http://web.archive.org/web/20140419213656/http://hindini.com/fursatiya/archives/644
फ़टाफ़ट क्रिकेट और चीयरबालायें
By फ़ुरसतिया on May 25, 2009
[आई.पी.एल.-२ निपट चुका है। पिछली बार की फ़िसड्डी टीमें फ़ाइनल में
भिड़ीं। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि अगली बार शाहरुख खान फ़ाइनल में
हलकान दिखेंगे। हमने भी क्रिकेट मैच देखे कुछ। हमारे मैच देखने का कारण
जितना मैच के खिलाड़ी रहे चीयरबालायें उससे कम नहीं रहीं। जिस तरह से आज
फ़टाफ़ट क्रिकेट में चीयरबालायें अपरिहार्य सी हो गयी हैं और क्रिकेट का मतलब
तीन घंटे की मौज उससे यह असंभव नहीं कि आगे कभी क्रिकेट खिलाड़ी दूसरे नंबर
पर आ जायें और चीयरबालायें प्रमुखता हासिल कर लें। दो साल पहले लिखा यह लेख इसी बहाने दुबारा ठेला जा रहा है। न पढ़ा हो पढ़ लीजियेगा। वैसे दुबारा पढ़ने में भी कोई मनाही थोड़ी है। ]
लेकिन आलोक पुराणिक का मानना है कि बिना चीयरलीडरानियों के गाड़ी बहुत दिन तक खिंचेगी नहीं।
अगर लगातार जीतना है तो चीयरलीडरानियों की सेवा लेनी ही पड़ेगी।
अब ये कह रहे हैं तो मानना ही पड़ेगा और आज नहीं तो कल मैच के लिये चीयरलीडरानियां अपरिहार्य हो जायेंगी।
उनका रूप कैसा होगा हमें पता नहीं लेकिन हमें कल्पना के घोड़े दौडाने से कौन रोक सकता है।
किसी क्रिकेट मैच के पहले टीम की घोषणा होगी तो आलोक पुराणिक की पार्टी के लोग कहेंगे- हमें खिलाड़ी में इंटरेस्ट नहीं है। चाहे पोवार को लो या हरभजन को।हमें ये बताओ कि चीयर कौन करेगा? कायदे का चीयर न हुआ तो समझ लो गया मैच हाथ से।
क्रिकेट की कमेंट्री के साथ-साथ चीयरलीडरानियों की भी कमेंट्री होने लगे शायद। कमेंट्रटर चीयरिंग अप का आंखो देखा हाल सुनाते हुये बोले-
अब मैच शुरू होने वाला है। गेंदबाज रन अप पर। बल्लेबाज क्रीज पर।
चीयरलीडरानियां तैयार। चीयरलीडरानियों के वर्णन के लिये रीतिकाल विशेषज्ञ
आने ही वाले हैं। तब तक हम शुरू होते हैं।
चीयर बाला ने तीन ठुमके बायीं तरफ़ की पब्लिक की तरफ़ लगाये। जनता चौथे
ठुमके की आशा में थी लेकिन उसने चौथा बार रिवर्स ठुमका लगा दिया है और ये
दायीं तरफ़ की जनता के कलेजे के पार।
ये बहुत सीनियर चीयरबाला हैं। सालों तक क्रिकेट की सेवा की है। कई बार
इनके उत्साही ठुमकों कारण क्रिकेट की टीम बची है। कभी-कभी लोग कहने लगते
हैं कि इनको जो करना था कर चुकीं लेकिन अभी भी इनके अन्दर दो तीन साल के
ठुमके बचे हुये हैं। जब जरूरत नहीं होती तब वे अपना शानदार ‘चीयर’ निकाल के सामने दिखा देती हैं।
युवराज सिंह बल्लेबाजी ठीक से कर नहीं पा रहे हैं। उन्होंने
चीयरलीडरानियों के कप्तान को इशारा को किया है। चीयरबालाओं का स्थान
परिवर्तन हो रहा है। वही कम्बीनेशन जमा दिया गया है जिसको देखते हुये
पिछ्ले मैच में उन्होंने धुआंधार बल्लेबाजी की थी। और ये छ्क्का।
पहला पावर प्ले शुरू होने वाला है। युवा चीयरबालाऒं को स्टैंड के सामने
से हटाकार ठीक बैटसमैन के सामने लगा दिया गया है। बल्लेबाज को बहुत सावधान
होकर खेलना होगा। जरा सी चूक होते ही वे विकेट के नजदीक से हटकर चीयरबाला
के नजदीक से होते हुये पवेलियन तक् तक जा सकते हैं।
चीयरबालाओं के चेहरे पर आत्मविश्वास। पिछला मैच उन्होंने जो कि भारत की
टीम लगभग हार चुकी थी केवल अपनी चीयरिंग से जितवा दिया था। उनको देखकर
खिलाडियों की सांसे सेन्सेक्स की तरह ऊपर-नीचे हो रही हैं।
ये एकदम साफ़ मामला था। अम्पायर एकदम पास में खड़े थे।लेकिन चूंकि उनका
ध्यान चीयरग्रुप की तरफ़ था इसलिये वे खेल को देख नहीं पाये। उन्होंने तीसरे
अम्पायर की सेवा लेने का फ़ैसला लिया है। लेकिन अफ़सोस कि वहां से भी कुछ
पता नहीं चला पाया क्योंकि सभी कैमरे भी चीयरग्रुप के ऊपर लगे हुये थे।
आखिर में दोनों कप्तानों की सहमति से खिलाड़ी के आउट/नाटआउट होने का निर्णय
टास उछाल कर किया जा रहा है।
आउट होने पर खिलाड़ी उछलता हुआ बाहर चला जायेगा। आने वाले खिलाड़ी का मुंह लटका होगा। उसकी चीयर-चेन जो टूट गयी है।
चीयरबालाओं की तर्ज पर महिला खिलाडियों के मैच में चीयरबालकों की मांग होगी। कुछ दिन में मिक्स चीयरग्रुप होंगे।
तब मजे रहेंगे। बारिश के कारण मैच रद्द हो जायेगा लेकिन चीयरग्रुप का कार्यक्रम चालू रहेगा। लोग मैच के पहले हवन वगैरह करेंगे- हे भगवान आज पानी बरसा दो। टिकट का पूरा मजा लेने दो। खेल तो देखते ही रहते हैं। आज जी भर के चीयरिंग हो लेन दो।
खिलाड़ी भी कामना करेंगे- काश पानी बरस जाये तो पवेलियन में टांग पसार के चीयरफ़ुल हो जायें।
खिलाड़ियों के काम्बिनेशन से ज्यादा चीयरग्रुप का काम्बिनेशन मायने रखेगा। उनके चयन में सिर फ़ुटौव्वल होगी। बचे हुये कपड़े तक फ़ाड़े जायेंगे।
खिलाड़ी जैसे आजकल अपना बल्ला बदलते हैं, ग्लाब्स बदलते हैं वैसे ही कल को कहेंगे- फ़लानी वाली चीयरबाला को इधर लगाओ, इनको उधर करो। साइड स्कीन की तरह वे उनको इधर से उधर खिसकवाते रहेंगे।
होने को हो तो यह भी सकता है कि कल को चीयरबालायें और चीयरबालको का ही जलवा हो सकता है। यह जलवा इतना तक हो सकता है कि वे कहें – इन खिलाडियों को रखो, इनको बाहर करो तभी हम चीयर करेंगे। अगर ये कम्बीनेशन रखेंगे तभी हमारा चीयरइफ़ेक्ट काम करेगा।
पता लगा कि अच्छा खासा रन बनाता खिलाड़ी अपना मुंह बनाता हुआ मैच से बाहर। कोई हल्ला नहीं कोई टेंशन नहीं। मैच चीयर हो रहा है आराम से। कोई पूंछेगा भी नहीं कि पिछले मैच का हीरो कहां चला गया।
आपको शायद यह मजाक लग रहा होगा कि खिलाड़ी से ज्यादा उनका हौसला बढ़ाने वाले की औकात कैसे हो जायेगी। क्रिकेट है तो चीयरबालायें /चीयरबालक हैं। क्रिकेट ही नहीं होगा तो बालायें क्या करेंगी?
मजाक तो हम कर ही रहे हैं। लेकिन लगता है कि यह हो भी सकता है। जब क्रिकेट में जीत हार को देश की जीत-हार मान लिया जाये। क्रिकेट में जीत गये तो मानो दुनिया जीत गये। सारा देश क्रिकेट के पीछे पगलाया घूमता है। इसके ग्लैमर के नशे में टुन्न । तो यह भी काहे नहीं हो सकता है। आखिर यह भी तो ग्लैमर है। ये चीज बड़ी है मस्त-मस्त।
चीयरबालायें क्रिकेट में
कल भारत ने आस्ट्रेलिया को हरा दिया।लेकिन आलोक पुराणिक का मानना है कि बिना चीयरलीडरानियों के गाड़ी बहुत दिन तक खिंचेगी नहीं।
अगर लगातार जीतना है तो चीयरलीडरानियों की सेवा लेनी ही पड़ेगी।
अब ये कह रहे हैं तो मानना ही पड़ेगा और आज नहीं तो कल मैच के लिये चीयरलीडरानियां अपरिहार्य हो जायेंगी।
उनका रूप कैसा होगा हमें पता नहीं लेकिन हमें कल्पना के घोड़े दौडाने से कौन रोक सकता है।
किसी क्रिकेट मैच के पहले टीम की घोषणा होगी तो आलोक पुराणिक की पार्टी के लोग कहेंगे- हमें खिलाड़ी में इंटरेस्ट नहीं है। चाहे पोवार को लो या हरभजन को।हमें ये बताओ कि चीयर कौन करेगा? कायदे का चीयर न हुआ तो समझ लो गया मैच हाथ से।
क्रिकेट की कमेंट्री के साथ-साथ चीयरलीडरानियों की भी कमेंट्री होने लगे शायद। कमेंट्रटर चीयरिंग अप का आंखो देखा हाल सुनाते हुये बोले-
चीयरबालाओं की तर्ज पर महिला खिलाडियों के मैच में चीयरबालकों की मांग होगी। कुछ दिन में मिक्स चीयरग्रुप होंगे।
तब मजे रहेंगे। बारिश के कारण मैच रद्द हो जायेगा लेकिन चीयरग्रुप का कार्यक्रम चालू रहेगा। लोग मैच के पहले हवन वगैरह करेंगे- हे भगवान आज पानी बरसा दो। टिकट का पूरा मजा लेने दो। खेल तो देखते ही रहते हैं। आज जी भर के चीयरिंग हो लेन दो।
खिलाड़ी भी कामना करेंगे- काश पानी बरस जाये तो पवेलियन में टांग पसार के चीयरफ़ुल हो जायें।
खिलाड़ियों के काम्बिनेशन से ज्यादा चीयरग्रुप का काम्बिनेशन मायने रखेगा। उनके चयन में सिर फ़ुटौव्वल होगी। बचे हुये कपड़े तक फ़ाड़े जायेंगे।
खिलाड़ी जैसे आजकल अपना बल्ला बदलते हैं, ग्लाब्स बदलते हैं वैसे ही कल को कहेंगे- फ़लानी वाली चीयरबाला को इधर लगाओ, इनको उधर करो। साइड स्कीन की तरह वे उनको इधर से उधर खिसकवाते रहेंगे।
होने को हो तो यह भी सकता है कि कल को चीयरबालायें और चीयरबालको का ही जलवा हो सकता है। यह जलवा इतना तक हो सकता है कि वे कहें – इन खिलाडियों को रखो, इनको बाहर करो तभी हम चीयर करेंगे। अगर ये कम्बीनेशन रखेंगे तभी हमारा चीयरइफ़ेक्ट काम करेगा।
पता लगा कि अच्छा खासा रन बनाता खिलाड़ी अपना मुंह बनाता हुआ मैच से बाहर। कोई हल्ला नहीं कोई टेंशन नहीं। मैच चीयर हो रहा है आराम से। कोई पूंछेगा भी नहीं कि पिछले मैच का हीरो कहां चला गया।
आपको शायद यह मजाक लग रहा होगा कि खिलाड़ी से ज्यादा उनका हौसला बढ़ाने वाले की औकात कैसे हो जायेगी। क्रिकेट है तो चीयरबालायें /चीयरबालक हैं। क्रिकेट ही नहीं होगा तो बालायें क्या करेंगी?
मजाक तो हम कर ही रहे हैं। लेकिन लगता है कि यह हो भी सकता है। जब क्रिकेट में जीत हार को देश की जीत-हार मान लिया जाये। क्रिकेट में जीत गये तो मानो दुनिया जीत गये। सारा देश क्रिकेट के पीछे पगलाया घूमता है। इसके ग्लैमर के नशे में टुन्न । तो यह भी काहे नहीं हो सकता है। आखिर यह भी तो ग्लैमर है। ये चीज बड़ी है मस्त-मस्त।
फिर दादा श्री राजसिँह जी से
एक दफे (धीमे से ) यही सुझाव दिया था कि,
भारतीय क्रीकेट मेँ भी इन्हेँ लाया जाये
और उन्होने हमेँ, हडका दिया था कि “ऐसा भी कहीँ होता है ! ”
आज देखिये,
भारत भी अमरीकी फुटबोल जैसे खेल की तरह
यही दोहराने लगा है -
मेरी सलाह, कमर्शियल टीपीआर के लहजे से ही कही गयी थी -
आखिरकार, व्यापार और मुनाफा
हर आधुनिक गतिविधि के केन्द्र मेँ बसने लगा है -
– लावण्या
बहुत सही. अगर कभी चीयर बुजुर्गों की हो तो हमको और शाश्त्री जी को मत भूल जाना.:)
रामराम.
ललित मोदी ने हर चीज़ का टाइम फिक्स किया … और तो और 10 मिनट के लिए मैच रोक कर भी विज्ञापकों को वह समय दे दिया. क्या उसे टी.वी. दर्शकों का ख्याल नहीं आया ! कुछ नियत समय चीअर लीडर के लिए भी रखा जाना चाहिए था…कि जैसे 8.15 से 8.18 तक कमरे पर वही दिखाई जायेंगी. शर्तिया, और विज्ञापन मिलते…शायद अगले साल से ऐसा हो जाए, कौन जाने !
अगर लगातार जीतना है तो चीयरलीडरानियों की सेवा लेनी ही पड़ेगी।
पुराणिक जी को भविष्यवक्ता हो जाना चाहिए।
magar is baar cheer gals kaa halla utnaa nahin huaa….poora afrikaa hee cheer gals bana hua thaa …..