Friday, August 07, 2009

अब तो कुछ कर गुजरने को दिल मचलता है

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39 responses to “अब तो कुछ कर गुजरने को दिल मचलता है”

  1. anita kumar
    बदल तो दूं मैं अभी, आज ही इस दुनिया को,
    पर जरा डर सा लगता है मुझको इस जमाने से।
    बड़िया मौंजू पोस्ट
  2. anita kumar
    उनका “खराब” लिखना भी कौंधाता है बिजली।
    यहां “अंग्रेजी” के बटन से भी लाइट नहीं जलती!
    लाइट जल गयी
  3. venus kesari
    बहुत अच्छा लिखा। मजा आ गया (समझने से बच गये)।
    :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :)
    वीनस केसरी
  4. venus kesari
    वैसे तो अलाने जब भी दुरदुराने लगते हैं मुझको,
    मैं भिड़ जाता हूं जाकर फ़ौरन फ़िर फ़लाने से।
    जय हो जय जो :) :) :) :) :) :) :) :) :):) :) :) :) :) :)
    (एक स्माइली लगाने से ऊ पीला पीला हो जाता है इ लिए ठेर सारा स्माइली लगा दिए की लाल पीला ना हो और अपनी औकात में रहे :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :)
    वीनस केसरी
  5. puja
    abhi abhi padha hai anoop ji, neend aa rhai hai, beshak is neend ke aane me aapki post ka koi yogdaan nahin hai…fir bhi
    raat bhar bahana sochte hain, subah aayenge aapko us khas soche gaye bahane se rokne ke liye…ummid hai aap itne der me kuch kar nahin gujarenge :)
  6. बी एस पाबला
    टिपिया के निकल लीजियेगा। और बहुत सारे अच्छे ब्लाग पढ़ने होंगे न आपको।
    अब तो कुछ कर गुजरने को दिल मचलता है,
    रोक लो यार तुम हमको किसी बहाने से ।
  7. Prashant (PD)
    पिछले पोस्ट में वीनस जी को कुछ समझ में नहीं आया और इस पोस्ट में बड़ी सी स्माईली के साथ सब एक ही बार में समझ गये.. अब अईसन हड़काऊ पोस्टवा छापियेगा त हम जईसन बचवा-बुतरू सब का का(क्या) होगा?
    हमको ई भी पता है कि आप डरने वालों में से नहीं हैं.. पांडे जी(ज्ञान जी नहीं, अशोक जी) का लपूझन्ना के लफत्तू महाराज बोल गये हैं “जो डल गया, वो मल गया.. थमदा बेते..”
    वईसे मिटिंगवा का अच्छा (सदु,दुरू)पयोग कर लेते हैं.. भगवान करे आपको बहुते सारा मिटिंगवा देते रहें, अऊर आप भकुवाईल मुद्रा में लिखते रहें..
    चलते-चलते आज का शेर -
    आज फिर शायर का शेर जागा है आपके इस पोस्ट के जगाने से..
    मगर अभी प्रेसर जोड़ का आया है, सो हम अभी आते हैं पे*** :D से..
  8. ब्लाग नँदन ’ हुड़क ’

    जब ब्लागर सुधार गृह से भागा हुआ डाक्टर टिका भया है, तो आप भी निश्चिन्त रहो ।
    अपनी समझदानी की चाभी वाइफ़ जी को पकड़ा देते हैं , लेयो धरो एहिका एक दू घँटा.. हम अभी ब्लागर से होकर लौटते हैं । वह भी जलभुन कर तुर्रम ज़वाब फेंकती है.. देखना कोई अच्छी पोस्ट दिक्खै तो बँधवाते लाना, नमक मिर्च अँदाज़ का हो.. चटनी वाली पोस्ट सब मत बटोर लाना ।
    हम का समझते नहीं हैं का जी ? हम सब समझते हैं, ब्लागिंग पर होम डिपाट नराज है । एतना बुरबक नहिंये हैं.. फिरौ टिके भये हैं । बीच बीच में ब्लागिंग का दौरा पड़िये जाता है !
    अब हीन्दि में करिये चाहे अँग्रेज़ी में.. करते तो आख़िर वही है, जो दुनिया करती है.. तो पछताना काहे भाई ?

  9. समीर लाल
    दो घंटे की मीटिंग और ये लिख कर लाऐ हो–क्या सोच कर लाये थे कि सरदार खुश होगा..शब्बासी देगा..हेंह्ह!! XXXXXXXXXX…पूरा नाम मिट्टी में मिला दिये.
    अगली बार से जब तक दिन भर क सेमिनार न हो, मत लिखना.
    वैसे तो अलाने जब भी दुरदुराने लगते हैं मुझको,
    मैं भिड़ जाता हूं जाकर फ़ौरन फ़िर फ़लाने से।
    बहर ये है क्या?? :
    फुरसतिया फुरसतिया फुरसतिया फुरसत!!
    याने आखिरी वाली में एक मात्रा गिरानी थी, आप तो खुद ही गिर गये.
    कठिन शब्द के अर्थ भी नीचे दिया करिये. शब्द कुछ भी हो मगर इससे गज़ल मंहगी होती है. जैसे इसमें अलाने का अर्थ दे सकते : अलाने = फलाने का भाई :)
    खैर, गंभीर बातें फिर कभी …
    अभी तो इतना ही:
    बहुत मजा आया. :)
  10. Dr.Arvind Mishra
    लगता है मेरी छेड़ का असर नहीं हो रहा है अब बकरा ही बनाना होगा -तैयार रहें !
  11. विवेक सिंह
    सब ग्राहकों को खींचकर तो आप ले गये .
    फ़ायदा नहीं दुकान को अब तो सजाने से .. :)
  12. सतीश सक्सेना
    पूरी गंभीरता के साथ हर ब्लागर को आपके बताये रास्ते पर चलना चाहिए, हालांकि नए ब्लागर को, बहुत कन्फयूजन होगा आपके मंतर को समझने में !
    जय हो भोले बाबा…
    बाबा समीरानंद की परवाह ना करें …
  13. रविकांत पाण्डेय
    सुना है”बिनु सतसंग विवेक न होई”इसलिये हाज़िरी लगा देता हूं. आज का प्रवचन गीता के “कर्म करो, फल की चिंता मत करो” से प्रभावित लगता है।लिखे जाओ, समझ में आने की चिंता मत करो…..सीयावर रामचंद्र रघुवर की भजो!!! लो अब आपके सूत्र पर अमल करते हुए ऐसी टिप्पणी कर दी जो समझ न आए:)
  14. दिनेशराय द्विवेदी
    आप अकेले मौज नहीं ले सकते न!
    हम भी आ गए हैं इहाँ!
  15. ताऊ रामपुरिया
    चोर ने धमकाया है पुलिस को घसीटेगा अदालत में ,
    उल्लंघन किया है निजता का, छापामारी के बहाने से।
    आपकी पुलिस ज्यादा सीधी है क्या?:)
    रामराम.
  16. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    वैसे एक बात ये देखो कि अगर हम बहर-वहर के हिसाब से बहुत अच्छी ,अनुशासित,रानी बिटिया टाइप गजल लिखे होते तो जो तमाम साथी जबाबी लाइने ठेले हैं वो भला ठेलते कहीं। सब जाते पहले अपने-अपने गुरुजी के पास आशीर्वाद लेने।
    ————-
    बहुत अच्छा लिखा। मजा आ गया (समझ गये)।
  17. शास्त्री जे सी फिलिप्
    “शास्त्रीजी से मौज न लेते जिनका रुझान आजकल समलैंगिकता की तरफ़ बढ़ता सा रहा। ”
    अरे भईय्या हमारे पत्नी-बच्चों को यह बात पता चल जायगी तो खटिया खडी कर देंगे. आप क्यों प्राईवेट बातों को पब्लिक में कहते फिरते हैं. कुछ गडबड हुआ तो मैं भी लिख दूँगा कि हमारे समलैंगिक “संगी” फुरसतिया हैं तो आप कुछ नहीं कह पायेंगे.
    आपके आलेखों में हास्य का पुट पढ के मजा आ जाता है.
    सस्नेह — शास्त्री
    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.Sarathi.info
  18. एम ज्ञान
    बस मुस्कुराते हुये टिपिया रहे :-)
  19. कुश
    लो बताओ जी.. आपने तो सीरियसली लिख दिया.. फिर से फंसा गए हमको..
  20. Panchayati
    “गज़ल” पर बन्दिशे “बहर” की, सुना था कि गज़ल आज़ाद होती है.
    ———————————————–
    जब आप ही कहते है कि “हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै?”
    फ़िर काहे कि फ़िकर भाई.
    लगे रहो.
  21. झालकवि 'वियोगी'
    जो चाहें, जब चाहें, जिधर चाहें जबरिया लिख दें
    हम पढेंगे औ टिपिया के जायेंगे किसी बहाने से
    और इसी बात पर एक बहर-रहित, भावना-सहित शेर बोनस में लें…(एक के साथ एक फ्री टाइप)
    जब मैल बैठा हो कपड़े के साथ मन में भी
    वो तो जाएगा नहीं रगड़ कर नहाने से
  22. neeraj1950
    सच कहूँ प्रभु आप जब भी मेरी ग़ज़ल पर तुकबंदी करते हैं…माफ़ कीजिये पैरोडी लिखते हैं मुझे हमेशा ये एहसास होता है की हाय….मैं इतना अच्छा कब लिख पाउँगा…सच कह रहा हूँ…इस बार भी आपने जो ग़ज़ल टाईप चीज लिखी है, याने जिसे आपके अनुसार उसे मेरे ब्लॉग पर ग़ज़ल पढने के बाद लिखा है ,एक दम धाँसू है…एक एक लफ्ज़ में आपकी रचनात्मकता साफ़ झलकती है…अगर मेरे ब्लॉग पर आने मात्र से माँ सरस्वती आप पर इतनी मेहरबान होती है तो श्रीमान जी आप से अनुरोध है की आप बार बार लगातार मेरे ब्लॉग पर आईये और साहित्य को अपनी रचनाओं से समृद्ध कीजिये….हम सच में बहुत खुश हुआ हूँ…आप की जय हो.
    नीरज
  23. vandana a dubey
    अनूप जी, समझ में नहीं आया कुछ…आपने जो बताया वही करूं क्या? “बहुत सुन्दर, मज़ा आया”
    हा..हा…लेकिन सचमुच मज़ा आया…अब तो ये लिखने में भी डर लगेगा, कि कहीं कोई हमें बौडम न समझ ले…
  24. अर्कजेश
    बढिया-बढिया ग़ज़ल पीट रहें है |
    चलिए हमारा भी जिक्र हुआ इसी बहाने से |
    बात ka जवाब देने का शुक्रिया दिल के तहखाने से |
    ब्लोगिंग की मूल भावना बनाए रखने कि पूरी कोशिश करेंगे |
    हमने देखा है कि आपको टिप्पणिया भी बिलकुल आपके अंदाज में मिलती हैं |
    आपके पोस्ट की तरह मजेदार |
    वही बात कि मियाँ कि जूती मियाँ का ……..
    आम के आम गुठलियों के दाम |
  25. arsi
    सुन्दरम.
    { Treasurer-T & S }
  26. dr anurag
    वो कहना अर्श का की बेवजह की मसरूफियत में फंसे हुए थे इसलिए फुरसत में आपकी पहली पोस्ट नहीं पढ़ पाए ..कविता के बारे में कुछ नहीं कहेगे ….आपका लिखा समझने के लिए पहली पोस्ट पढ़ कर आते है
  27. berojgar
    सभी हिन्दी ब्लोगर भाइयों/बहनों से अनुरोध है की यहाँ मैं एक प्रस्ताव रख रहा हूँ कृपया इस पर अपनी सहमति देने की कृपा करें। ब्लोगर भाइयों के आपसी प्यार को देखते हुए मेरी हार्दिक इच्छा है की एक हिन्दी ब्लोगर संघ की स्थापना की जाए और (वैसे तो सभी इन्टरनेट पर मिलते ही हैं) साल में एक बार कहीं मीटिंग आयोजित की जाए. इंटरनेट पर ही अध्यक्ष, सचिव, इत्यादि के चुनाव हो जायें। मेरे इस सुझाव पर गौर करें। हिन्दी ब्लोगर संघ को मजबूती प्रदान करें। फ़ुरसतिया जी से मेरी प्रार्थना है की इस कम में रूचि दिखाते हुए.सहयोग दें. ब्लोगर संघ के उद्देश्य, नियम, चुनाव प्रक्रिया के बारे में आगली पोस्ट में बताऊंगा.स्तरीय ब्लॉग लेखकों को सक्रियता के आधार पर चयनित किया जाये.
  28. venus kesari
    @ बेरोजगार भाई
    ब्लोगिंग में अगर ऐसी कोई समीति बने गई तो इसकी बहुत फायदे होंगे मगर फायदे के साथ साथ कुछ नुक्सान भी होंगे और पहला सबसे बड़ा नुक्सान ये होगा की ब्लोगिंग में राजनीति शुरू हो जायेगी क्योकि इसके लिए कोई भी चुनाव मतदान से होगा और जहाँ चुनाव और मतदान हो वहा राजनीति (गंदी राजनीति ) से बचना संभव नहीं है
    और ब्लोगिंग में राजनीति (गंदी राजनीति) की शुरुआत कोई भी ब्लॉगर नहीं चाहेगा इस लिए मै तो आपके विचार से सहमत नहीं हूँ जी
    आगे अन्य लोगों की राय जो होगी उसका अनुपालन मैं भी करने को तैयार हूँ
    वीनस केसरी
  29. ALBELA KHATRI
    anand aagaya,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    sachmuch
    aaj toh balle balle ho gayi……………..
    abhinandan aapka !
  30. गौतम राजरिशी
    कल रात भी बैठे थे इस पोस्ट पर कि कहीं से बुलावा आ गया….अब सुबह-सुबह आ बैठे…जादू उतरा ही नहीं था रात में…इस अलाने-फलाने वाले शेर पर सब निछावर है देव! और समीर लाल जी ने उल्लेख कर ही दिया है बहर का, तो एक नयी बहर के इजाद पर मुबारकबाद कबूल फरमाये…
    इसे संग लिये जा रहे हैं “वैसे तो अलाने जब भी दुरदुराने लगते हैं मुझको / मैं भिड़ जाता हूं जाकर फ़ौरन फ़िर फ़लाने से”..इधर बहुत दरकार है इस वैली में।
  31. Shiv Kumar Mishra
    बढ़िया गजल है. बधाई.
  32. Abhishek
    अब तो टिपियाने में भी डर लगेगा. आपको डाउट तो वैसे ही रहता है कि हमने नहीं पढ़ा :) वैसे झक्कास है.
  33. Rashmi Swaroop
    कविता तो एकदम झक्कास है !
    :)
  34. अतुल शर्मा
    सबसे अबूझ अंश? यदि पूरी पोस्ट ही अबूझ हो तो (होती है, किसी-किसी की होती है)?
    फिर भी बहुत अच्छा लिखा। मजा आ गया (समझने से बच गये)
    (समझने से बच गये लिखना है या नहीं)
  35. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    बाप रे बाप…! आपकी गली में आकर इतना खो जाता हूँ कि टाइम का पता ही नहीं चलता। इतनी लम्बी पोस्ट और उसपर असंख्य मजेदार टिप्पणियों का रस लेने में इतना समय लग जाता है कि दूसरे कई कामों का हर्जा हो जाता है। यह ऐसी परेशानी है कि जिसका इलाज भी नहीं। बस एक ही रास्ता है कि फुरसत निकालकर ही इधर का रुख किया जाय।
    “बहुत अच्छा लिखा। मजा आ गया (समझने से बच गये)”
    ऐसी जबरदस्त टिप्पणी लिखने का कलेजा अपने पास है ही नहीं, क्या करें?
    बड़ा लफ़ड़ा है भाई। कोई बचाओ मुझे।
  36. चंद्र मौलेश्वर
    50% नीरज जी का इन्स्पिरेशन और 50% आप का पर्सपिरेशन…इसी से तो हुआ न कविता का जनरेशन जिसे पढ़कर लोग वाह वाह करेके खडे़ हो जाते हैं अटेंशन:)
  37. Darbhangiya
    लिखा आपने कुछ सीरियस बात
    फिर मजाक और हंसी के बहाने से
    मालूम है आपको नहीं पसंद तारीफ
    पर हम क्यों बाज आयें टिपियाने से
  38. K M Mishra
    इलाहाबाद जब आयेंगे तब ज्ञानजी से पैसे लेकर चाय पिलायेंगे।
    मुझे मत भूल जाइयेगा । जब ज्ञान काका फाइनेंस कर रहे हों तब चाय के साथ पकोड़े भी होने चाहिये । कब आ रहे हैं । इंतजार में हूं ।
    लाजवाब पोस्ट । एक दम बम्फाट ।
  39. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
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