Thursday, September 22, 2011

हिंदी विकि में लेखों की संख्या एक लाख के पार

http://web.archive.org/web/20140419213531/http://hindini.com/fursatiya/archives/2212

हिंदी विकि में लेखों की संख्या एक लाख के पार

हिंदी विकिपीडिया
कुछ दिन पहले मितुल ने बताया कि हिंदी विकिपीडिया के लेखों की संख्या एक लाख से अधिक हो गयी है। मितुल चिट्ठों की दुनिया से जुड़े हैं। लेकिन शायद उन्होंने अपना ब्लाग आजतक नहीं बनाया। [मितुल का परिचय यहां देखें। ] शुरुआती दिनों में चिट्ठों पर मितुल की टिप्पणियां दिखतीं थीं लेकिन इधर काफ़ी दिनों से कम दिखीं। लेकिन हिंदी विकिपीडिया से वे जुड़े रहे। उन्होंने जब यह सूचना दी कि हिंदी विकिपीडिया के चिट्ठों की संख्या एक लाख के पार हो गयी तो बहुत खुशी हुई।
मितुल ने आज से पांच साल पहले निरंतर पत्रिका के लिये लेख लिखा था – विकिपीडिया: हिन्दी की समृद्धि की राह । इससे प्रेरणा लेकर हमने भी हिंदी विकिपीडिया को समृद्ध करने का मन बनाया था और शुरुआत भी की थी। लेकिन फ़िर ज्यादा कुछ कर नहीं पाये। केवल एक लेख लिखकर रह गये जिसमें हिंदी विकिपीडिया का मुखपृ्ष्ठ, हिन्दीविकि पर अपना खाता कैसे खोंले और अपना गांव-शहर कैसे जोड़े इससे संबंधित लिंक दी गयीं थीं। इतना योगदान करके हमने हिदी विकिपीडिया को नमस्ते सा कर लिया।
लेकिन सब हम जैसे नहीं हैं। कई लोगों ने अपने योगदान जारी रखे। इनमें प्रमुख नाम पूर्णिमा वर्मन, अनुनाद सिंह, देबाशीष , मितुल आदि के अलावा और बहुत से लोग हैं जिनके बारे में मुझे अच्छी तरह से पता नहीं। पूर्णिमा जी के बारे में मेरा मानना है कि नेट पर अगर हिंदी प्रचार-प्रसार के लिये सबसे अधिक योगदान करने वालों की अगर कोई सूची बनायी जाये तो उनका नाम सबसे ऊपर के लोगों में होगा। विकिपीडिया में महादेवी वर्मा और अन्य साहित्यकारों से जुड़े पेजों की शुरुआत उन्होंने ही की थी। इसके पहले अभिव्यक्ति, अनुभूति (अभि-अनु ) के माध्यम से उन्होंने नेट पर हिन्दी के प्रचार-प्रसार में बहुत काम किया। लेखकों को पहचानकर उनको लिखने के लिये प्रेरित करना और अभि-अनु की निरंतरता बनाये रखना एक अद्भुत काम है जिसे पूर्णिमा जी अपने साथियों के साथ पिछले ग्यारह से अधिक वर्षों से कर रहीं हैं। निरंतर पर लिखे एक लेख में उन्होंने अभि-अनु की शुरुआत और बाद की यात्रा के बारे में जानकारी दी थी।
इसके अलावा उन्मुक्तजी ने एक बार जानकारी दी थी कि वे अपने लेख विकिपीडिया पर डालते रहते हैं। आशीष तो अब शायद विकि के लिये ही लिखते हैं। उनके विज्ञान श्रंखला के जानकारी से भरे-पूरे लेख देखकर बहुत अच्छा लगता है। शुरुआत में आशीष खाली-पीली नाम से ब्लाग से लिखते थे और उनका ब्लाग सबसे लोकप्रिय ब्लागों में से था। अब अपनी कल्लो बेगम का साथ छोड़कर (?) वे पूरी तरह से विज्ञान विश्व के माध्यम से विज्ञान की जानकारी देने वाले लेख लिखने में जुट गये हैं और आज चिट्ठाकार पर Quantum entanglement का हिंदी पर्याय पूछते पाये गये। आशीष का परिचय पाने के लिये देखें- बहुमुखी प्रतिभा वाले हैं झालिया नरेश !
हिन्दी विकि के समाचार बाद के दिनों में देबाशीष से मिलते रहते थे। यह जानकारी भी कि उसमें योगदान देने वालों में भी आपस में विचारधारात्मक द्वंद चलता रहता था। एक विचारधारा के लोग दूसरी सोच के लेखों पर वीटो सरीखा करके अपने मनमाफ़िक जानकारी फ़्रीज कर देते हैं। आदि-इत्यादि। लेकिन यह सहज-स्वाभाविक मानव व्यवहार है। हर जानकारी को लोग अपने चश्मे से हमेशा से देख सकते हैं। यह सब तो तब होगा जब वहां सामग्री होगी। अभी तो सामग्री के लिहाज से बहुत काम बाकी है!
हिन्दी विकिपीडिया का प्रवेशद्वार देखकर लगता है कि इसमें जानकारियां पिछले तीन साल से अपडेट नहीं हो रहीं हैं। वजह इससे जुड़े लोग बता सकें शायद!
हिंदी विकि पर आज तमाम लोग अपना योगदान दे रहे होंगे। हम और आप भी दे सकते हैं।
हिन्दी विकिपीडिया पर लेखों की संख्या एक लाख के पार होना एक खुशी का मौका है। इस प्रयास में योगदान देने वाले लोगों को बधाई!

संबंधित लेख:

विकिपीडिया और उसकी प्रकृति के बारे में और जानकारी के लिये देबाशीष का यह लेख भी देखें: दस चीजें जो विकिपीडिया नहीं है

मेरी पसंद

कुछ कर गुजरने के लिये
मौसम नहीं, मन चाहिये!
थककर बैठो नहीं प्रतीक्षा कर रहा कोई कहीं
हारे नहीं जब हौसले
तब कम हुये सब फासले
दूरी कहीं कोई नहीं
केवल समर्पण चाहिये!
हर दर्द झूठा लग रहा सहकर मजा आता नहीं
आंसू वही आंखें वही
कुछ है गलत कुछ है सही
जिसमें नया कुछ दिख सके
वह एक दर्पण चाहिये!
राहें पुरानी पड़ गयीं आखिर मुसाफिर क्या करे!
सम्भोग से सन्यास तक
आवास से आकाश तक
भटके हुये इन्सान को
कुछ और जीवन चाहिये!
कोई न हो जब साथ तो एकान्त को आवाज दें!
इस पार क्या उस पार क्या!
पतवार क्या मंझधार क्या!!
हर प्यास को जो दे डुबा
वह एक सावन चाहिये!
कैसे जियें कैसे मरें यह तो पुरानी बात है!
जो कर सकें आओ करें
बदनामियों से क्यों डरें
जिसमें नियम-संयम न हो
वह प्यार का क्षण चाहिये!
कुछ कर गुजरने के लिये मौसम नहीं मन चाहिये!
-स्व.रमानाथ अवस्थी

37 responses to “हिंदी विकि में लेखों की संख्या एक लाख के पार”

  1. सतीश सक्सेना
    पंगेबाजी से हटकर लिखा गया एक बेहद आवश्यक लेख , शुक्र है आज किसी की धोती खोलने की हुड़क नहीं आई अनूप भाई !
    आभार आपका !
    सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..वेदना -सतीश सक्सेना
  2. सतीश सक्सेना
    विकी पर मैंने भी आप जितना लिखने का प्रयास किया था ! अब आपके दिए लिंक्स को पढ़कर दुबारा कोशिश करूंगा !
    सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..वेदना -सतीश सक्सेना
  3. मनोज कुमार
    वाह! बहुत प्रेरित करने वाली बाते हैं। इन लोगों को नमन जो निःस्वार्थ भाव से हिन्दी के प्रचार-प्रसार में लगे हैं।
    मनोज कुमार की हालिया प्रविष्टी..अस्पताल में नर्स का काम
  4. प्रवीण पाण्डेय
    कारवाँ यूँ ही बढ़ता रहे।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..क्या हुआ तेरा वादा ?
  5. आशीष 'झालिया नरेश' विज्ञान विश्व वाले
    नहीं जी, अभी तक हमने ज्यादा कुछ नहीं किया है! हिन्दी वीकी के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। वीकी से मै जितना लेता हूं उसका १% भी वापिस कर दिया तो बहुत है!
    आशीष ‘झालिया नरेश’ विज्ञान विश्व वाले की हालिया प्रविष्टी..टेलीपोर्टेशन : विज्ञान फंतासी कथाओं मे विज्ञान
  6. देवेन्द्र पाण्डेय
    ज्ञान बढ़ाती पोस्ट के लिए आभार। स्व० रमानाथ अवस्थी की कविता तो मंत्र की तरह सहेजने लायक है।
  7. घनश्‍याम मौर्य
    हिंदी विकीपीडिया का उपयोग जानकारी प्राप्‍त करने में तो किया है, किन्‍तु आज तक मैनें अपनी ओर से इसमें कोई योगदान नहीं किया। आपका लेख पढ़कर प्रेरणा मिली है कुछ करने की।
  8. अमरेन्द्र अवधिया
    इस उपयोगी आलेख के लिये आभार।
    लिंकों तक जा-जाकर देखने फिर आउँगा। इस प्रेरक-कार्य की चर्चा के लिये आपको साधुवाद।
    अमरेन्द्र अवधिया की हालिया प्रविष्टी..दिल्ली के दरबार कै अब हम का बिस्वास करी ? (कवि अउर कंठ : समीर शुक्ल)
  9. ashish
    प्रशंसनीय कार्य . कुछ खुराफात अच्छी होती है . (बतर्ज कुछ दाग अच्छे होते है )
    ashish की हालिया प्रविष्टी..मै लिख़ नहीं सकता
  10. Khushdeep Sehgal
    क्या मौज शीर्षक के तहत भी कुछ किया जा सकता है…
    आपके ब्लॉग पर सब टिप्पणीकारों की ताजा प्रविष्टि दिखती है, मेरी क्यों नहीं दिखती गुरुवर…
    जय हिंद…
    1. सतीश सक्सेना
      ट्रेड सीक्रेट है गुरु का …..
      ऐंवेयी समझ रखा है चेलो ने …:-)
      गुरु ने तुम्हारा लिंक गायब कर दिया देख लो :-)
      सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..वेदना -सतीश सक्सेना
  11. Abhishek
    बहुत बढ़िया काम है जी ये तो. निःस्वार्थ – पुण्य का काम कर रहे हैं ये लोग.
    Abhishek की हालिया प्रविष्टी..हर तरह का पब्लिक है ! (पटना ४)
  12. पूजा उपाध्याय
    विकी सतत प्रयासों से ही दिन प्रतिदिन जानकारी का खजाना बनती जा रही है. मैंने एक बार उसमें कुछ लिखने की कोशिश की थी…पर उस वक़्त प्रक्रिया कुछ लम्बी थी शायद…तो कर नहीं पायी. वैसे हिंदी विकी का इस्तेमाल कम ही करती हूँ…मगर ऐसी कई चीज़ें हैं जो हिंदी में भी उपलब्ध होनी चाहिए.
    आपने ठीक कहा है…अपने आसपास के शहर के बारे में वहां जानकारी जमा करनी चाहिए. लेख के लिए धन्यवाद…ऐसे आँख खोलने वाले पोस्ट्स बेहद जरूरी हैं.
    पूजा उपाध्याय की हालिया प्रविष्टी..कुछ अच्छे लोग जो मेरी जिंदगी में हैं…
  13. चंदन कुमार मिश्र
    आप भी अजीब आदमी हैं। एक लेख पढ़ने में इतने लिंक मिले कि, अब लगता है कि पूरा दिन पढ़ना ही होगा। और आज तो जवाब भी अधिकांश टिप्पणीकारों को दिया है। दस प्रतिशत वाली बात अच्छी लगी। अभी तो नहीं लेकिन प्रयास करेंगे।
    चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..नीतीश कुमार के ब्लॉग से गायब कर दी गई मेरी टिप्पणी (हिन्दी दिवस आयोजन से लौटकर)
  14. shikha varshney
    अच्छा लगता है निस्वार्थ हिंदी के लिए कुछ होता देखकर.
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..कुछ पल.
  15. eklavya
    वैरी गुड ……………. फॉर अ चेंज…………….
    @.प्रशंसनीय कार्य . कुछ खुराफात अच्छी होती है . (बतर्ज कुछ दाग अच्छे होते है )…………………इस लाइन के लिए आशीषजी को आशीष मिले…………
    प्रणाम
  16. अल्पना
    बहुत अच्छी खबर है.
    विकिपीडिया पर मैं ने भी कई लेख डाले हुए हैं…
    जब भी समय मिलेगा तो अन्य लेख भी वहाँ पोस्ट करूँगी..
  17. उन्मुक्त
    यह जान कर अच्छा लगा कि हिन्दी विकिपीडिया के लेख १ लाख से ऊपर हो गये हैं।
    मैंने पहले लेख विवकिपीडिया पर डाले थे। इधर समयाभाव के कारण यह नहीं हो पा रहा है। देखियो फिर कब शुरू कर पाता हूं।
    उन्मुक्त की हालिया प्रविष्टी..The file ‘Understand infinity – be close to God’ was added by unmukt
  18. Ranjana
    एकदम नयी और नायाब जानकारी रही यह हमारे लिए….
    बहुत बहुत आभार…
    Ranjana की हालिया प्रविष्टी..माँ सी…
  19. संतोष त्रिवेदी
    हिंदी विकिपीडिया के बारे में सुना है,दो-एक बार गए भी ,पर अभी पूरी तरह रमे नहीं हैं.अब शायद चिपक पाऊंगा.
    रमानाथजी की कविता को हमने आपकी तरफ से ही माना है !इस पोस्ट में वह फुरसतिया अंदाज़ गायब रहा !
    संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..हमने तो बस गरल पिया है !
  20. Dr.ManojMishra
    ई पोस्ट बहुते बढिया लगी.
    Dr.ManojMishra की हालिया प्रविष्टी..क्या ऐसे ही हम 2020 तक महाशक्ति बनेंगे ? (३)
  21. ….ब्लागरों की वर्षगांठों के बहाने चर्चा : चिट्ठा चर्चा
    [...] के बारे में प्रतिक्रिया देते अपनी एक पोस्ट लिखा था : मनोज कुमार, सही में ऐसे लोग [...]
  22. सलिल वर्मा - चैतन्य आलोक
    अनूप जी!
    वास्तव में यह एक प्रेरक पोस्ट है.. हम भी चेष्टा करते हैं ! हमने तो हिन्दी दिवस पर अपने वक्तव्य रखते हुए सम्पूर्ण ईमानदारी से यूनिकोड का आभार व्यक्त किया जिसने हमारी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी!!
    सलिल वर्मा – चैतन्य आलोक की हालिया प्रविष्टी..बधाई!!
  23. Gyandutt Pandey
    अभी जरा सुस्ता लें। फिर विकी को रुख करेंगे!
    Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..डेढ़ऊ बनाम ओरल केंसर
  24. चंद्र मौलेश्वर
    हिंदी विक्की को एक लाख पोस्ट की बधाई। विकी, कविताकोश, गद्यकोश… अपना ब्लाग… कहां कहां लिखें :)
    चंद्र मौलेश्वर की हालिया प्रविष्टी..एक समीक्षा
  25. SHARAD KOKAS
    अवस्थी जी का गीत पढ़कर अच्छा लगा ।
    SHARAD KOKAS की हालिया प्रविष्टी..रेल्वे स्टेशन पर एक भिखारी
  26. ePandit
    आपके बताये नाम असामयिक हैं। मितुल विकिपीडिया के संस्थापकों में से एक थे लेकिन उन्हें वहाँ से गये अरसा हो चुका है, देवाशीष जी भी बहुत पहले जा चुके हैं, उन्मुक्त जी ने भी पहले कुछ लेख लिखे थे परन्तु ज्यादा समय उनका काम जारी नहीं रहा। पूर्णिमा जी ने लम्बे समय तक बहुत योगदान दिया, एक विवाद के चलते वे जो गयीं तो लौटी नहीं। हमने भी विकिपीडिया पर अच्छी पारी खेली पर अपने औजारों के विकास के लिये जो अवकाश लिया था तो दोबारा काम पर लौट नहीं सके।
    वर्तमान में विकिपीडिया पर मयूर कुमार तथा आशीष भटनागर दो सबसे सक्रिय व्यक्ति हैं। लेकिन विकि के सबसे समर्पित सिपाही अनुनाद जी हैं जो विकि के शुरुआती समय से अब तक सक्रिय हैं और शायद हमेशा रहेंगे। उनकी निरन्तरता का मैं कायल हूँ। विकि पर समय-समय पर बहुत लोग आते हैं, अच्छा काम करते हैं पर एक बार जोश उतर जाने पर या किसी कारण से चले जाने पर दोबारा वापस नहीं आ पाते। इसलिये मैं अनुनाद जी को उनकी विकिपीडिया के प्रति लगन और समर्पण के लिये नमन करता हूँ।
    ePandit की हालिया प्रविष्टी..मॅक्टिनी – दुनिया का सबसे छोटा कम्प्यूटर [वीडियो]
  27. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] [...]
  28. CAPTAIN RAJ
    हिंदी हम्मरी रास्ट्र भासा हई हिंदी वह भासा हई जो सब को एक धागा में बाद कर रखता ह : कैप्टेन rk

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