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दो रुपये लुटाओ- याद करो, भूल जाओ
By फ़ुरसतिया on August 13, 2009
आजकल रोज डेली तमाम तरह के एस.एम.एस. आते हैं मोबाइल पर। कुछ में दोस्त
लोग चुटकुले, शेरो-शायरी भेजते हैं और बाकी में मोबाइल कम्पनियां अपने
विज्ञापन। एक विज्ञापन आजकल रोज आ जा रहा है:
लेकिन बात इत्ती भी सरल नहीं है। जब सुविधा कोई आपके पास हो तो उसका उपयोग न करो तो बड़ी आफ़त होती है। किसी से बात करो तो अगला शिकायत करता है -क्या बात है बहुत दिन से याद नहीं किया।
आप कहेंगे- याद तो किया , बहुत बार किया।
उधर से कहा जायेगा- लेकिन फ़ोन तो नहीं किया।
हम कहेंगे- याद करने में इत्ता व्यस्त थे कि फ़ोन नहीं कर पाये।
लेकिन आप चाहें जितनी कसमें खायें आपके पांच दस बीस रुपये इस झूठ को सच मनवाने में लग ही जायेंगे कि सच्ची में याद किया गया था। इसी हंगामें से बचाने के लिये अब मोबाइल कम्पनियां आपके उद्धार के लिये सामने आ गयी हैं । आप मिस यू मेसेज करो और बिन्दास मस्त हो जाओ। अगला कह नहीं सकता कि आपने उसको मिस नहीं किया।
सारे झंझटो का इलाज सिर्फ़ दो रुपयें है। आप नारे भी लगा सकते हैं:
मोबाइल कम्पनियों के संदेश रूटीन टाइप के होते हैं। आप उनके संदेश से किसी को मिस करेंगे तो वो समझ जायेगा कि आप उनको सच्ची में मिस नहीं कर रहे हैं। किसी को सच्ची में मिस करना है तो आप उनके लिये खुद संदेश लिखिये और मुच्ची में उसको मिस करिये। इससे मिस करने के झांसे में सत्य का पुट आता है और अगला भी आपको मिस करने लगता है। इस तरह मिस करने का स्वाद मिसरी की तरह होता है।
बताने की बात नहीं है कि अगर आप खुद अपने मिस यू मेसेज लिखने शुरू कर देते हैं तो प्रति मेसेज एक रुपये चालीस पैसे बचा सकते हैं। दिन में अगर सौ लोगों को भी मिस कर लिया तो रोज के एक सौ चालीस रुपये तो आपके कहीं नहीं गये।
वैसे आप चाहें तो चाहें तो जगजीत सिंह की गजल वाला तरीका भी अपना सकते हैं कि जब किसी को मिस करना हो तो उसकी याद की चद्दर तान लें लेकिन उसमें बहुत लफ़ड़ा है। उसमें सुनसान रात वाली कंडीशन हैं, याद करने के लिये हमेशा लेटना भी पड़ेगा काहे से चद्दर तो बैठे-बैठे तान नहीं सकते। दफ़्तर में चद्दर तान के किसी को याद करने में तकनीकी लफ़ड़ा। और फ़िर चद्दर कभी धुलने को डाल दी तो तान भी नहीं सकते! मतलब चद्दर वाला तरीका आउटडेटेट हो गया है। मजा नहीं आता उसमें। इन्स्टैंट मिसिंग के मेसेजिंग मस्ट है, मस्त है।
आपकी निस्वार्थ सहायता के लिये कुछ मिस यू मेसेज यहां दिये जा रहे हैं। इनको आप अपना समझिये और बिन्दास प्रयोग कीजिये। इसके बाद अपने संदेश बनाइये, प्रति संदेश दो रुपये बचाइये:
तो भैये हमें तो जितना मिस करना था कर चुके बकिय कुछ आपौ करो। मौका मिलते ही हम फ़िर से मिस कर लेंगे।
शाम से ही रहा मैं बहुत अनमना।
पूछना हूं स्वयं से कि मैं कौन हूं
किसलिये था मुखर किसलिये मौन हूं
प्रश्न का कोई उत्तर तो आया नहीं,
नीड़ एक आ गया सामने अधबना।
फ़िर उदासी तुम्हें घेर बैठी न हो,
शाम से ही रहा मैं बहुत अनमना।
चित्र उभरे कई किंतु गुम हो गये,
मैं जहां था वहां तुम ही तुम हो गये,
लौट आने की कोशिश बहुत की मगर,
याद से हो गया आमना-सामना।
फ़िर उदासी तुम्हें घेर बैठी न हो,
शाम से ही रहा मैं बहुत अनमना।
पंक्तियां कुछ लिखी पत्र के रूप में,
क्या पता क्या कहा, उसके प्रारूप में,
चाहता तो ये था सिर्फ़ इतना लिखूं
मैं तुम्हें बांच लूं, तुम मुझे बांचना।
फिर उदासी तुम्हें घेर बैठी न हो,
शाम से ही रहा मैं बहुत अनमना।
-अंसार कंबरी
मिसिंग समवन तो इजहार कीजिये अपने दिल के जजबात का मिस यू मेसेज के संग। मिस यू मेसेज पाने के लिये 53030 पर MISSU संदेश भेजें। मिस यू मेसेज पायें 2/-प्रति मेसेज की दर से!अब बताओ भैये किसी को याद करने के भी पैसे खर्चने पड़ेंगे। याद आई नहीं कि दो रुपये गये आपके मोबाइल बैंक के। हो सकता है आप कहें कि चुप्पे से याद कल्लेव कोई डाक्टर बताइस है कि इजहार करो। जब मुलाकात हो तब बता देना कि याद किया था और बल भर याद किया था।
लेकिन बात इत्ती भी सरल नहीं है। जब सुविधा कोई आपके पास हो तो उसका उपयोग न करो तो बड़ी आफ़त होती है। किसी से बात करो तो अगला शिकायत करता है -क्या बात है बहुत दिन से याद नहीं किया।
आप कहेंगे- याद तो किया , बहुत बार किया।
उधर से कहा जायेगा- लेकिन फ़ोन तो नहीं किया।
हम कहेंगे- याद करने में इत्ता व्यस्त थे कि फ़ोन नहीं कर पाये।
लेकिन आप चाहें जितनी कसमें खायें आपके पांच दस बीस रुपये इस झूठ को सच मनवाने में लग ही जायेंगे कि सच्ची में याद किया गया था। इसी हंगामें से बचाने के लिये अब मोबाइल कम्पनियां आपके उद्धार के लिये सामने आ गयी हैं । आप मिस यू मेसेज करो और बिन्दास मस्त हो जाओ। अगला कह नहीं सकता कि आपने उसको मिस नहीं किया।
सारे झंझटो का इलाज सिर्फ़ दो रुपयें है। आप नारे भी लगा सकते हैं:
दो रुपये लुटाओ- याद करो, भूल जाओ।लेकिन बात दो रुपये पर अटक जाती है। एक बार मिस करने के दो रुपये। पुराने जमाने की बात अलग थी जब लोग याद भले ही कित्ती कर लें लेकिन मिस बहुत कम करते थे। इस शेर से इस बात का प्रमाण भी मिलता है:
दो रुपये में मिस करो, याद की खिचखिच दूर करो।
याद करो भई याद करो, दो रुपये बरबाद करो।
खर्च करो रुपैया दो, याद करो कन्हैया को!
वक्त गुजरे जिंदगी के बस दो ही कठिनलेकिन आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में केवल दो बार याद करने से काम नहीं चलता। बार बार याद करना पड़ता है। लगातार मिस करना पड़ता है। उनको तो मिस करना ही पड़ता है जिनको आप अच्छी तरह जानते हैं। उनको भी मिस करना पड़ता है जिनसे आप परिचित नहीं हैं। जिनसे आप मिले भी नहीं हैं। जिनसे रूबरू भी नहीं हैं। सवाल मेल-मुलाकात, परिचित- अपरिचित होने का नहीं है। सवाल आपके मोबाइल में नम्बर होने का है। जिसका मोबाइल नंबर आपके मोबाइल में है उन सबको मिस करना आपका मोबाइल कर्तव्य है।
इक तेरे आने के पहले, इक तेरे जाने के बाद।
मोबाइल कम्पनियों के संदेश रूटीन टाइप के होते हैं। आप उनके संदेश से किसी को मिस करेंगे तो वो समझ जायेगा कि आप उनको सच्ची में मिस नहीं कर रहे हैं। किसी को सच्ची में मिस करना है तो आप उनके लिये खुद संदेश लिखिये और मुच्ची में उसको मिस करिये। इससे मिस करने के झांसे में सत्य का पुट आता है और अगला भी आपको मिस करने लगता है। इस तरह मिस करने का स्वाद मिसरी की तरह होता है।
बताने की बात नहीं है कि अगर आप खुद अपने मिस यू मेसेज लिखने शुरू कर देते हैं तो प्रति मेसेज एक रुपये चालीस पैसे बचा सकते हैं। दिन में अगर सौ लोगों को भी मिस कर लिया तो रोज के एक सौ चालीस रुपये तो आपके कहीं नहीं गये।
वैसे आप चाहें तो चाहें तो जगजीत सिंह की गजल वाला तरीका भी अपना सकते हैं कि जब किसी को मिस करना हो तो उसकी याद की चद्दर तान लें लेकिन उसमें बहुत लफ़ड़ा है। उसमें सुनसान रात वाली कंडीशन हैं, याद करने के लिये हमेशा लेटना भी पड़ेगा काहे से चद्दर तो बैठे-बैठे तान नहीं सकते। दफ़्तर में चद्दर तान के किसी को याद करने में तकनीकी लफ़ड़ा। और फ़िर चद्दर कभी धुलने को डाल दी तो तान भी नहीं सकते! मतलब चद्दर वाला तरीका आउटडेटेट हो गया है। मजा नहीं आता उसमें। इन्स्टैंट मिसिंग के मेसेजिंग मस्ट है, मस्त है।
आपकी निस्वार्थ सहायता के लिये कुछ मिस यू मेसेज यहां दिये जा रहे हैं। इनको आप अपना समझिये और बिन्दास प्रयोग कीजिये। इसके बाद अपने संदेश बनाइये, प्रति संदेश दो रुपये बचाइये:
1. बच्चे को गणित पढ़ा रहा हूं। तुम बार-बार बचपन में रटे पहाड़े सी याद आ रही हो। पहाड़े दनादन याद आ रहे हैं लेकिन तुम्हें मैं लगातार मिस कर रहा हूं! तुमको पता नहीं कित्ते तक पहाड़े आते हैं लेकिन गिनती तो आती ही होंगी! गिन के देखो न !!!मैं मिसिंग -मेसेज बनाता ही रहता अगर पत्नी मुझे टोंकती नहीं- क्या बात है आज फ़ैक्ट्री नहीं जाना क्या?
2. तुम्हारी यादों की बारिश में मैं भीगा जा रहा हूं। दूसरी शरारती यादें रंगीन छतरी की तरह हमारे-तुम्हारे बीच आने की कोशिश कर रहीं हैं। लेकिन त्तुम्हारी याद छतरी के छेद से और दायें से बायें से मुझे भिगा-भिगा के मार रही हैं। पूरा भीग जाने के कारण अब और कहीं जा नहीं सकता! सो अब मजबूरी में बैठा मिस कर रहा हूं तुमको!
3. तुम्हारी याद में मेरा दिल मोटर साइकिल के पिस्टन सा धड़क रहा है। धड़धड़, धड़धड़, धड़धड़। तुम्हें मिस करने में मैं इतना मशगूल हो गया हूं कि मुझे याद ही नहीं रहा कि पेट्रोल के दाम बढ़ गये हैं। मतलब तुम समझ सकती हो कि मैं तुमको पेट्रोल से ज्यादा चाहता हूं।
4. मेरी जिन्दगी में तुम एक महत्वपूर्ण फ़ाइल की तरह हो। जैसे मालदार फ़ाइल की याद दफ़्तर के बाबू को सपने में भी आती रहती है वैसे ही मैं हमेशा तुमको याद करता हूं।
5. कल मैंने फ़िर वही पुरानी छेद-छेद वाली बनियाइन पहन ली। बाद में सोचा कि तुम होतीं तो कित्ता गुस्सा होती कि मैं अपनी हरकत से बाज नहीं आता। वो वाली बनियाइन जब भी देखता हूं लगता है तुम पास ही खड़ी हो कहीं और तुम्हारा उपदेश बस शुरू ही होने वाला है। तुम्हारी अनुपस्थिति में अब बस बनियाइन ही सहारा हैं तुम्हारी याद का। मैं और मेरी बनियाइन तुमको मिस कर रहे हैं!
6. कल शाम को पूरे घंटे भर भर में मैं कमरा-कमरा चप्पल घसीटकर चलता रहा। तुमने मुझे एक बार भी नहीं टोका। तुमने ऐसा क्यों किया। क्या तुम बदल गयी हो। ओह,याद आया तुम तो यहां हो ही नहीं। कब आओगी तुम। जल्दी आओ न वर्ना हम तुमको मिस करने लगेंगे ! फ़िर न कहना कि बिना बताये मिस करने लगा मैं।
7. हफ़्ते भर से बाल डाई नहीं किये मैंने। कर भी लूंगा तो कौन कहेगा कि सालों हो गये बाल काले करते-करते लेकिन ठीक से करना नहीं आया। पड़ोस वाली भाभी जी नहीं हैं कि उनको दिखा के पूछ लें-भाभी जी कैसी चढ़ी है। अलमारी में रखा डाई का डिब्बा तुम्हारी याद दिला रहा है। मैं और डाई दोनों तुमको मिस कर रहे हैं।
8. तुम्हारी अनुपस्थिति में जितने सामान मैं लाया था बाजार से वे सब बदले जाने के लिये तुम्हारी राह देख रहे हैं। दुकानदार सामान बदलने के लिये कई बार फोन कर चुके हैं। उनको पता है कि जो सामान मैं अपनी पसन्द से ले जा रहा हूं, बदला जाना ही उनकी नियति है। बदले जाने वाले सामान की लिस्ट बनाते हुये मैं तुमको मिस कर रहा हूं! यह भी याद कर रहा हूं कि तुम भी तो मेरी ही पसन्द हो
9. बाजार में खरीदारी करते हुये इस दुकान से उस दुकान में तमाम सामान मैं उलट-पुलट चुकी हूं, लोकतंत्र में गठबंधन सरकारों की तरह! कोई सामान पसंद नहीं आ रहा है क्योंकि खरीदने से टोकने वाली तुम्हारी आवाज कहीं सुनाई नहीं देती। सामान तो खैर मैं सब खरीद के ही मानूंगी लेकिन तुमको लगातार मिस कर रही हूं!!!
10.इम्तहान में आउट आप सिलेबस वाले क्वेश्चन की तरह , घर में अचानक मेहमान आ गये हैं । तुम्हारी याद मुझे उसी तरह सता रही है जिस तरह नकलार्थी को नकल-पुर्जी की याद सताती है। मेहमान जब तक चले न जायेंगे मैं तुम्हें यूं ही मिस करता रहूंगा। तुम नाराज न होना। मैं ऐसे में किसी और को मिस भी तो नहीं कर सकता न! तुमने मना भी तो किया किसी और को मिस करने को।
11.फ़्रेंडशिप वाले दिन तुमने कहा था कि अगर मैं अगर स्मार्टली रहने लगूं तो तुम मुझे ही अपना दोस्त मान लोगी। आज दफ़्तर में जिन-जिन दोस्तों के मुझसे कोई न कोई काम थे उन सबने मुझे कई बार स्मार्ट कहा ! हर बार मुझे तुम्हारी याद आई! तुम मुझे फ़्रेंडशिप मेसेज कब भेजोगी? मैं तुमको मिस कर रहा हू! तुम मुझे कब से मिस करना शुरू करोगी? बताओ न! प्लीज!! अच्छा , न मिस कर सको तो मिस करने का एसएमएस तो करो!!!
12. मैं तुम्हारे इंतजार में उसी तरह बेकरार हूं जिस तरह कोई नामचीन ब्लागर अपने ब्लाग पर टिप्पणी के इंतजार में बेकरार रहता है! जिस तरह ब्लागर को चाहे जितनी टिप्पणियां मिल जायें लेकिन वह उनका इंतजार करना नहीं छोड़ सकता उसी तरह तुम भले ही रोज मिलती हो लेकिन मैं बेसब्री से तुम्हारा इंतजार करता रहता हूं! मैं अब्भी भी तुमकों मिस कर रहा हूं!
तो भैये हमें तो जितना मिस करना था कर चुके बकिय कुछ आपौ करो। मौका मिलते ही हम फ़िर से मिस कर लेंगे।
मेरी पसन्द
फ़िर उदासी तुम्हें घेर बैठी न हो,शाम से ही रहा मैं बहुत अनमना।
पूछना हूं स्वयं से कि मैं कौन हूं
किसलिये था मुखर किसलिये मौन हूं
प्रश्न का कोई उत्तर तो आया नहीं,
नीड़ एक आ गया सामने अधबना।
फ़िर उदासी तुम्हें घेर बैठी न हो,
शाम से ही रहा मैं बहुत अनमना।
चित्र उभरे कई किंतु गुम हो गये,
मैं जहां था वहां तुम ही तुम हो गये,
लौट आने की कोशिश बहुत की मगर,
याद से हो गया आमना-सामना।
फ़िर उदासी तुम्हें घेर बैठी न हो,
शाम से ही रहा मैं बहुत अनमना।
पंक्तियां कुछ लिखी पत्र के रूप में,
क्या पता क्या कहा, उसके प्रारूप में,
चाहता तो ये था सिर्फ़ इतना लिखूं
मैं तुम्हें बांच लूं, तुम मुझे बांचना।
फिर उदासी तुम्हें घेर बैठी न हो,
शाम से ही रहा मैं बहुत अनमना।
-अंसार कंबरी
aise messages likhne ke baad disclaimer to laga dete, ki bhaiya main de to aapke liye raha hoon par istemaal ke pahle apna dimag istemaal kar lein, warna meri koi jimmedari nahin hai
soch rahe hain is tippani ko post kare ya msg kar dein.
मेरा भी मन करता है, कि किसी को मिस करूँ..
पर किस किसको मिस करूँ.. कोई कोई तो दादी बनी बैठी हैं,
कहीं मेसैज़वा नाती से पढ़वा लिहिन त भवा ज़ुलुम ।
रह गयी ये.. तो पसरी खर्राटा लेय रही हैं ..
चलो इन्हीं को वईसेही मिस किये लेते हैं, जईसे डायबिटीज़ वाले के आँखिन आगे ठँडी इमरती लागै पकवान !
इज़ाज़त देयो, तो धारा 377 में मिली छूट के तहत आधी रतिया में आपै का मिस कई लेयी ।
लो, कल्लिया अउर आपन पईसौ बचाय लिया ! धन्यवाद !
पोस्ट का मूल तत्व ::: आज तक आपने हमको तो मिस वाला मैसेज किया ही नहीं, यानि आप हमको मिस नहीं करते
अभी पिछली पोस्ट में कमेन्ट नहीं किये और आप नई पोस्ट ठेल दिए
अब पिछली पोस्ट का कमेन्ट पेंडिंग में चला गया है बाद में हिसाब किताब किया जायेगा
venus kesari
कोई बुढा होने की बॉता करते है तो कही युवापन के जोश भरी बॉता। हिन्दी ब्लोग की दुनियॉ निराली है रियली आई मिस यू सर!
अच्छी पोस्ट के लिए अभिवादन स्वीकार करे।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
आभार
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
kripaya msg namoone की aglee khep हम striyon को ध्यान में rakhte हुए एक और post shighratishighra preshit करें…
मजेदार।
पहाडों सी रटी हुई याद, बनियान सी फटी हूई याद, चप्पल सी घिसी हुई याद |
12. हे हे हे … आखिरी पॉइंट बिलकुल दुरुस्त है |
मिस करते हैं सब इसे !
कुछ संदेशे सचमुच उठाये ले जा रहा हूँ…विशेष कर वो तुम भी तो मेरी पसंद हो वाला..
इक तेरे आने के पहले, इक तेरे जाने के बाद।
किसी ने कहा की यह सड़क छाप है
इक तेरे जाने के पहले, इक तेरे आने के बाद।
……………………………….
यह तो सड़क छाप नही है न?
कविता शानदार है प्रेमपत्र लिखने का मौका बनाना पड़ेगा
miss mil jaye to kiss karte nahi
rakhte hai door ki namaste
najdikiyon se badal jate hai raste