http://web.archive.org/web/20140419213531/http://hindini.com/fursatiya/archives/2212
कुछ दिन पहले मितुल ने बताया कि हिंदी विकिपीडिया
के लेखों की संख्या एक लाख से अधिक हो गयी है। मितुल चिट्ठों की दुनिया से
जुड़े हैं। लेकिन शायद उन्होंने अपना ब्लाग आजतक नहीं बनाया। [मितुल का
परिचय यहां देखें।
] शुरुआती दिनों में चिट्ठों पर मितुल की टिप्पणियां दिखतीं थीं लेकिन इधर
काफ़ी दिनों से कम दिखीं। लेकिन हिंदी विकिपीडिया से वे जुड़े रहे। उन्होंने
जब यह सूचना दी कि हिंदी विकिपीडिया के चिट्ठों की संख्या एक लाख के पार
हो गयी तो बहुत खुशी हुई।
मितुल ने आज से पांच साल पहले निरंतर पत्रिका के लिये लेख लिखा था – विकिपीडिया: हिन्दी की समृद्धि की राह । इससे प्रेरणा लेकर हमने भी हिंदी विकिपीडिया को समृद्ध करने का मन बनाया था और शुरुआत भी की थी। लेकिन फ़िर ज्यादा कुछ कर नहीं पाये। केवल एक लेख लिखकर रह गये जिसमें हिंदी विकिपीडिया का मुखपृ्ष्ठ, हिन्दीविकि पर अपना खाता कैसे खोंले और अपना गांव-शहर कैसे जोड़े इससे संबंधित लिंक दी गयीं थीं। इतना योगदान करके हमने हिदी विकिपीडिया को नमस्ते सा कर लिया।
लेकिन सब हम जैसे नहीं हैं। कई लोगों ने अपने योगदान जारी रखे। इनमें प्रमुख नाम पूर्णिमा वर्मन, अनुनाद सिंह, देबाशीष , मितुल आदि के अलावा और बहुत से लोग हैं जिनके बारे में मुझे अच्छी तरह से पता नहीं। पूर्णिमा जी के बारे में मेरा मानना है कि नेट पर अगर हिंदी प्रचार-प्रसार के लिये सबसे अधिक योगदान करने वालों की अगर कोई सूची बनायी जाये तो उनका नाम सबसे ऊपर के लोगों में होगा। विकिपीडिया में महादेवी वर्मा और अन्य साहित्यकारों से जुड़े पेजों की शुरुआत उन्होंने ही की थी। इसके पहले अभिव्यक्ति, अनुभूति (अभि-अनु ) के माध्यम से उन्होंने नेट पर हिन्दी के प्रचार-प्रसार में बहुत काम किया। लेखकों को पहचानकर उनको लिखने के लिये प्रेरित करना और अभि-अनु की निरंतरता बनाये रखना एक अद्भुत काम है जिसे पूर्णिमा जी अपने साथियों के साथ पिछले ग्यारह से अधिक वर्षों से कर रहीं हैं। निरंतर पर लिखे एक लेख में उन्होंने अभि-अनु की शुरुआत और बाद की यात्रा के बारे में जानकारी दी थी।
इसके अलावा उन्मुक्तजी ने एक बार जानकारी दी थी कि वे अपने लेख विकिपीडिया पर डालते रहते हैं। आशीष तो अब शायद विकि के लिये ही लिखते हैं। उनके विज्ञान श्रंखला के जानकारी से भरे-पूरे लेख देखकर बहुत अच्छा लगता है। शुरुआत में आशीष खाली-पीली नाम से ब्लाग से लिखते थे और उनका ब्लाग सबसे लोकप्रिय ब्लागों में से था। अब अपनी कल्लो बेगम का साथ छोड़कर (?) वे पूरी तरह से विज्ञान विश्व के माध्यम से विज्ञान की जानकारी देने वाले लेख लिखने में जुट गये हैं और आज चिट्ठाकार पर Quantum entanglement का हिंदी पर्याय पूछते पाये गये। आशीष का परिचय पाने के लिये देखें- बहुमुखी प्रतिभा वाले हैं झालिया नरेश !
हिन्दी विकि के समाचार बाद के दिनों में देबाशीष से मिलते रहते थे। यह जानकारी भी कि उसमें योगदान देने वालों में भी आपस में विचारधारात्मक द्वंद चलता रहता था। एक विचारधारा के लोग दूसरी सोच के लेखों पर वीटो सरीखा करके अपने मनमाफ़िक जानकारी फ़्रीज कर देते हैं। आदि-इत्यादि। लेकिन यह सहज-स्वाभाविक मानव व्यवहार है। हर जानकारी को लोग अपने चश्मे से हमेशा से देख सकते हैं। यह सब तो तब होगा जब वहां सामग्री होगी। अभी तो सामग्री के लिहाज से बहुत काम बाकी है!
हिन्दी विकिपीडिया का प्रवेशद्वार देखकर लगता है कि इसमें जानकारियां पिछले तीन साल से अपडेट नहीं हो रहीं हैं। वजह इससे जुड़े लोग बता सकें शायद!
हिंदी विकि पर आज तमाम लोग अपना योगदान दे रहे होंगे। हम और आप भी दे सकते हैं।
हिन्दी विकिपीडिया पर लेखों की संख्या एक लाख के पार होना एक खुशी का मौका है। इस प्रयास में योगदान देने वाले लोगों को बधाई!
मौसम नहीं, मन चाहिये!
थककर बैठो नहीं प्रतीक्षा कर रहा कोई कहीं
हारे नहीं जब हौसले
तब कम हुये सब फासले
दूरी कहीं कोई नहीं
केवल समर्पण चाहिये!
हर दर्द झूठा लग रहा सहकर मजा आता नहीं
आंसू वही आंखें वही
कुछ है गलत कुछ है सही
जिसमें नया कुछ दिख सके
वह एक दर्पण चाहिये!
राहें पुरानी पड़ गयीं आखिर मुसाफिर क्या करे!
सम्भोग से सन्यास तक
आवास से आकाश तक
भटके हुये इन्सान को
कुछ और जीवन चाहिये!
कोई न हो जब साथ तो एकान्त को आवाज दें!
इस पार क्या उस पार क्या!
पतवार क्या मंझधार क्या!!
हर प्यास को जो दे डुबा
वह एक सावन चाहिये!
कैसे जियें कैसे मरें यह तो पुरानी बात है!
जो कर सकें आओ करें
बदनामियों से क्यों डरें
जिसमें नियम-संयम न हो
वह प्यार का क्षण चाहिये!
कुछ कर गुजरने के लिये मौसम नहीं मन चाहिये!
-स्व.रमानाथ अवस्थी
हिंदी विकि में लेखों की संख्या एक लाख के पार
By फ़ुरसतिया on September 22, 2011
मितुल ने आज से पांच साल पहले निरंतर पत्रिका के लिये लेख लिखा था – विकिपीडिया: हिन्दी की समृद्धि की राह । इससे प्रेरणा लेकर हमने भी हिंदी विकिपीडिया को समृद्ध करने का मन बनाया था और शुरुआत भी की थी। लेकिन फ़िर ज्यादा कुछ कर नहीं पाये। केवल एक लेख लिखकर रह गये जिसमें हिंदी विकिपीडिया का मुखपृ्ष्ठ, हिन्दीविकि पर अपना खाता कैसे खोंले और अपना गांव-शहर कैसे जोड़े इससे संबंधित लिंक दी गयीं थीं। इतना योगदान करके हमने हिदी विकिपीडिया को नमस्ते सा कर लिया।
लेकिन सब हम जैसे नहीं हैं। कई लोगों ने अपने योगदान जारी रखे। इनमें प्रमुख नाम पूर्णिमा वर्मन, अनुनाद सिंह, देबाशीष , मितुल आदि के अलावा और बहुत से लोग हैं जिनके बारे में मुझे अच्छी तरह से पता नहीं। पूर्णिमा जी के बारे में मेरा मानना है कि नेट पर अगर हिंदी प्रचार-प्रसार के लिये सबसे अधिक योगदान करने वालों की अगर कोई सूची बनायी जाये तो उनका नाम सबसे ऊपर के लोगों में होगा। विकिपीडिया में महादेवी वर्मा और अन्य साहित्यकारों से जुड़े पेजों की शुरुआत उन्होंने ही की थी। इसके पहले अभिव्यक्ति, अनुभूति (अभि-अनु ) के माध्यम से उन्होंने नेट पर हिन्दी के प्रचार-प्रसार में बहुत काम किया। लेखकों को पहचानकर उनको लिखने के लिये प्रेरित करना और अभि-अनु की निरंतरता बनाये रखना एक अद्भुत काम है जिसे पूर्णिमा जी अपने साथियों के साथ पिछले ग्यारह से अधिक वर्षों से कर रहीं हैं। निरंतर पर लिखे एक लेख में उन्होंने अभि-अनु की शुरुआत और बाद की यात्रा के बारे में जानकारी दी थी।
इसके अलावा उन्मुक्तजी ने एक बार जानकारी दी थी कि वे अपने लेख विकिपीडिया पर डालते रहते हैं। आशीष तो अब शायद विकि के लिये ही लिखते हैं। उनके विज्ञान श्रंखला के जानकारी से भरे-पूरे लेख देखकर बहुत अच्छा लगता है। शुरुआत में आशीष खाली-पीली नाम से ब्लाग से लिखते थे और उनका ब्लाग सबसे लोकप्रिय ब्लागों में से था। अब अपनी कल्लो बेगम का साथ छोड़कर (?) वे पूरी तरह से विज्ञान विश्व के माध्यम से विज्ञान की जानकारी देने वाले लेख लिखने में जुट गये हैं और आज चिट्ठाकार पर Quantum entanglement का हिंदी पर्याय पूछते पाये गये। आशीष का परिचय पाने के लिये देखें- बहुमुखी प्रतिभा वाले हैं झालिया नरेश !
हिन्दी विकि के समाचार बाद के दिनों में देबाशीष से मिलते रहते थे। यह जानकारी भी कि उसमें योगदान देने वालों में भी आपस में विचारधारात्मक द्वंद चलता रहता था। एक विचारधारा के लोग दूसरी सोच के लेखों पर वीटो सरीखा करके अपने मनमाफ़िक जानकारी फ़्रीज कर देते हैं। आदि-इत्यादि। लेकिन यह सहज-स्वाभाविक मानव व्यवहार है। हर जानकारी को लोग अपने चश्मे से हमेशा से देख सकते हैं। यह सब तो तब होगा जब वहां सामग्री होगी। अभी तो सामग्री के लिहाज से बहुत काम बाकी है!
हिन्दी विकिपीडिया का प्रवेशद्वार देखकर लगता है कि इसमें जानकारियां पिछले तीन साल से अपडेट नहीं हो रहीं हैं। वजह इससे जुड़े लोग बता सकें शायद!
हिंदी विकि पर आज तमाम लोग अपना योगदान दे रहे होंगे। हम और आप भी दे सकते हैं।
हिन्दी विकिपीडिया पर लेखों की संख्या एक लाख के पार होना एक खुशी का मौका है। इस प्रयास में योगदान देने वाले लोगों को बधाई!
संबंधित लेख:
विकिपीडिया और उसकी प्रकृति के बारे में और जानकारी के लिये देबाशीष का यह लेख भी देखें: दस चीजें जो विकिपीडिया नहीं हैमेरी पसंद
कुछ कर गुजरने के लियेमौसम नहीं, मन चाहिये!
थककर बैठो नहीं प्रतीक्षा कर रहा कोई कहीं
हारे नहीं जब हौसले
तब कम हुये सब फासले
दूरी कहीं कोई नहीं
केवल समर्पण चाहिये!
हर दर्द झूठा लग रहा सहकर मजा आता नहीं
आंसू वही आंखें वही
कुछ है गलत कुछ है सही
जिसमें नया कुछ दिख सके
वह एक दर्पण चाहिये!
राहें पुरानी पड़ गयीं आखिर मुसाफिर क्या करे!
सम्भोग से सन्यास तक
आवास से आकाश तक
भटके हुये इन्सान को
कुछ और जीवन चाहिये!
कोई न हो जब साथ तो एकान्त को आवाज दें!
इस पार क्या उस पार क्या!
पतवार क्या मंझधार क्या!!
हर प्यास को जो दे डुबा
वह एक सावन चाहिये!
कैसे जियें कैसे मरें यह तो पुरानी बात है!
जो कर सकें आओ करें
बदनामियों से क्यों डरें
जिसमें नियम-संयम न हो
वह प्यार का क्षण चाहिये!
कुछ कर गुजरने के लिये मौसम नहीं मन चाहिये!
-स्व.रमानाथ अवस्थी
Posted in लेख | 37 Responses
आभार आपका !
सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..वेदना -सतीश सक्सेना
यह जानकर खुशी और आश्चर्य भी हुआ कि आपकी रुचि पंगेबाजी से हटकर लिखे लेखों में भी है। इस तरह के लेखों में धोती खोलने का रिवाज अभी नहीं है। आगे आपके आग्रह पर शायद यह चलन भी शुरु हो!
शुक्रिया आपकी प्रतिक्रिया के लिये।
सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..वेदना -सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..वेदना -सतीश सक्सेना
सही है! शुरु कीजिये मजा आयेगा। शुरुआत आप अपने शहर , पेशे और रुचि से जुड़ी चीजों के बारे में लिखकर कर सकते हैं। शुभकामनायें आपको।
मनोज कुमार की हालिया प्रविष्टी..अस्पताल में नर्स का काम
सही में ऐसे लोग नमन करने लायक हैं। आपका अपने ब्लाग पर राजभाषा हिंदी के लिये किया जा रहा प्रयास और गांधीजी पर किया जा रहा काम भी इसी श्रेणी का काम है।
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..क्या हुआ तेरा वादा ?
आप भी जुडिये कारवां में! रेलवे से जुड़ी जानकारी डालिये विकि पर!
आशीष ‘झालिया नरेश’ विज्ञान विश्व वाले की हालिया प्रविष्टी..टेलीपोर्टेशन : विज्ञान फंतासी कथाओं मे विज्ञान
सही है। लेकिन तुम्हारा विज्ञान विश्व पर किया जा रहा काम अद्भुत है। लगे रहो। लेकिन खाली-पीली लेख भी लिखते रहो! यह भी जरूरी है ताजगी के लिये।
शुक्रिया आपकी प्रतिक्रिया के लिये !
रमानाथ अवस्थी के बारे में लिखा एक लेख यह भी देखिये:
http://hindini.com/fursatiya/archives/६४
और इसमें सुनिये उनकी एक अद्भुत कविता उनकी ही आवाज में
http://hindini.com/fursatiya/archives/1343
सही है। आप विकि में अपने विभाग से जुड़ी तकनीकी जानकारियां, अपने शहर के बारे में डालना शुरु कर दीजिये। आपकी देखा देखी हम भी और कुछ करेंगे।
लिंकों तक जा-जाकर देखने फिर आउँगा। इस प्रेरक-कार्य की चर्चा के लिये आपको साधुवाद।
अमरेन्द्र अवधिया की हालिया प्रविष्टी..दिल्ली के दरबार कै अब हम का बिस्वास करी ? (कवि अउर कंठ : समीर शुक्ल)
ashish की हालिया प्रविष्टी..मै लिख़ नहीं सकता
आपके ब्लॉग पर सब टिप्पणीकारों की ताजा प्रविष्टि दिखती है, मेरी क्यों नहीं दिखती गुरुवर…
जय हिंद…
ऐंवेयी समझ रखा है चेलो ने …:-)
गुरु ने तुम्हारा लिंक गायब कर दिया देख लो
सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..वेदना -सतीश सक्सेना
Abhishek की हालिया प्रविष्टी..हर तरह का पब्लिक है ! (पटना ४)
आपने ठीक कहा है…अपने आसपास के शहर के बारे में वहां जानकारी जमा करनी चाहिए. लेख के लिए धन्यवाद…ऐसे आँख खोलने वाले पोस्ट्स बेहद जरूरी हैं.
पूजा उपाध्याय की हालिया प्रविष्टी..कुछ अच्छे लोग जो मेरी जिंदगी में हैं…
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..नीतीश कुमार के ब्लॉग से गायब कर दी गई मेरी टिप्पणी (हिन्दी दिवस आयोजन से लौटकर)
shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..कुछ पल.
@.प्रशंसनीय कार्य . कुछ खुराफात अच्छी होती है . (बतर्ज कुछ दाग अच्छे होते है )…………………इस लाइन के लिए आशीषजी को आशीष मिले…………
प्रणाम
विकिपीडिया पर मैं ने भी कई लेख डाले हुए हैं…
जब भी समय मिलेगा तो अन्य लेख भी वहाँ पोस्ट करूँगी..
मैंने पहले लेख विवकिपीडिया पर डाले थे। इधर समयाभाव के कारण यह नहीं हो पा रहा है। देखियो फिर कब शुरू कर पाता हूं।
उन्मुक्त की हालिया प्रविष्टी..The file ‘Understand infinity – be close to God’ was added by unmukt
बहुत बहुत आभार…
Ranjana की हालिया प्रविष्टी..माँ सी…
रमानाथजी की कविता को हमने आपकी तरफ से ही माना है !इस पोस्ट में वह फुरसतिया अंदाज़ गायब रहा !
संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..हमने तो बस गरल पिया है !
Dr.ManojMishra की हालिया प्रविष्टी..क्या ऐसे ही हम 2020 तक महाशक्ति बनेंगे ? (३)
वास्तव में यह एक प्रेरक पोस्ट है.. हम भी चेष्टा करते हैं ! हमने तो हिन्दी दिवस पर अपने वक्तव्य रखते हुए सम्पूर्ण ईमानदारी से यूनिकोड का आभार व्यक्त किया जिसने हमारी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी!!
सलिल वर्मा – चैतन्य आलोक की हालिया प्रविष्टी..बधाई!!
Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..डेढ़ऊ बनाम ओरल केंसर
चंद्र मौलेश्वर की हालिया प्रविष्टी..एक समीक्षा
SHARAD KOKAS की हालिया प्रविष्टी..रेल्वे स्टेशन पर एक भिखारी
वर्तमान में विकिपीडिया पर मयूर कुमार तथा आशीष भटनागर दो सबसे सक्रिय व्यक्ति हैं। लेकिन विकि के सबसे समर्पित सिपाही अनुनाद जी हैं जो विकि के शुरुआती समय से अब तक सक्रिय हैं और शायद हमेशा रहेंगे। उनकी निरन्तरता का मैं कायल हूँ। विकि पर समय-समय पर बहुत लोग आते हैं, अच्छा काम करते हैं पर एक बार जोश उतर जाने पर या किसी कारण से चले जाने पर दोबारा वापस नहीं आ पाते। इसलिये मैं अनुनाद जी को उनकी विकिपीडिया के प्रति लगन और समर्पण के लिये नमन करता हूँ।
ePandit की हालिया प्रविष्टी..मॅक्टिनी – दुनिया का सबसे छोटा कम्प्यूटर [वीडियो]