आज विश्व दिल दिवस है मतलब वर्ल्ड हार्ट डे । तरह-तरह के नोटिफ़िकेशन उछल-उछलकर बता रहे हैं -'आज विश्व दिल दिवस है।'
ये दिन भी न बड़े बदमाश होते हैं। जिसका मन होता आकर खड़ा हो जाता है सामने। मनाओ हमको। सेलिब्रेट करो।
आजकल आए दिन कोई न कोई दिवस मनाया जाता है। हर दिन पर किसी न किसी दिवस का क़ब्ज़ा है। दिवस आबादी की तरह बढ़ रहे हैं। आने वाले समय में दिनों के हाल भी रेलवे के जनरल डिब्बे की तरह होंगे। एक-एक दिन में कई-कई दिवस ठूँस दिए जाएँगे। सुबह एक दिवस, दोपहर दूसरा दिवस, शाम तीसरा। रात किसी और दिवस के नाम। मतलब दिनों में 'दिवसों की गठबंधन सरकार' चलेगी।
ऐसा हुआ तो दिवसों में मारपीट, जूता-लात भी हो सकती है। एक दिवस किसी दूसरे दिवस की पोलपट्टी खोलेंगा। एक-दूसरे को ग़ैरज़रूरी बतायेंगा।कोई चिरकुट सा दिवस भाइयों-बहनों कहते हुए पूरे दिन पर अपना क़ब्ज़ा माँगेगा।कहेगा -'हम अवतारी दिवस हैं। सिर्फ़ हमको मनाओ।' बाक़ी दिवस उसकी हरकत को तानाशाही बताते हुए विरोध करेंगे। तब वह 'कैलेंडर माता की जय' बोलकर अपना जलवा जमाने का प्रयास करेगा।
मतलब मामला एकदम लोकतांत्रिक हो जाएगा। जहां सिर्फ़ सिर्फ़ क़ब्ज़े की लड़ाई होगी।
बहरहाल यह जब होता तब होगा फ़िलहाल तो बात आज मनाए जा रहे विश्व दिल दिवस की मतलब world heart day की।
आज के समय दुनिया में दिल की बीमारी से मरने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा है। औसतन दो करोड़ लोग दिल की बीमारी से विदा होते हैं। दिल की बीमारी से बचाव के लिए ही विश्व दिल दिवस मनाया जाता है।
' विश्व दिल दिवस' की संकल्पना 1997 से 1999 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष रहे Antoni Bayés de Luna की थी। पहली बार 24 सितम्बर, 2000 को मनाया गया। इसके बाद सितम्बर महीने के आख़िरी इतवार को मनाया जाता है। इस लिहाज़ से आज विश्व दिल दिवस है। इस बार की थीम है -use heart for action. कार्य के लिए दिल का उपयोग करें।
कार्य के लिए दिल का उपयोग करने की थीम का उपयोग तो अपन न जाने कब से कर रहे हैं। हमेशा हर काम दिल से करते हैं। दिमाग़ ने कभी दख़ल देने की कोशिश की तो उसे भगा देते हैं। दिल से कहते हैं -'हाँ, भाई तू जो कहे वही कहेंगे। वही करेंगे। हमारे कार्यव्यवहार में न जाने कब से दिल की सरकार चल रही है। एक तरह से तानाशाही का मामला है। एक पार्टी सरकार।'
फ़ेसबुक पर भी जब से दिल वाले ईमोजी का चलन हुआ हमने पोस्ट पसंदगी के लिए इसी का उपयोग किया। यहाँ तक की कोई पोस्ट नापसंद भी हुई तो भी इसी दिल वाली ईमोजी ही लगाई। बहुत नाराज़गी हुई किसी पोस्ट पर तो दो बार दिल लगा देते हैं। हिसाब बराबर हो जाता है।
दिल पर तमाम गाने बनाए गये हैं। गानों से गायक की शख़्सियत का अन्दाज़ लगाया जा सकता है:
'दिल चीज़ क्या आप मेरी जान लीजिए,
बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए ।'
गाने से ऐसा लगता है कि नायिका नायक को के लिए बड़ी क़ुर्बानी के लिए तैयार है। लेकिन ऐसा है नहीं। वह असल में दिल देना नहीं चाहती। दिल कंजूस है नायिका। उसको पता है नायक बार-बार आएगा-जाएगा। लापरवाह है। दिल दे देगी उसको तो ठीक से रखेगा नहीं। तोड़-फोड़ करेगा। इसी लिए वह दिल की जगह जान देने की बात करती है। यह एक तरह की धमकी भी है। मेरी बात मान लो नहीं तो जान दें दूँगी। फँस जाओगे आत्महत्या के लिए उकसाने के केस में।
और भी तमाम सारी बातें हैं दिल के बारे में। कहने का मन भी है। लेकिन दिल कह रहा है कहने लगे तो लफड़ा होगा। शुरुआत होते ही दिल की बात व्यथा कथा हो जाएगी।यही तरीक़ा चलन में है। दिल की बात में दर्द न हो तो कोई मानता नहीं। बिना लुटे-पिटे अन्दाज़ में बयान दिए लोग विश्वास नहीं करते कि दिल की कहानी कह चल रही है।
दिल की बात कहने का बहुत मन था लेकिन दिल कह रहा -'मत ही कहो। कोई समझेगा नहीं। दिल की बात दिल वाले ही समझेंगे। आज किसी का दिल उसके पास होगा नहीं। सब गए होंगे अपने साथी दिल के पास।'
हमने दिल की बात मान ली। दिल की अभिव्यक्ति पर रोक लगा दी। अभिव्यक्ति पर रोक लगाने के मामले में हमारा दिल सरकार से कोई कम ताकतवर थोड़ी है।
आपका दिल क्या कहता है इस बारे में?
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