शायर दोस्त मिले हैं, एक लम्बे समय के बाद
कर रहे हैं हिसाब अपने मुकर्रर औ इरशाद का।
पच्चीस मुकर्रर औ तीस दाद का कुछ भी पता नहीं,
शायर टटोल रहे हैं, एक दूसरे को शक की निगाह से।
कर रहे हैं हिसाब अपने मुकर्रर औ इरशाद का।
पच्चीस मुकर्रर औ तीस दाद का कुछ भी पता नहीं,
शायर टटोल रहे हैं, एक दूसरे को शक की निगाह से।
जब मिला न हिसाब तो अपनी गजले निकाल ली,
सुना रहे हैं आपस में ,औ जोड़ रहे हैं मुकर्रर, इरशाद।
-कट्टा कानपुरी
सुना रहे हैं आपस में ,औ जोड़ रहे हैं मुकर्रर, इरशाद।
-कट्टा कानपुरी
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