हम तो हर वक्त ही सफ़र में हैं
इस समय आपके शहर में हैं ।
हमने लोगों को ध्यान से देखा
सबके चेहरे में दर्द की रेखा ।
कोई खुलकर मिला नहीं हमसे
मौत के मेघ हर नज़र में हैं।
हम तो हर वक्त ही सफ़र में हैं
इस समय आपके शहर में हैं ।
मौत के सौदागर नहीं डरते
कहते हैं देश बाँट दो फिर से।
राजा से कह दो होशियार रहे
इनकी आँखें उसी के घर में हैं।
हम तो हर वक्त ही सफ़र में हैं
इस समय आपके शहर में हैं ।
हम मुसाफ़िर हैं हमें जाना है
जाते-जाते तुम्हें बताना है।
जंगली लोग हंस रहे हम पर
वैसे तो हम सभी नगर में हैं।
हम तो हर वक्त ही सफ़र में हैं
इस समय आपके शहर में हैं ।
शोर में डूबे हुए सन्नाटे
पूजा के घर में भजन के घाटे।
रोज़ ही क़त्ल हो रहा है अमृत
हम अमृत पुत्र सब जहर में हैं।
हम तो हर वक्त ही सफ़र में हैं
इस समय आपके शहर में हैं ।
कोई कुछ भी कहे नहीं सुनिए
रास्ता आप अपना खुद चुनिए।
ख़त्म होगी नहीं कहीं पर जो
हम उसी प्यार की डगर में हैं।
हम तो हर वक्त ही सफ़र में हैं
इस समय आपके शहर में हैं ।
-रमानाथ अवस्थी
गीत यहाँ पर सुना जा सकता है ।
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