Sunday, October 06, 2024

शरद जोशी के पंच -10



1. जिस देश की हर नदी, हर तालाब गंदा है, वहाँ के हर छात्रों के लिए पता नही यह जानकारी कितनी उपयोगी है कि पानी आक्सीजन और हाइड्रोजन से बनता है। वह सारा जीवन इन तत्वों को हर गिलास में तलाशता रहेगा। उसे बदले में कीड़े और कचरा ही नज़र आएगा।
2. हमारे देश में बच्चा पतला होता है , उसका बस्ता भारी होता है। कुली-मज़दूरों का देश है हमारा। भार उठाने का अनुभव बचपन से होना चाहिए।
3. इस देश के दोहरे दुर्भाग्य हैं। एक तो यह कि जो बहादुर कहलाते हैं वे हत्याएँ करने लगे हैं। और दूसरा दुर्भाग्य यह है कि जो हत्याएँ करते हैं, वे अपने को बहादुर समझने लगे हैं।
4. हमारा दुर्भाग्य यह है कि स्वयं को वीर समझने वाले हत्या में वीरता समझने लगे हैं।
5. इस देश में कहीं-कहीं वीर रस बरसों सड़कर हत्या रस बन गया है।
6. भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का एक रहस्य यह भी है कि इसने सट्टे और जुए की ऊँचाई प्राप्त कर ली है।
7. आदमी की ज़िंदगी इस देश में यों है कि बचपन में स्कूल में एडमिशन के लिए परेशान, जवानी में नौकरी के लिए और बुढ़ापे में पेंशन के लिए।
8. नौकरी का मिलना एडमिशन से ज़्यादा कठिन है। मिल गई तो लोग सर्विस करते हुए मर गए। तब न मरे तो पेंशन के काग़ज़ मिलने से पहले मर गए। जीवन को श्रेष्ठ और सफल तब माना जाता है, जब आदमी पेंशन लेकर पेंशन खाकर मरे।
9. बड़ी सभ्यता-प्रधान, संस्कृति-प्रधान, गाँव के प्रधान से प्रधानमंत्री तक इस कुर्सी-प्रधान देश की एक प्रधान बात यह है कि बड़े-बूढ़ों की इज्जत करने पर ज़ोर दिया जाता है। मगर इज्जत की नहीं जाती।
10. जो शख़्स एक सरकारी दफ़्तर में पूरी ज़िंदगी खप गया,वह जब रिटायर होता है,तब समस्या की तरह होता है। अर्थात् घर से दफ़्तर और दफ़्तर से घर तक ही महीनों लुढ़कता-घिसटता रहता है, मगर पेंशन के काग़ज़ नही बन पाते।
11. सरकारी व्यवस्था में पैसा जमा करने के सारे दरवाज़े बहुत चौड़े हैं, इंतज़ाम चिकना है। देते से पहुँचते देर नही लगती। मगर जब सरकार से लेना हो तो कितने कील, काँटे, तार, जाली, छन्नी, बंद-खुली खिड़की से आपका हाथ नोट हाथ में लेकर बाहर निकल पाता है। और अक्सर तो निकल ही नही पाता, वहीं फँसा रहता है। जब बाएँ हाथ से कुछ देते हैं तब दाँया हाथ कुछ लेकर बाहर निकल पाता है।

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