Thursday, August 20, 2009

…और ये फ़ुरसतिया के पांच साल

http://web.archive.org/web/20140419213749/http://hindini.com/fursatiya/archives/670

95 responses to “…और ये फ़ुरसतिया के पांच साल”

  1. bhuvnesh
    लख लख बधाईयां…..
    भुवनेश:लख लख शुक्रिया। :)
  2. कौतुक
    बुजुर्गियत की बहुत बहुत बधाई.
    मन में तो जन्मदिन जैसे शब्द कहने के विचार आ रहे हैं पर उसे बमुश्किल थाम रहा हूँ.
    “कई लोग तो रात को यह वायदा करके सो गये कि अभी नींद आ रही है सुबह पढ़ेंगे लेकिन वो हसीन सुबह, अक्सर, कभी नहीं आई!”
    बेदर्दी पाठक क्या जानें, कहाँ कहाँ कौन कौन आस लगाये रहता है. :)
    मस्ती एक तरफ़, आप यूँ ही लिखते रहें.
    कौतुकजी:मन की बात मन में नहीं रखनी चाहिये। कह देनी चाहिये। आप हमारा दर्द समझे इसके लिये शुक्रिया। लिखते तो रहेंगे इंशाअल्लाह! :)
  3. Syed Akbar
    बहुत बहुत बधाई !!
    सैयद अकबर जी, बहुत बहुत शुक्रिया। :)
  4. अशोक पाण्डे
    पांच साल का सफ़र ख़ासा लम्बा माना जाना चाहिए, विशेषतः जब उस समय की बात इस में शामिल है जब हिन्दी भाषा में ब्लॉगिंग के अस्तित्व तक का ज्ञान बहुत कम लोगों को था. … इस लिहाज़ से आप का काम एक अवांगार्द का है और यक़ीन मानिये इस सफ़र ने अगर बहुत आगे तक जाना है (मेरा मतलब हिन्दी ब्लॉगिंग ने) तो आप इस सफ़र में स्तर और पठनीयता और लोकप्रियता के लिहाज़ से एक नज़ीर के तौर पर सब के सामने रहेंगे.
    मेरी तरफ़ से ढेरों बधाइयां लीजिये और शुभकामनाएं भी!
    सादर
    अशोक पाण्डे
    अशोक जी: अवांगार्द वाली बात तो अच्छी लगती है लेकिन पांच साल हमने और लोगों ने भी मुझे आवारागर्द की ही/भी नजरों से देखा। आगे जाने वाली बधाइयों और शुभकामनाओं के लिये शुक्रिया। :)
  5. लावण्या
    आपका लेखन तथा हिन्दी ब्लॉग जगत पर पैनी द्रष्टि
    बिलकुल अद्वितीय है जी — बधाई पंचम वर्ष पूर्ण करने पर
    आगे …आगे देखिये होता है क्या …ऊर्जा से भरपूर लेखन जारी रहे
    – सादर, स – स्नेह,
    - लावण्या
    लावण्याजी: आपके स्नेह, शुभकामनाओं और बधाई के लिये शुक्रिया। :)
  6. समीर लाल ’उड़न तश्तरी’ वाले
    कित्ते बड़े हो गये. याद है जब पहली बार मिला था मात्र दो साल के थे. अब तो राजा बाबू हो लिये. तो यह बधाई का बड़का बंडल ले लें.
    बहुत बहुत बधाई एवं ऐसेइच लिखते रहें, इस हेतु शुभकामनाऐं.
    वी आई पी सीट पर बैठकर बधाई देने का आनन्द भी अपना एक अलग ही आनन्द है.
    समीरलालजी: जिस बात का डर था वही हो लिया। सच में खुद को वीआईपी समझ लिये। शुक्रिया शुभकामनाओं के लिये। :)
  7. समीर लाल ’उड़न तश्तरी’ वाले
    उपर टिप्पणी में जगह जगह स्माईली :) लगाना रह गये हैं. जहाँ जहाँ जरुरत समझें, यहाँ से उठाकर लगा लें.
    :) :) :)
    समीरलालजी: इस्माइली में तीन-चार और स्माइली अटैच करके रिटर्न कर रहे हैं। जहां कुछ समझ न आया करे वहां लगा लिया करें! :)
  8. अजय कुमार झा
    का शुकल जी…
    ई सूखा सूखा ..सेलीब्रेशन…इहाँ सरकार का पांच हफ्ता पूरा होता है ….तो श्वेत पत्र जारी हो जाता ..और ई ब्लॉगजगत में पांच साल तक कुण्डली मार के बैठना कौनो आसान काम है का..ऊपर से सुने हैं..न तो कभी किसी विवाद में फंसे….न ही कभी टंकी पर चढ़े..न ही कौनो को गरियाए..एकदम ओतने सेफ रोल में रहे ..जेतना रामायण में शत्रुघ्न रहे थे…
    फुरसतिया कहिये, चिरकुटिया कहिये…झत्पतिया कहिये , खतपतिया कहिये …मुदा ..दिल पर तो राज करिए रहे हैं आप….
    ई यात्रा तो अभी शुरू हुई है ..साल ऊल का मुबारकबाद नहीं देंगे..एगो ख़ास गुजारिश है..जब हमरा बिटवा ब्लॉग्गिंग करेगा न अपना जवानी में ..तब ऊको पढ़े के तनिक टिपिया दीजियेगा…आर्शीवाद हो जाएगा ओकरे लिए..
    बंकिया प्रणाम ..
    अजय झाजी: जय हो! टंकी-शंकी पर चढ़ना बड़े लोगों का काम है। हम ऐसे ही मस्त रहते रहे। :) बकिया आपके बेटवा के ब्लाग पर अभी टिपिआये देते हैं। बनाइये तो सही! का ऊ खुदै बनायेगा घर में बाप ब्लागर के रहते! :)
  9. hempandey
    इस बहाने यह मालूम हुआ कि दादा(वरिष्ठ) लोग कितने पुराने हैं.बधाई.
    हेमजी: शुक्रिया। :)
  10. vijay gaur
    बधाई कितना छोटा शब्द है न ?
    बधाई।
    विजय गौर: बधाई शब्द छोटा भले है लेकिन मतलब कित्ते बड़े हैं। शुक्रिया। :)
  11. venus kesari
    हार्दिक बधाई कबूल फरमाएं
    पांच साल मजाकै मजाकै में निकल गया ………….यहाँ तो जिन्दगी ही मजाक हुई जा रही है :)
    एक सवाल है (जब सबको जवाब दिए हैं तो हमको भी जवाब चाहिए) आप गजल और बहर से इत्ता घबराते कहे हैं ???
    हमको शंका है इसका जवाब भी मजाकै मजाकी में दीजियेगा …….
    आज की हमारी आधी ब्लोगिंग तो समीर जी की पोस्ट पढने उन पर आये कमेन्ट पढने, कमेन्ट करने, आपकी पोस्ट पढने, कमेन्ट पढने और कमेट करने में ख़तम हो गई :)
    वीनस केसरी
    वीनस भाई: जिन्दगी मजाक में गुजरने वाली बात बड़ा अच्छा मजाक है! :)
    हम गजल से घबराते नहीं , बहर से घबराते हैं। सच तो यह है कि घबराते कम बिदकते ज्यादा हैं। मेरी समझ में बहर का गाना गाकर गजल लिखने वाले गजल के प्रति लगाव कम आतंक ज्यादा पैदा करते हैं। वैसे आप लोग बहर में गजल लिखते हैं तो अच्छा लगता है और हम बिना बहर की तमीज के उसकी तारीफ़ भी करते हैं। हमें बहर की समझ नहीं है और न ही उसको सीखने की ललक पैदा कर पाये। इसका कारण शायद अनुशासन से बिदकने की सहज मन:स्थिति है। :)
    समीरजी के लेख तो मास्टरपीस होते हैं। गजल के भी वे उस्ताद हैं। उनकी पोस्ट पढ़ने और टिपियाने में तो आपको बहुत पुण्य लाभ हुआ होगा। थोड़ा सा पुण्य क्षय हमारे इधर हो गया तो कोई बात नहीं। समीरजी की पोस्ट पढ़कर फ़िर अर्जित कर लीजियेगा। :)
    टिपियाने और बधाई देने के लिये हार्दिक शुक्रिया। :)
  12. अजित वडनेरकर
    बधाई हो जी…बिना बजट की पंचवर्षीय योजना की सफलता पर। इतनी लगन से अगर हमारी सरकारें किसी एक पंचवर्षीय योजना को भी पूरा कर लेतीं तो शायद मुलुक तर जाता…खैर, आपके सातत्य से यह ब्लाग जगत लगातार प्रेरणा ले रहा है और हम जैसे लोगों को भी यहां कुछ सार्थक और स्थायी काम निस्वार्थ भाव से करने की ललक जागी है।
    अजितजी: शुक्रिया। आप तो ऐसा काम कर रहे हैं कि वो अकेला काम पचास के मुकाबले भारी है। हम तो खाली ऐं-वैं फ़ुरसतिया फ़ोकटिया खटखटाते रहे। जै हो! :)
  13. abha
    पाँच साल पूरा करने की बधाई।आगे भी मिलती रहेगी बधाई , फिर पचास साल पूरा करने की भी मिलेगी बधाई…..
    आभाजी: शुक्रिया। पचास साल वाली बधाई के लिये एडवांस में शुक्रिया। :)
  14. हिंदी ब्लॉगर
    बहुत-बहुत बधाई!
    नियमित रूप से पाँच साल तक लिखने के साथ-साथ लगातार आपने टिप्पणियाँ भी बाँटी है. इसलिए ये कुछ ज़्यादा ही बड़ी उपलब्धि है.
    हिन्दी ब्लागर: शुक्रिया। आपके लेखन की अनियमितता और लंबा अंतराल अखरता है। :)
  15. प्रमेन्‍द्र प्रताप सिंह
    आपको बहुत बहुत बधाई, धीरे धीरे एक न एक साल बढ़ते जा रहे है। पूर्व और और अभूतपूर्व की ब्‍लागरों लिस्‍ट काफी लम्‍बी होगी कोई शक की बात नही है।
    चिट्ठाकारों में विवादो का भाई चारा हमेंशा देखने को मिला है यही कारण है कि अभी भी प्रेम बरकरार है। चेगेड़े जैसी उपधिया आज भी हंसी दिला ही देती है।
    प्रमेंन्द्र: शुक्रिया। पुरानी यादे तो बहुत सारी हैं। चेंगड़े वाली भी ! :)
  16. nitin
    बधाईयां, पूछो फुरसतिया से कब फिर चालू हो रहा है?
    नितिन: शुक्रिया! बस फ़ुरसतिया तो चालू आहे! :)
  17. सतीश पंचम
    छोटी पोस्टें गमले में लगे किसी एक पौधे की तरह हैं, लेकिन लंबी पोस्टें बगीचे की तरह है बशर्ते यह बगीचा करीने से लगाया गया हो।
    यह करीने से लगा बगीचा यहां आपके ब्लॉग पर दिख जाता है , अब इसी पोस्ट को ही लें – पांच साल की टिचन्न चर्चा कर दिये हैं और सब को समेटते हुए अब भी पानी वाला पाईप लेकर छडे हैं कि कहीं कोई पौधा छूट तो नहीं गया जलमग्न करने से :)
    पांच साल पूरे होने पर घणी बधाई।
    सतीश जी: घणी बधाई के लिये घणा शुक्रिया। हम भी सिंच रहे हैं आपकी शुभकामना जल से! :)
  18. masijeevi
    बधाई हो जी।
    मौज मौज में ही इत्‍ता बखत बीत गया।
    :)
    अभी और झाड़े रहो।
    मसिजीवी: शुक्रिया! मौज तो चलती ही रहेगी। :)
  19. सतीश सक्सेना
    बधाई अनूप भाई !
    आपसे बहुतों को प्रेरणा मिलती है !!
    सतीश सक्सेना जी: शुक्रिया। अपने बहुत साथियों से हम भी न जाने क्या -क्या ले लेते हैं ! :)
  20. Praveen Rathee
    बहुत बहुत बधाई जी |
    ये समझो कि आपने ब्लॉग्गिंग की मास्टर्स डिग्री हासिल कर ली | गुरु हो गए आप अब हम बच्चों के :)
    प्रवीन भाई: शुक्रिया। बड़ा खतरनाक काम है स्मार्ट लोगों के गुरूजी बनना! :)
  21. Praveen Rathee
    हमें ई समझ नहीं आता कि हमारी टिप्पणी के साथ हमारी फोटो काहे नहीं आती | :( ऐसा क्या किये हैं आप?
    प्रवीन भाई: फोटॊ आपकी ज्यादा हसीन है शायद इसीलिये न आती हो। वैसे स्वामीजी से कह देंगे हम देखने के लिये:)
  22. Panchayati
    अरे भिडू, पान्च साल पूरे होने पर अक्खा दिल्लि से एक खोखा बधाई, बोले तो कान्ग्रेचुलेशन.
    अरे पंचायती भाई: शुक्रिया। चाय वाली पोस्ट को हिन्दी में देखकर बहुत अच्छा लगा। डबल शुक्रिया।
  23. सृजन शिल्पी
    बधाई! आप तो दैनिक रियाज़ की तरह ब्लॉग लेखन करते रहे. इसीलिए आपके लेखन में एक तरह की कलात्मक ऊँचाई हमेशा बनी रही. आपसे प्रेरित होकर दर्ज़नों लोग ब्लॉग लेखन में कूदे. आप एक ऐसे कारवां की अगुवाई करते रहे हैं, जिसमें कुछ लोगों ने भले ही किसी वज़ह से किसी मोड़ पर साथ छोड़ दिया हो, पर नए-नए लोग रोज ही जुड़ते रहे हैं और हिंदी ब्लॉग्गिंग की दुनिया दिनों-दिन समृद्ध होती रही.
    आपको तीन साल पहले मैंने ऐसे ही हिंदी ब्लॉग्गिंग का भीष्म पितामह नहीं कहा था! मुझे याद आता है, आपको “अमिताभ बच्चन” और “सचिन तेंदुलकर” भी कहा गया है.
    ठेलने का यह निराला अंदाज़ सतत जारी रहे!
    सृजन शिल्पी: शुभकामनाओं के लिये शुक्रिया। भीष्म पितामह, अमिताभ बच्चन और सचिन तेंदुलकर तो ठीक है भाई लेकिन तुम्हारा लिखना म और टिपियाना कम हो गया। फ़िर से आओ मैदान में यार! :)
  24. Lovely
    देर से देख रही हूँ पोस्ट …ज्ञानियों ने सब कह ही दिया तो मेरे कहने के लिए कहाँ कुछ बाकि है. आप बहुतों के प्रेरणा स्रोत हैं ..बहुत बधाई और शुभकामनायें पांचवीं वर्षगाठ पर.
    …और मैंने तो बताया ही था ..जब रात्रि में मेरी भयानक हंसी से ध्वनि प्रदुषण होता है ..घर वाले कहते हैं फुरसतिया जी को पढ़ रही होगी :-)

    लवली: शुक्रिया। ध्वनि प्रदूषण के चलते प्रभावित होता है। आगे आने वाले दिनों में लगता है हमारी खैर नहीं।
    :)
  25. सिद्धार्थ जोशी
    ई- भीष्‍म पितामह जी,
    अब तक तो पाण्‍डु, द्रोण और कुंती का काल देखे हैं। असली कौरव पाण्‍डव तो अब ही मैदान में आए हैं। इनके साथ भी गुथमगुत्‍था होने का सुख आपको मिल रहा है। :) कृष्‍ण भक्‍तों से लेकर राहू केतू तक हर तरह के व्‍यक्तित्‍व मैदान में हैं। :) आपने इन सबको लंगोटी में घूमते देखा है और अब मल्‍ल में उलझे भी देख रहे हैं। समीक्षा के लिए आपकी भूमिका महत्‍वपूर्ण होती जा रही है। लम्‍बी पोस्‍टों की तुलना भीष्‍म पितामह की दाढ़ी से की जा सकती है। और लगातार ब्‍लॉंगिंग की प्रतिज्ञा महाभारत के अंत तक चलेगी। ऐसा लगता है। :)
    ई वेदव्‍यास ने आपको संजय का नेत्र यानि चिठ्ठा चर्चा भी दे दिया है। सो इस ब्‍लॉग अखबार की महती जिम्‍मेदारी भी आपके है।
    इन सबको देखते हुए कहा जा सकता है कि पचासवें साल में आपकी जो पोस्‍ट होगी उसमें एक हजार से अधिक कमेंट आ सकते हैं। अब तक की उपलब्धि के लिए हृदय से बधाई और अगले पैंतालीस साल के लिए शुभकामनाएं… :)
    सिद्धार्थ जोशी: शुक्रिया। आप ज्योतिष के ज्ञाता हैं। पचास साल वाली आपकी बात सुनकर गुदगुदी हो रही है। :)
  26. रंजन
    बहुत बधाई.. जमे रहिये..
    रंजनजी: शुक्रिया। जमे हैं! आज्ञानुसार! :)
  27. neeraj1950
    अनूप जी हमें ई बताईये की आपमें और मनमोहन सिंह में क्या समानता है…??? नहीं नहीं दाढ़ी पगड़ी और समझदारी की बात नहीं कर रहे…इन में तो आप उनसे अलग ही हैं…हम समानता की बात पूछ रहे हैं…समानता ये है की विकट परिस्तिथि में उन्होंने ने भी पांच साल पूरे कर लिए और आपने भी…(तालियाँ)…दुश्मनों के दांत न आपने खट्टे किये न उन्होंने… आपकी इस कारगुजारी के लिए हम ढेर सारी बधाई की टोकरियाँ भर भर के आपको देते हैं….और उम्मीद करते हैं की जब ब्लॉग्गिंग में हमारे पांच साल पूरे हों {जिसकी सम्भावना-(सेठ नहीं) कम है…हम तो दो साल पूरा करते करते सूखे पत्ते की तरह ब्लॉग्गिंग की डाल पे हिल रहे हैं…क्या पता कब गिर पड़ें…}- तो हम कह रहे थे की जब हमारे पांच साल पूरे हों तो आप हमारी बधाई की इन टोकरियों को सूद समेत वापस लौटा दें…भूल चूक लेनी देनी…
    हम बधाई की टोकरियाँ भर भर के लाते रहेंगे आप साल पे साल बढाते रहो…
    नीरज
    देर से आने का कारण उम्र है भाई…अब इतनी तेज नहीं दौड़ा जाता…सोचा जब सब निपट चुकेंगे तब बधाई दे आयेंगे…बधाई कौन रसमलाई है जो देर से दी तो ख़राब हो जायेगी…बल्कि शराब की बोतल है…जितनी देर से देंगे उतनी ही देर तक सरूर में रक्खेगी…: :))
    नीरजजी: आपकी बधाई तो मैंने पहले ही ले ली थीं। आपने तो खाली आकर रेगुलराइज करा दिया मामला। सो देरी का मामला खल्लास। आपकी सारी बधाइयां हम धरे हैं। हर साल किस्तों में और ब्याज सहित वापस करते रहेंगे। हमारी इस पांच साला यात्रा में आपकी गजलों का भी बहुत हाथ रहा जिनकी पैरोडियां मैंने लिखीं। उनके लिये भी शुक्रिया। :)
  28. suresh sharma (cartoonist)
    हमें तो पांच महीने भी नहीं हुए ब्लॉग जगत में आये हुए और आपने पांच साल का लम्बा सफ़र तय कर लिया है, इस महान उपलब्धि पर मेरी ढेर सारी शुभ कामनाएं ! आपके ब्लॉग पर पहली बार दस्तक दी है अब बराबर आना होगा..ये वादा रहा, मिठाई तो हम भी आपसे माँगेंगे, कब खिलाएंगे?
    सुरेशजी: शुक्रिया! आप भी पांच साल जल्द ही पूरा करेंगे। एक, दो, तीन.चार करते हुये। मिठाई जब आप कहें खिला देंगे। :)
  29. Ashish Khandelwal
    बधाई, हैपी ब्लॉगिंग.
    आशीष: शुक्रिया। थैंक्यूजी! :)
  30. जि‍तेन्‍द्र भगत
    मैं तो शुरू से ही आपके लगनशीलता का कायल रहा हूँ। ये पॉंच वर्ष नये ब्‍लॉगर के लि‍ए प्रेरणा भी हैं और लक्ष्‍य भी। आपको हार्दि‍क बधाई।
    जितेन्द्र भगत: बधाई के लिये हार्दिक शुक्रिया बिरादर! :)
  31. अतुल शर्मा
    देर हो गई टिपियाने में। ढेरों बधाइयाँ। मैंने पहले-पहल जब आपकी पंचलाइन, “हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै?” देखी तो हैरान रह गया था कि ये आदमी जबरन झेलाने पर तुला हुआ है। पर पढ़ना शुरू किया तो मज़े से सब झेलते गए। नियमित पढ़ा ज़रूर पर उतने नियम से टिपियाया नहीं है।
    आप तो लेखन, विशेष रूप से व्यंग्य के प्रेरणा स्रोत हैं।
    बधाइयाँ और शुभकामनाएँ।
    अतुल शर्मा: शुक्रिया। ये पंच लाइन ईस्वामी ने हमारे एक से लेकर तय की थी। इसलिये इसका पूरा ईस्वामीजी को ही जाता है। आप पढ़ते रहें यही मेरे लिये बहुत है। टिप्पणियां कोई आवश्यक नहीं है। करी करी न करी। :)
  32. venus kesari
    वाह जी ये तो बहुत चंगा व्यापार है हमने आपको दो स्माइली दी, आपने चार लौटाई “दो” का शुद्ध मुनाफा :)
    वीनस केसरी
    वीनस: अभी तो और मिलेंगी स्माइली! :):) :) :)
  33. amit
    मुबारकां जी मुबारकां – आप पिछले पाँच साल से जबरन लिखते आ रहे हैं, बहादुरी का इनाम तो वास्तव में आपको मिलना चाहिए; जीतू भाई से ले लिया जाए उन्होंने आपके लिए मंगवा के रखा हुआ है, ऐसा वो पिछले सप्ताह चैट पर बता रहे थे। :D
    मेरी ओर से बधाई के साथ-२ अगले पाँच साल के लिए शुभकामनाएँ टिका लें। जब तक ऐसा लगता रहेगा कि कल ही शुरुआत किए थे तब तक ताज़गी बनी रहेगी और हम पाठक लोग आपकी लेखनी का रसपान करते रहेंगे। :)
    अमित: शुक्रिया! जीतू गोलीबाज है। तुम्हारी शुभकामनायें तो टिका लीं। वैसे यह सच है कि लगता है कि कल ही लिखना शुरू किया। :)
  34. मीनाक्षी
    देर से आए..लेकिन दुरुस्त आए… और खूब आनन्द से पाँच वर्ष पूरे होने पर मुबारक पोस्ट और टिप्पणियाँ पढ़ी… आपका लेखन चेहरे पर मुस्कान बिखेरता हुआ गहरा चिंतन करने पर बाध्य कर देता है…ऐसे ही लिखते रहिए और हम जैसे निष्क्रय ब्लॉगर को सक्रिय होने का सन्देश देते रहिए…
    मीनाक्षीजी: आपका शुक्रिया। अब बस जल्दी बेटे को ठीक करके आइये ब्लाग मैदान में खूब लिखने के लिये:)
  35. मानसी
    बधाई हो।
    रामराम, जय हो में तबदील हुआ है। नये के साथ क़दमताल मिलाने में कुछ नाम भूलते अवश्य हैं :-) (५० में से एक कारण)
    आपकी लंबी पोस्ट नहीं पर पोस्टस का इंतज़ार तो आज भी रहता है। इसी तरह और ५ साल भी देखते-देखते यूँ ही फ़ुर्सत में पूरे हो जायें, यही कामना है।
    मानसी: शुक्रिया! कम से कम तुम तो ई आरोप नहिऐं लगाओ कि हम भूल गये। ब्लाग जगत में बहुत कम लोग हैं जो हमारी खराब पोस्ट को खराब पोस्ट कहते हैं। तुम उन कुछ लोगों में हो जो ऐसा कहती हो। आगे के साल भी ऐसेइच गुजरेंगे। :)
  36. Abhishek
    ठेले रहिये महाराज. हम क्या पढेंगे. :) ये तो छूटा ही जा रहा था परसाई जी को पढ़ते-पढ़ते लेकिन हम छोडेंगे थोड़े आपकी पोस्ट. कुछ भारत रत्न दिलवाए दे रहे हैं हमारा बस चले तो ब्लॉग्गिंग में भी नोबेल दिलवाने लगे और आपसे ही शुरू कर दें. लेकिन बस चले तब न… ! चलने दीजिये एक बार बस… :)
    अभिषेक: शुक्रिया। होगा नोबेल-सोबेल ब्लागिंग में भी होगा। कभी न कभी! :)
  37. बी एस पाबला
    दो दिनों से जब जब यहाँ टिप्पणी देने आया, कुछ ना कुछ ऐसा होता कि टिप्पणी छूट जाती :-)
    आज ना छोड़ेंगे :-)
    निश्चित तौर पर हिंदी ब्लॉगिंग के खट्टे-मीठे अनुभवों का खजाना है आपके पास। जो गाहे बेगाहे झलकता रहता है आपके फुरसतिया लेखन में
    निरंतरता बनी रहे, शुभकामनाएँ
    बधाई के साथ
  38. Sehar
    …..और मजाक-मजाक में पांच साल निकल लिये!
    यही तो सबसे मुश्किल बात है ….मज़ाक मज़ाक में बहुत कुछ कह -सिखा जाना
    जैसे आप बहुत कुछ कह जाते हैं ..:))
    बहुत खूब..आप लिखते रहें इसी तरह
    बधाई !!
  39. गौतम राजरिशी
    अठ्ठासी टिप्पणियों के बोझ तले दबे कराहते हम भी बधाई देने चले आये, देव!
    पाँच साल….सोच कर ही सिहर उठता हूँ। अपना तो एक साल ही गुजरा और लगने लगा कि एक जमाने से ब्लौगिया रहे हैं। कितनों को झेला होगा आपने भी…!!!
    चरैवेति ! चरैवेति!!
  40. रौशन
    सच कहते हैं पांच साल तक बिना रुके लगातार जबरिया लिखते जाना कमाल की बात ही है. याद नहीं की आपको पहली बार कब पढा पर जब भी पढा तो लागा बेचारे इतने प्रेम से लिख रहे हैं तो पढ़ ही लिया जाय.
    अब आज कोई बीस दिन बाद इन्टरनेट के दर्शन मोबाइल से इतर कहीं हुए तो सोचा की हम भी अहसान जता आयें की भूलना मत हम भी पढ़ते हैं
    अब अहसान मानिए या ना मानिये जनता तो जान ही जायेगी
  41. Tarun
    मजाक मजाक में पाँच साल से आप ठेले जा रहे हैं और जवाब में मजाक मजाक में ही टिप्पणी का रिठेल किये जा रही है। मान गये मुगले-आजम
  42. Pankaj Upadhyay
    paanch saal bahut badi uplabdhi hai sir jee :)wah
    badhiyan humari taraf se..
  43. : …और ये फ़ुरसतिया के छह साल
    [...] पूरी शराफ़त से !एक , दो ,तीन , और चार और पांच को रास्ता [...]
  44. : …और ये फ़ुरसतिया के सात साल
    [...] नहीं भाई इसके पहले एक , दो ,तीन , और चार , पांच और छह भी निकले इज्जत के [...]
  45. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] …और ये फ़ुरसतिया के पांच साल [...]

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