Thursday, September 15, 2011

इसमें साजिश है रकीबों की

पिट चुका है कई बार वो उठाईगिरी के चक्कर में ,
हर बार कहा उसने, इसमें साजिश है रकीबों की।

कुछ ज्यादा ही कड़ा होता है इम्तहान मोहब्बत का,
ऐन इम्तहान के पहले सिलेबस बदल जाता है।

मोहब्बत के न जाने कितने इम्तहान हुये मेरे
हर बार सुना परचा आउट था इम्तहान दुबारा होगा।

पीटा मुझे बे- बात के तेरे मोहल्ले वालों ने,
तू कहे हो तो इसे मोहब्बत के खाते में चढ़ा लूं!

-कट्टा कानपुरी 


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