केबिन में साहब से डंटकर ,वे बाहर निकले औ बोले!
आज बॉस को कस के रगड़ा, घंटे भर काम करा लिया।
दबोच लिया अंधेरे में, सीने से कट्टा सटा दिया,
दांत पीसकर गुर्राया - खामोशी से शेर सुन, दाद दे।
वे जा घुसे घर में, अंदर से ताला भी लगा लिया,
हकलाते हुये ललकारा -हिम्मत है तो बाहर आ !
तुमसे बि्छुड़कर मर जायेंगे- कहने में डर लगता है
अंदर हो जायेंगे कोशिश-ए- खुदकशी के इल्जाम में।
सुबह से मेरी तारीफ़ों के पुल उसने बांध रखे हैं
इतना उतर गये हैं उसकी निगाह में हम!
एक ही बात पर सौ बार वो रूठा , खुश हुआ,
उसके स्टेटस को सौ बार लाइक /अनलाइक किया।
वो प्यार का भरोसा कुछ इस तरह दिलाता है
जैसे कोई ग्वाला दूध में पानी मिलाता है।
-कट्टा कानपुरी
आज बॉस को कस के रगड़ा, घंटे भर काम करा लिया।
दबोच लिया अंधेरे में, सीने से कट्टा सटा दिया,
दांत पीसकर गुर्राया - खामोशी से शेर सुन, दाद दे।
वे जा घुसे घर में, अंदर से ताला भी लगा लिया,
हकलाते हुये ललकारा -हिम्मत है तो बाहर आ !
तुमसे बि्छुड़कर मर जायेंगे- कहने में डर लगता है
अंदर हो जायेंगे कोशिश-ए- खुदकशी के इल्जाम में।
सुबह से मेरी तारीफ़ों के पुल उसने बांध रखे हैं
इतना उतर गये हैं उसकी निगाह में हम!
एक ही बात पर सौ बार वो रूठा , खुश हुआ,
उसके स्टेटस को सौ बार लाइक /अनलाइक किया।
वो प्यार का भरोसा कुछ इस तरह दिलाता है
जैसे कोई ग्वाला दूध में पानी मिलाता है।
-कट्टा कानपुरी
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