रूरी नहीं। केवल भारतीय होना पर्याप्त है।
4. अज्ञान के साथ आत्मविश्वास का संगम हमसे क्या कुछ नहीं करवा सकता। देश और देशवासियों की प्रगति का यही रहस्य है।
5. निरीक्षक के घर जाकर मार्क्स बढ़वा लेने की स्वतंत्रता शिक्षा के संविधान के अंतर्गत सभी छात्रों तथा उनके पालकों को प्राप्त हैं।
6. जिसका मंगल अच्छा होता है वह पुलिस में चला जाता है। ख़राब होता है वह अपराध क्षेत्र में। दोनो शत्रु होकर भी मित्र हैं। अनैतिक अपराधी में कुछ नैतिकता होती है। नैतिक अपराधी में कुछ अनैतिकता। दोनों पार्टियों में मिलते हैं और उनके कैसेट बनाए जाते हैं।
7. इस देश में कब, कौन किस कारण पुरस्कृत हो जाए कह नहीं सकते।
8. पद्मश्री के लिए आपको थोड़ा पद्म होना पड़ता है। मतलब, देश के जीवन के दलदल,कीचड़ से ऊपर। शुद्ध प्रतिभाशाली बनकर जियो।
9. आज फ़रहाद जीवित होता तो शीरी तो उसे नहीं मिल पाती, पहाड़ काटने की पब्लिसिटी के बहाने श्रमवीर ज़रूर हो जाता।
10. श्रम भी पाखंड और दिखावे से जुड़ गया। अब प्रभावशाली नेता अपने चमचे को ले राष्ट्रपति के पास जाएँगे। इसने मेरे चुनाव में बहुत काम किया है, इसे श्रमश्री दे दीजिए।

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